1. भारत में ऋग्वैदिक आर्यों का निवास कहां था-
(a) मध्य भारत
(b) उत्तर भारत
(c) सप्त सिंधु क्षेत्र
(d) संपूर्ण भारत
उत्तर : (c) :
व्याख्या : ऋग्वैदिक आर्यों का निवास सप्त सिंधु क्षेत्र में था, जो सिंधु नदी और उसकी सहायक नदियों के आसपास के इलाके को कहा जाता है। सप्त सिंधु का अर्थ है “सात नदियाँ”, जो इस क्षेत्र की प्रमुख नदियाँ थीं। यह क्षेत्र उत्तर पश्चिम भारत और पाकिस्तान के कुछ हिस्सों में फैला हुआ था।
🔹 सप्त सिंधु क्षेत्र का महत्व:
✔ यहाँ आर्य जनजातियाँ अपनी धार्मिक, सांस्कृतिक और सामाजिक व्यवस्था का विकास करती थीं।
✔ ऋग्वेद में इस क्षेत्र का विस्तार और आर्य सभ्यता के प्रमुख पहलुओं का वर्णन किया गया है।
» याद रखें: सप्त सिंधु क्षेत्र में ऋग्वैदिक आर्यों का निवास था।
2. ऋग्वेद का पूरा एक मण्डल निम्न में से किस एक को समर्पित सूक्तों का संग्रह हैं?
(a) अग्नि
(b) सोम
(c) इन्द्र
(d) वरूण
उत्तर : (b) :
व्याख्या : ऋग्वेद में एक मण्डल सोम को समर्पित है। सोम एक महत्वपूर्ण वेदिक देवता था, जिसे विशेष रूप से सोमरस (एक प्रकार का पवित्र पेय) से जुड़ा हुआ माना जाता था। ऋग्वेद के 9वें मण्डल में सोम देवता के संबंध में सूक्तों का संग्रह है, जिसमें उनके महत्त्व, गुण और पूजा का विस्तार से वर्णन किया गया है।
🔹 सोम देवता:
✔ सोम को सिरस (पवित्र रस) के रूप में पूजा जाता था, जो ऋग्वैदिक समाज में धार्मिक अनुष्ठानों का अहम हिस्सा था।
✔ सोम के बारे में विशेष रूप से ऋग्वेद के 9वें मण्डल में उल्लेख मिलता है, जो सोम के महत्व को दर्शाता है।
» याद रखें: सोम से संबंधित ऋग्वेद का 9वां मण्डल है।
3. उपनिषद पुस्तकें हैं
(a) धर्म पर
(b) योग पर
(c) विधि पर
(d) दर्शन पर
उत्तर : (d) :
व्याख्या : उपनिषद मुख्य रूप से दर्शन या आध्यात्मिक ज्ञान पर आधारित पुस्तकें हैं। इन्हें वेदांत के अन्तर्गत माना जाता है और ये जीवन, ब्रह्म, आत्मा, और उनके आपसी संबंधों को समझाने की कोशिश करती हैं। उपनिषदों में व्यक्ति के आत्मा, ब्रह्मा और संसार के वास्तविक स्वरूप पर विचार किया गया है। ये वेदों के अंतिम भाग के रूप में माने जाते हैं और विशेष रूप से ज्ञान और तत्त्वज्ञान पर जोर देते हैं।
🔹 उपनिषदों का महत्व:
✔ ये जीवन के गहरे अर्थ और आत्मा के संबंध में बारीकी से विचार करती हैं।
✔ उपनिषदों में आध्यात्मिक तत्त्वज्ञान और ब्रह्म के अस्तित्व पर जोर दिया गया है।
📌 याद रखें: उपनिषद दर्शन के सिद्धांतों पर आधारित हैं।
4. वेद और आर्यः व्यवस्था और संस्कृति सबसे पुराना वेद कौन-सा हैं?
(a) यजुर्वेद
(b) ऋग्वेद
(c) सामवेद
(d) अथर्ववेद
उत्तर : (b) :
व्याख्या : ऋग्वेद सबसे पुराना वेद है और इसे भारतीय सभ्यता के पहले धार्मिक ग्रंथ के रूप में माना जाता है। यह वेद प्राचीन भारतीय संस्कृति, आर्य समाज, और उनके धार्मिक विश्वासों का संग्रह है। इसमें सूर्य, आग्नि, वायु, और इन्द्र जैसे देवताओं के बारे में hymns (स्मरणगीत) और सूक्त होते हैं।
🔹 ऋग्वेद का महत्व:
✔ यह वेदों का पहला और सबसे पुराना हिस्सा है, जिसे वैदिक काल में संकलित किया गया।
✔ ऋग्वेद के सूक्तों में प्रकृति और देवताओं के प्रति श्रद्धा व्यक्त की गई है।
📌 याद रखें: ऋग्वेद वेदों में सबसे पुराना वेद है।
5. उपनिषदों का मुख्य विषय है?
(a) सामाजिक व्यवस्था
(b) दर्शन
(c) विधि
(d) धर्म पर
उत्तर : (b) :
व्याख्या : उपनिषदों का मुख्य विषय दर्शन या आध्यात्मिक ज्ञान है। ये वेदों के अंतिम भाग के रूप में माने जाते हैं और जीवन, ब्रह्म, आत्मा, और उनके आपसी संबंधों पर विचार करते हैं। उपनिषदों में तत्त्वज्ञान की चर्चा की गई है, जो मानव जीवन के वास्तविक उद्देश्य, ब्रह्म के सत्य, और आत्मा की प्रकृति को समझने की कोशिश करती है।
🔹 उपनिषदों का महत्व:
✔ वे आध्यात्मिक तत्त्वज्ञान, आत्मा और ब्रह्म के संबंध पर जोर देते हैं।
✔ ये जीवन के गहरे अर्थ को समझने की दिशा में मार्गदर्शन करते हैं।
📌 याद रखें: उपनिषदों का मुख्य विषय दर्शन है, जो जीवन के गहरे और आध्यात्मिक पहलुओं की खोज करता है।
6. निम्नलिखित में से किस वैदिक साहित्य में मोक्ष की चर्चा मिलती हैं?
(a) ऋग्वेद
(b) ब्राह्मण
(c) परवर्ती संहिताएं
(d) उपनिषद
उत्तर : (d) :
व्याख्या : उपनिषदों में मोक्ष की चर्चा मिलती है। उपनिषद वेदों के अंतिम भाग हैं, जिनमें आध्यात्मिक ज्ञान और तत्त्वज्ञान पर विचार किया गया है। यहाँ पर मोक्ष (आध्यात्मिक मुक्ति) के बारे में बताया गया है, जो आत्मा का ब्रह्म से एकत्व है। उपनिषद मोक्ष को जीवन के सर्वोत्तम उद्देश्य के रूप में प्रस्तुत करते हैं।
🔹 मोक्ष का अर्थ:
✔ मोक्ष का अर्थ है आत्मा की बंधन से मुक्ति और ब्रह्म के साथ एकता।
✔ यह आत्मज्ञान और ब्रह्मज्ञान के माध्यम से प्राप्त किया जा सकता है।
📌 याद रखें: उपनिषद में मोक्ष की चर्चा की जाती है, जो आत्मा की मुक्ति और ब्रह्म के साथ एकत्व को दर्शाता है।
7. ऋग्वेद के नदी सूत्र में वर्णित नदियों में सर्वाधिक उल्लेख किस नदी का है?
(a) सरस्वती नदी
(b) सतलज नदी
(c) मरुद्वष्धा नदी
(d) सिन्धु नदी
उत्तर : (d) :
व्याख्या : ऋग्वेद में सिन्धु नदी का सबसे अधिक उल्लेख हुआ है। सिन्धु नदी को वैदिक साहित्य में एक महत्वपूर्ण नदी माना गया है और यह ऋग्वेद में “सिंधु” के नाम से बार-बार आती है। यह नदी भारतीय उपमहाद्वीप की प्रमुख नदियों में से एक थी और आर्य संस्कृति के विकास में इसका अहम योगदान था। सिन्धु नदी का उल्लेख धार्मिक अनुष्ठानों और देवताओं की प्रार्थनाओं में भी किया गया है।
🔹 सिन्धु नदी का महत्व:
✔ इसे ऋग्वेद में एक पवित्र नदी के रूप में पूजा गया है।
✔ सिन्धु नदी का जल आर्यों के लिए एक धार्मिक और सांस्कृतिक प्रतीक था।
» याद रखें: ऋग्वेद में सिन्धु नदी का सबसे अधिक उल्लेख किया गया है।
8. कथन (A): मध्य और निम्न गंगा घाटी में आर्यों के आगमन के प्रसार में लौह प्रौद्योगिकी ने महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।
कथन (R) : मध्य और निम्न गंगा घाटी में घने जंगल थे जो मजबूत धातु के औजारों से ही साफ किए जा सकते थे।
कूटः
(a) A औरR दोनों सही हैं और Rकी सही व्याख्या A है
(b) A और R दोंनों सही हैं किन्तु R, A की सही व्याख्या नहीं कर रहा है।
(c) A सही लेकिन R गलत है।
(d) A गलत है परन्तु R सही है।
उत्तर : (a) :
व्याख्या : कथन A: सही है क्योंकि मध्य और निम्न गंगा घाटी में जब आर्य लोग पहुंचे, तो उन्होंने अपने गांवों को बसाने और खेती करने के लिए लौह उपकरणों का उपयोग किया। लौह प्रौद्योगिकी ने खेती के विकास में महत्वपूर्ण योगदान दिया क्योंकि यह अधिक मजबूत और टिकाऊ औजार प्रदान करती थी।
कथन R: भी सही है, क्योंकि गंगा घाटी में घने जंगल थे जिन्हें साफ करने के लिए मजबूत लौह औजारों की आवश्यकता थी। इस प्रकार, लौह तकनीकी ने जंगलों को साफ करने और खेती के लिए उपयुक्त भूमि तैयार करने में मदद की।
🔹 याद रखें:
लौह प्रौद्योगिकी ने आर्यों को घने जंगलों को साफ करने और कृषि भूमि तैयार करने में महत्वपूर्ण सहायता दी, और इस प्रकार इसने उनके प्रसार में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।
9.’आर्य’ शब्द इंगित करता है –
(a) नृजाति समूह को
(b) यायावरी जन को
(c) भाषा समूह को
(d) श्रेष्ठ वंश को
उत्तर : (d) :
व्याख्या : ‘आर्य’ शब्द का शाब्दिक अर्थ है “श्रेष्ठ” या “उत्तम”। इसे वंश या समूह के संदर्भ में देखा जाता है, जिसका मतलब था उन लोगों का एक समूह जो संस्कृत भाषा बोलते थे और जो अपने आचार-व्यवहार, संस्कृति और समाजिक स्थिति में श्रेष्ठ माने जाते थे। आर्य शब्द का उपयोग वैदिक साहित्य में उन लोगों के लिए किया गया है, जिन्होंने धार्मिक, सांस्कृतिक और सामाजिक दृष्टिकोण से उच्च दर्जे की जीवनशैली अपनाई थी।
🔹 याद रखें: ‘आर्य’ शब्द का मतलब श्रेष्ठ वंश या श्रेष्ठ लोग था, जो उच्च आचार-व्यवहार और संस्कृत भाषा में निपुण थे।
10. वेद त्रयी के अर्न्तगत निम्न वेद आते है-
(a) ऋग्वेद, अथर्ववेद, सामवेद
(b) ऋग्वेद, सामवेद, यजुर्वेद
(c) सामवेद, यजुर्वेद, अथर्ववेद
(d) यजुर्वेद, ऋग्वेद, अथर्ववेद, सामवेद
उत्तर : (b) :
व्याख्या : वेद त्रयी में ऋग्वेद, सामवेद, और यजुर्वेद आते हैं। ये वेद हिंदू धर्म के सबसे पुराने और महत्वपूर्ण ग्रंथ हैं, जिन्हें धर्म, पूजा, यज्ञ, और जीवन के विभिन्न पहलुओं को निर्धारित करने के लिए उपयोग किया जाता है।
🔹 वेद त्रयी में शामिल वेद:
1.ऋग्वेद: मंत्रों का संग्रह, जो ईश्वर की स्तुति करते हैं।
2.सामवेद: संगीत और गायन के लिए विशेष मंत्रों का संग्रह।
3.यजुर्वेद: यज्ञों और धार्मिक अनुष्ठानों के लिए प्रचलित वेद।
📌 याद रखें: ऋग्वेद, सामवेद, और यजुर्वेद मिलकर वेद त्रयी का निर्माण करते हैं।
11. वैदिक नदी कुभा का स्थान कहां निर्धारित होना चाहिए?
(a) अफगानिस्तान में
(b) चीनी तुर्किस्तान में
(c) कश्मीर में
(d) पंजाब में
उत्तर : (a) :
व्याख्या : वैदिक साहित्य में वर्णित नदी कुभा (जिसे संस्कृत में “कुंभा” भी कहा जाता है) का स्थान मुख्य रूप से अफगानिस्तान में निर्धारित किया गया है। यह नदी ऋग्वेद में वर्णित है और इसका उल्लेख विशेष रूप से उन नदियों में किया गया है जिनकी पूजा की जाती थी।
🔹 याद रखें: कुभा नदी को अफगानिस्तान में स्थित माना जाता है, जो वैदिक साहित्य में महत्वपूर्ण थी।
12. ऋग्वैदिक काल में किस अंग का आभूषण था?
(a) कान का
(c) बाहु का
(b) गला का
(d) कलाई का
उत्तर : (a) :
व्याख्या : ऋग्वैदिक काल में आभूषण मुख्य रूप से कानों में पहने जाते थे। इस काल में कान की बालियां या कान के आभूषण का उल्लेख मिलता है। इसके अलावा, अन्य आभूषण जैसे गहने और माला आदि का भी प्रचलन था, लेकिन कान के आभूषणों का विशेष रूप से उल्लेख किया गया है।
🔹 याद रखें: कान का आभूषण ऋग्वैदिक काल में प्रमुख था।
13. सूची-I को सूची-II से सुमेलित कीजिए तथा नीचे दिये गये कूटों का प्रयोग करते हुए सही उत्तर चुनिए-
सूची-1 (इतिहासकार) | सूची-II (आर्यो के आगमन स्थल) |
(a) बाल गंगाधर तिलक | 1. मध्य एशिया |
(b) दयानंद | 2. आर्कटिक क्षेत्र |
(c) मैक्समूलर | 3. आस्ट्रो हंगरी क्षेत्र |
(d) मैक डॉनेल | 4. तिब्बत |
कूट :A B C D
(a)123 4
(b) 2 4 1 3
(c) 2 143
(d)2314
उत्तर : (b) :
व्याख्या : •बाल गंगाधर तिलक ने आर्कटिक क्षेत्र को आर्यन का प्राचीन स्थान माना।
•दयानंद ने आर्यों के आगमन को तिब्बत से जोड़ा।
•मैक्समूलर का मानना था कि आर्य मध्य एशिया से आए थे।
•मैक डॉनेल ने आर्यों के आगमन स्थल को आस्ट्रो हंगरी क्षेत्र के पास माना।
🔹 याद रखें:
इतिहासकारों के मत अलग-अलग थे, और उनके अनुसार आर्यों के आगमन स्थल के बारे में विभिन्न विचार थे।
14. प्राचीन भारत में ‘निशाका’ से जाने जाते थे?
(a) स्वर्ण आभूषण
(b) गायें
(c) तांबे के सिक्के
(d) चांदी के सिक्के
उत्तर : (a) :
व्याख्या : ‘निशाका’ शब्द का प्रयोग प्राचीन भारत में स्वर्ण आभूषणों के संदर्भ में किया जाता था। यह शब्द विशेष रूप से ऋग्वेद और अन्य वैदिक ग्रंथों में स्वर्ण आभूषणों के लिए उपयोग हुआ है।
🔹 याद रखें: निशाका का अर्थ स्वर्ण आभूषण होता था
15. सूची I को सूची II से सुमेलित कीजिए तथा सूचियों के नीचे दिये गये कूट से सही उत्तर का चयन कीजिए:
सूची I(वैदिक नदियां) | सूची II(आधुनिक नाम) |
(A) कुभा | 1. गंडक |
(B) परुष्णी | 2. काबुल |
(C) सदानीरा | 3. रावी |
(D) शुतुद्री | 4. सतलज |
कूट :
ABCD
(a) 1243
(b) 2314
(c) 3421
(d) 4132
उत्तर : (b) :
व्याख्या : •कुभा नदी का आधुनिक नाम काबुल है।
•परुष्णी नदी का आधुनिक नाम रावी है।
•सदानीरा नदी का आधुनिक नाम गंडक है।
•शुतुद्री नदी का आधुनिक नाम सतलज है।
🔹 याद रखें: इन नदियों के वैदिक और आधुनिक नामों को सुमेलित करना महत्वपूर्ण है।
16. अध्यात्म ज्ञान के विषय में नचिकेता और यम का संवाद किस उपनिषद में प्राप्त होता है?
(b) छांदोग्य उपनिषद में
(a) वृहदारण्यक उपनिषद में
(c) कठोपनिषद में
(d) केन उपनिषद में
उत्तर : (c) :
व्याख्या : नचिकेता और यम का संवाद कठोपनिषद में प्राप्त होता है, जिसमें नचिकेता को आध्यात्मिक ज्ञान की प्राप्ति के लिए यम से वार्ता होती है। इस संवाद में जीवन, मृत्यु और आत्मा के गूढ़ रहस्यों का समाधान दिया गया है।
🔹 याद रखें:
यह संवाद कठोपनिषद में है।
17. नचिकेता आख्यान का उल्लेख मिलता हैं-
(a) अथर्ववेद में
(b) शतपथ ब्राह्मण में
(c) कठोपनिषद में
(d) वृहदारण्यक उपनिषद में
उत्तर : (c) : व्याख्या : प्रश्न संख्या 16 का उत्तर देखें
18. उपनिषद काल के राजा अश्वपति शासक थें –
(a) काशी के
(b) केकय के
(c) पांचाल के
(d) विदेह के
उत्तर : (d) : व्याख्या : राजा अश्वपति उपनिषद काल के एक प्रमुख शासक थे, जो केकय राज्य से संबंधित थे। वे कठोपनिषद में वर्णित हैं और उनके द्वारा प्रस्तुत धार्मिक और दार्शनिक विचार महत्वपूर्ण माने जाते हैं।
19. बोगजकोई महत्वपूर्ण है, क्योंकि
(a) यह मध्य एशिया एवं तिब्बत के मध्य एक महत्वपूर्ण व्यापारिक केंद्र था
(b) यहां से प्राप्त अभिलेखों में वैदिक देवताओं एवं देवियों का नामोल्लेख प्राप्त होता हैं
(c) वेद के मूल ग्रन्थों की रचना यहां हुई थी
(d) उपर्युक्त में से कोई नहीं
उत्तर : (b) :
व्याख्या : बोगजकोई अभिलेख महत्वपूर्ण है क्योंकि यहां से प्राप्त अभिलेखों में वैदिक देवताओं और देवियों के नाम का उल्लेख मिलता है, जो इस स्थल के धार्मिक और सांस्कृतिक महत्व को दर्शाता है। ये अभिलेख मध्य एशिया में स्थित थे और भारतीय सभ्यता से जुड़े थे।
🔹 याद रखें: बोगजकोई में वैदिक देवताओं का नामोल्लेख पाया गया था।
20. निम्नलिखित अभिलेखों में से कौन-सा ईरान से भारत में आर्यो के आने की सूचना देता है?
(a) मान सेहरा
(b) शहबाजगढ़ी
(c) बोगजकोई से
(d) जूनागढ़
उत्तर : (c) :
व्याख्या : बोगजकोई का अभिलेख ईरान से भारत में आर्यों के आने की सूचना देता है। यह अभिलेख हित्ती साम्राज्य से संबंधित है और इससे यह पता चलता है कि आर्य ईरान से भारत में आए थे।
🔹 याद रखें: बोगजकोई अभिलेख से ईरान से आर्य के भारत आगमन की सूचना मिलती है।
21. 14वीं सदी ई. पूर्व का एक अभिलेख जिसमें वैदिक देवताओं का वर्णन है, प्राप्त हुआ है-
(a) एकबटाना से
(b) बोगजकोई से
(c) बेबीलोन से
(d) बिसोटुन से
उत्तर : (b) :
व्याख्या : बोगजकोई (Bogazköy) से प्राप्त 14वीं सदी ई. पूर्व का अभिलेख विशेष रूप से महत्वपूर्ण है क्योंकि इसमें वैदिक देवताओं का वर्णन मिलता है। यह अभिलेख हिट्टी साम्राज्य से संबंधित है और इसने भारतीय संस्कृति एवं सभ्यता के प्राचीन संबंधों को प्रमाणित किया है।
🔹 याद रखें: बोगजकोई अभिलेख में 14वीं सदी ई. पूर्व में वैदिक देवताओं का उल्लेख मिलता है।
22. निम्नलिखित में से किसने आर्यो के आदि देश के बारे में लिखा था?
(a) शंकराचार्य
(b) एनी बेसेंट
(c) विवेकानंद
(d) बाल गंगाधर तिलक
उत्तर : (d) :
व्याख्या : बाल गंगाधर तिलक ने “आर्कटिक होम इन द वेदास” नामक पुस्तक में आर्यों के आदि देश के बारे में लिखा था। उन्होंने यह सुझाव दिया कि आर्य वास्तव में आर्कटिक क्षेत्र से उत्पन्न हुए थे और बाद में विभिन्न भागों में फैले थे। उनका यह विचार उनके समय में एक नई और विवादास्पद थीसिस थी।
🔹 याद रखें: बाल गंगाधर तिलक ने आर्यों के आदि देश को आर्कटिक क्षेत्र के रूप में प्रस्तुत किया था।
23. शतपथ ब्राह्मण में उल्लिखित राजा विदेघ माधव से संबंधित ऋषि थे
(a) कृष्ण यजुर्वेद
(b) शुल्क यजुर्वेद
(c) शतपथ ब्राह्मण
(d) पंचविश ब्राह्मण
उत्तर : (c) : व्याख्या : शतपथ ब्राह्मण में राजा विदेघ माधव का उल्लेख है। यह ब्राह्मण कृष्ण यजुर्वेद से संबंधित है और इसमें यज्ञ, धार्मिक अनुष्ठान और अन्य धार्मिक कार्यों के बारे में विस्तृत जानकारी दी गई है। राजा विदेघ माधव से संबंधित ऋषि शतपथ ब्राह्मण में उल्लेखित हैं, जो उस समय के धार्मिक और सामाजिक संदर्भ में महत्वपूर्ण थे।
24. जिस ग्रंथ में ‘पुरुष मेथ’ का उल्लेख हुआ है, वह है :
(a) ऋषि भारद्वाज
(b) ऋषि वशिष्ठ
(c) ऋषि विश्वामित्र
(d) ऋषि गौतम रहुगण
उत्तर : (d) : व्याख्या : पुरुष मेथ’ (या पुरुष सूक्त) वेद के एक प्रसिद्ध रचनात्मक गीत का हिस्सा है, जो ब्रह्मा या पुरुष के साकार रूप का वर्णन करता है। यह ऋषि गौतम रहुगण द्वारा संकलित ग्रंथ में मिलता है और यह शास्त्र के धार्मिक सिद्धांतों से संबंधित है। ‘पुरुष सूक्त’ का वर्णन वेदों में मिलता है, विशेष रूप से ऋग्वेद में।
25. उत्तर वैदिक काल में निम्नलिखित में से किनको आर्य संस्कृति का थुर समझा जाता था?
(a) अंग, मगध
(b) कोसल, विदेह
(c) कुरु, पंचाल
(d) मत्स्य, शूरसेन
उत्तर : (a) : व्याख्या : उत्तर वैदिक काल में, अंग और मगध को आर्य संस्कृति के बाहर समझा जाता था। ये क्षेत्र उस समय की राजनीतिक और सांस्कृतिक दृष्टि से आर्य परंपरा से भिन्न माने जाते थे। अंग और मगध का उल्लेख विशेष रूप से महाभारत और रामायण जैसे ग्रंथों में किया गया है, जहाँ इन्हें सामान्यतः गैर-आर्य या बाहरी संस्कृति के रूप में प्रस्तुत किया गया।
26. गोत्र शब्द का प्रयोग सर्वप्रथम हुआ था?
(a) अथर्ववेद में
(b) ऋग्वेद में
(c) सामवेद में
(d) यजुर्वेद में
उत्तर : (b) : व्याख्या : गोत्र शब्द का सर्वप्रथम प्रयोग ऋग्वेद में हुआ था। ऋग्वेद में गोत्र शब्द का प्रयोग व्यक्तियों और परिवारों के समुदाय से संबंधित होने को व्यक्त करने के लिए किया गया था। इसका अर्थ था “वंश” या “परिवार” और यह सामाजिक संरचना में महत्वपूर्ण था। गोत्रों की व्यवस्था के माध्यम से लोगों को एक दूसरे से जोड़ा जाता था और यह सामाजिक पहचान का एक तरीका था।
27. पूर्व-वैदिक आर्यों का धर्म प्रमुखतः था-
(a) भक्ति
(b) मूर्ति पूजा और यज्ञ
(c) प्रकृति पूजा और यज्ञ
(d) प्रकृति पूजा और भक्ति
उत्तर : (c) : व्याख्या : पूर्व-वैदिक आर्यों का धर्म मुख्यतः प्रकृति पूजा और यज्ञ था। वे प्राकृतिक शक्तियों, जैसे सूर्य, अग्नि, वायु, और वर्षा के देवताओं की पूजा करते थे। यज्ञों का आयोजन भी एक महत्वपूर्ण धार्मिक क्रिया थी, जो वे देवताओं को प्रसन्न करने और समृद्धि प्राप्त करने के लिए करते थे।
28. ऋग्वेद काल में जनता निम्न में से मुख्यतया किसमें विश्वास करती थीं?
(a) मूर्ति पूजा
(b) एकेश्वरवाद
(c) देवी पूजा
(d) बलि एवं कर्मकांड
उत्तर : (d) : व्याख्या : ऋग्वेद काल में आर्य जनता मुख्यत: बलि और कर्मकांड में विश्वास करती थी। वे देवताओं को प्रसन्न करने के लिए यज्ञ और बलि अर्पित करते थे। इस समय में मूर्ति पूजा या एकेश्वरवाद का प्रचलन नहीं था, और धार्मिक अनुष्ठान मुख्य रूप से प्रकृति की शक्तियों और देवताओं की आराधना के लिए होते थे।
29. प्रसिद्ध दस राजाओं का युद्ध किस नदी के तट पर लड़ा गया?
(a) गंगा
(c) कावेरी
(b) ब्रह्मपुत्र
(d) परुष्णी
उत्तर : (d) : व्याख्या : प्रसिद्ध दस राजाओं का युद्ध परुष्णी नदी (जो आज की रावी नदी है) के तट पर लड़ा गया था। यह युद्ध ऋग्वेद में वर्णित है और इसमें दस राजाओं के गठबंधन ने एक शक्तिशाली राजा, राजा दशरथ के नेतृत्व में युद्ध लड़ा था। यह युद्ध एक ऐतिहासिक और धार्मिक संदर्भ में महत्वपूर्ण है, जिसमें वेदों में वर्णित देवताओं और मनुष्यों के बीच संघर्ष को दिखाया गया है।
30. ऋग्वेद में उल्लिखित प्रसिद्ध ‘दश-राजाओं’ का युद्ध किस नदी के किनारे लड़ा गया था?
(a) परुष्णी
(b) सरस्वती
(c) विपाशा
(d) अस्किनी
उत्तर : (a) : व्याख्या : ऋग्वेद में उल्लिखित प्रसिद्ध ‘दश-राजाओं’ का युद्ध परुष्णी नदी (जो आज की रावी नदी है) के किनारे लड़ा गया था। यह युद्ध वेदों में वर्णित एक महत्वपूर्ण घटना है, जिसमें दस राजाओं का गठबंधन राजा सुदास से युद्ध करता है। यह युद्ध ऋग्वेद के 7वें मंडल में वर्णित है और इसे धर्म और आस्थाओं के संदर्भ में महत्वपूर्ण माना जाता है।
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