1. जैन-धर्म का सैद्धान्तिक पक्ष क्या है?
(a) स्यादवाद्
(b) द्वैतवाद
(c) निर्वाण
(d) इनमें से कोई नहीं
उत्तर : (a) : व्याख्या : स्यादवाद जैन धर्म का एक महत्वपूर्ण सैद्धांतिक पक्ष है, जो कि सत्य के विभिन्न पहलुओं को समझाने की कोशिश करता है। इसमें यह माना जाता है कि किसी भी वस्तु या घटना को विभिन्न दृष्टिकोणों से देखा जा सकता है, और प्रत्येक दृष्टिकोण एक आंशिक सत्य को ही व्यक्त करता है।
2. निम्नलिखित में से कौन-सा एक विख्यात पाशुपत आचार्य थे?
(a) पार्श्वनाथ
(c) श्रीकर पंडित
(b) मल्लिनाथ
(d) शांतिनाथ
उत्तर : (c) :
व्याख्या : सही उत्तर है: (c) श्रीकर पंडित।
श्रीकर पंडित पाशुपत संप्रदाय के विख्यात आचार्य थे। पाशुपत संप्रदाय शिव से संबंधित एक प्राचीन धार्मिक परंपरा है, और श्रीकर पंडित इस परंपरा के प्रमुख आचार्य के रूप में जाने जाते हैं।
3. सुमेलित करें-
सूची-1 | सूची-II |
(A) आजीवक | 1. योग्य |
(B) अर्हत | 2. एक धार्मिक सम्प्रदाय |
(C) निर्ग्रन्थ | 3. पार पथ निर्माता |
(D) तीर्थकर | 4. बंधनो से मुक्त |
कूट : A B C D
(a) 1234
(b)2143
(c)4321
(d)1423
उत्तर : (b) :
व्याख्या : सुमेलित रूप में:
•(A) आजीवक – 2. एक धार्मिक सम्प्रदाय
•(B) अर्हत – 1. योग्य
•(C) निर्ग्रन्थ – 4. बंधनो से मुक्त
•(D) तीर्थकर – 3. पार पथ निर्माता
4. स्यादवाद सिद्धांत है-
(a) लोकायत धर्म का
(b)जैन धर्म का
(c) शैव धर्म का
(d) वैष्णव धर्म का
उत्तर : (b) :
व्याख्या : स्यादवाद जैन धर्म का एक महत्वपूर्ण दार्शनिक सिद्धांत है, जिसे सापेक्षतावाद (Relativism) का एक रूप माना जाता है। इसे “सप्तभंगी न्याय” (सात प्रकार के न्याय) के माध्यम से व्यक्त किया जाता है, जो यह दर्शाता है कि किसी भी वस्तु या सत्य को अलग-अलग दृष्टिकोणों से देखा और परखा जा सकता है।
स्यादवाद का अर्थ
•”स्यात्” का अर्थ है “संभावना” या “हो सकता है”।
•स्यादवाद का मूल विचार यह है कि कोई भी कथन पूर्ण सत्य या पूर्ण असत्य नहीं हो सकता, बल्कि यह परिस्थितियों के अनुसार बदल सकता है।
स्यादवाद के सात भंग (सप्तभंगी न्याय)
1.स्याद अस्ति – किसी दृष्टिकोण से कोई वस्तु विद्यमान हो सकती है।
2.स्याद नास्ति – किसी दृष्टिकोण से कोई वस्तु अविद्यमान हो सकती है।
3.स्याद अस्ति च नास्ति च – किसी दृष्टिकोण से वस्तु विद्यमान भी हो सकती है और अविद्यमान भी।
4.स्याद अवक्तव्यम् – किसी दृष्टिकोण से वस्तु को परिभाषित नहीं किया जा सकता।
5.स्याद अस्ति च अवक्तव्यम् – किसी दृष्टिकोण से वस्तु विद्यमान है, लेकिन इसे परिभाषित नहीं किया जा सकता।
6.स्याद नास्ति च अवक्तव्यम् – किसी दृष्टिकोण से वस्तु अविद्यमान है, लेकिन इसे परिभाषित नहीं किया जा सकता।
7.स्याद अस्ति च नास्ति च अवक्तव्यम् – किसी दृष्टिकोण से वस्तु विद्यमान भी है, अविद्यमान भी है, और इसे परिभाषित नहीं किया जा सकता।
5. जैन दर्शन के अनुसार, सृष्टि की रचना एवं पालन-पोषण –
(a) सार्वभौमिक विधान से हुआ है।
(b) सार्वभौमिक सत्य से हुआ है।
(c) सार्वभौमिक आस्था से हुआ है।
(d) सार्वभौमिक आत्मा से हुआ है।
उत्तर : (a) :
व्याख्या : जैन दर्शन के अनुसार सृष्टि की रचना एवं पालन-पोषण
जैन धर्म के अनुसार, सृष्टि की रचना किसी ईश्वर या परमात्मा द्वारा नहीं की गई है, बल्कि यह स्वाभाविक और शाश्वत (अनादि और अनंत) है।
जैन दर्शन के अनुसार, सृष्टि की उत्पत्ति, स्थिति, और विनाश सार्वभौमिक विधान (Universal Law) के अनुसार होता है, न कि किसी ईश्वर की इच्छा से।
सृष्टि के तत्व
जैन धर्म में सृष्टि को छह द्रव्यों (तत्वों) से मिलकर बना हुआ माना जाता है:
1.जीव (सजीव आत्मा) – जो चेतन और शाश्वत है।
2.अजीव (निर्जीव तत्व) – जिसमें पुद्गल (पदार्थ), धर्म (गति का माध्यम), अधर्म (विश्राम का माध्यम), आकाश (स्थान), और काल (समय) शामिल हैं।
ईश्वर की अवधारणा
•जैन धर्म ईश्वर को सृष्टि का सृजनकर्ता नहीं मानता।
•इसके अनुसार, सृष्टि
स्वयंभू है और यह अपने नियमों के अनुसार चलती रहती है।
•जैन दर्शन में कैवल्य ज्ञान प्राप्त आत्मा (अरिहंत और सिद्ध) को सर्वोच्च माना गया है, लेकिन उन्हें भी सृष्टि के सृजनकर्ता नहीं माना जाता।
6. यापनीय किसका एक संप्रदाय था?
(a) बौद्ध धर्म का
(b) जैन धर्म का का
(c) शैव धर्म
(d) वैष्णव धर्म का
उत्तर : (b) :
व्याख्या : यापनीय संप्रदाय जैन धर्म का एक प्रमुख संप्रदाय था। यह दिगंबर संप्रदाय की एक शाखा थी, जो दक्षिण भारत में प्रचलित थी।
मुख्य विशेषताएँ:
•यह श्वेतांबर और दिगंबर संप्रदायों के बीच की कड़ी मानी जाती थी।
•यापनीय संप्रदाय दिगंबरों की तरह वस्त्र-त्याग की परंपरा को नहीं मानता था लेकिन अन्य नियमों में उनसे मेल खाता था।
•यह संप्रदाय दक्षिण भारत, विशेषकर कर्नाटक में प्रचलित था।
7. भारत की धार्मिक प्रथाओं के संदर्भ में ‘स्थानकवासी’ संप्रदाय का संबंध किससे है?
(a) बौद्ध मत
(b) जैन मत
(c) वैष्णव मत
(d) शैव मत
उत्तर : (b) :
व्याख्या : ‘स्थानकवासी’ संप्रदाय जैन धर्म से संबंधित है।
स्थानकवासी संप्रदाय का संक्षिप्त विवरण:
•यह श्वेतांबर जैन धर्म की एक शाखा है।
•इसकी स्थापना लोनक शाह (15वीं शताब्दी) ने की थी।
•मूर्तिपूजा का विरोध करता है और मंदिरों में प्रतिमा स्थापना को नहीं मानता।
•स्थानकवासी जैन मुनि सफेद वस्त्र पहनते हैं और जीवन में कठोर अनुशासन का पालन करते हैं।
•वे ध्यान, तपस्या और नैतिक शुद्धता पर विशेष जोर देते हैं।
8. निम्नलिखित में से कौन सबसे पूर्वकालिक जैन ग्रंथ कहलाता है?
(a) बारह अंग
(C) चौदह पूर्व
(b) बारह उपांग
(d) चौदह उपपूर्व
उत्तर : (c) :
व्याख्या : (c) चौदह पूर्व (चतुर्दश पूर्व) सबसे प्राचीन जैन ग्रंथ माने जाते हैं।
संक्षिप्त विवरण:
•”चौदह पूर्व” जैन ग्रंथों के सबसे पुराने और प्रामाणिक ग्रंथ माने जाते हैं।
•ये ग्रंथ महावीर स्वामी के समय में मौखिक रूप से संकलित किए गए थे।
•इनमें जैन धर्म के मूलभूत सिद्धांत, ब्रह्मांड विज्ञान, नैतिकता और आध्यात्मिक ज्ञान का विस्तृत विवरण मिलता है।
•माना जाता है कि समय के साथ “चौदह पूर्व” लुप्त हो गए, और उनके अंश ही वर्तमान जैन साहित्य में उपलब्ध हैं।
9.निम्नलिखित में से कौन-सा सद्गुण तीर्थकर पार्श्वनाथ द्वारा उपदिष्ट चतुर्याम धर्म में महावीर द्वारा जोड़ा गया?
(b) अहिंसा
(d) अस्तेय
(a) सत्य
(*c) ब्रह्मचर्य
उत्तर : (c) : व्याख्या : महावीर स्वामी ने चतुर्याम धर्म में पार्श्वनाथ द्वारा उपदिष्ट तीन सद्गुणों (अहिंसा, सत्य, अस्तेय) के साथ चौथा सद्गुण “ब्रह्मचर्य” जोड़ा था।
10. निम्नलिखित में से किसे किस यक्ष एवं यक्षणियों की पूजा में विश्वास था?
(1) ब्राह्मण धर्म
(2) कालामुख सम्प्रादाय
(3) बौद्ध धर्म
(4) जैन धर्म
नीचे दिए गए कूटों से सही उत्तर चुनिए-
(a) 1, 2 एवं 3
(c) 1,3 एवं 4
(b) 1, 2 एवं 4
(d) 2, 3 एवं 4
उत्तर : (b) : व्याख्या : ब्राह्मण धर्म, कालामुख सम्प्रदाय, और जैन धर्म में यक्ष और यक्षणियों की पूजा का विश्वास था।
11. निम्नलिखित में जैन धर्म से संम्बन्धित है-
(1) अनेकान्तवाद
(2) स्यादवाद
(3) शून्यवाद
(4) सर्वस्तिवाद
कूटः
(a) 1 एवं 2
(c) 1, 2 एवं 3
(b) 3 एवं 4
(d) सभी
उत्तर : (a) : व्याख्या : जैन धर्म में अनेकान्तवाद और स्यादवाद प्रमुख हैं। शून्यवाद और सर्वस्तिवाद बौद्ध धर्म और अन्य सम्प्रदायों से संबंधित हैं।
12. जैन तीर्थंकारों के जीवन वृत कहां उपलब्ध हैं?
(a) भगवती सूत्र में
(b) कल्पसूत्र में
(c) दोंनों में
(d) इनमें से कोई नहीं।
उत्तर : (b) : व्याख्या : कल्पसूत्र में जैन तीर्थंकारों के जीवनवृतों का विस्तृत वर्णन मिलता है, जो जैन धर्म के धार्मिक ग्रंथों में महत्वपूर्ण स्थान रखता है।
13. सुमेलित करें-
सूची-1 (जैन तीर्थंकर) | सूची-II (प्रतीक) |
(A) ऋषभदेव | 1. सिंह |
(B) अरिष्टनेमि | 2. सर्प फण |
(C) पार्श्वनाथ | 3. शंख |
(D) महावीर | 4. वृषभ |
कूट :ABCD
(a)1234
(b)3421
(*c)4321
(d)2431
उत्तर : (c) :
व्याख्या : यहां सुमेलित जोड़ी इस प्रकार है:
•(A) ऋषभदेव → 4. वृषभ
•(B) अरिष्टनेमि → 3. शंख
•(C) पार्श्वनाथ → 2. सर्प फण
•(D) महावीर → 1. सिंह
14. जैन धर्म के प्रथम तीर्थंकर कौन थे?
(a) पार्श्वनाथ
(b) ऋषभदेवी
(c) महावीर
(d) चेतक
उत्तर : (b) : व्याख्या : ऋषभदेव जैन धर्म के प्रथम तीर्थंकर थे। उन्हें भगवान आदिनाथ भी कहा जाता है और उनका प्रतीक चिन्ह वृषभ (बैल) है।
15. जैन ‘तीर्थंकर’ पार्श्वनाथ निम्नलिखित स्थानों में से मुख्यतः किससे संबंधित थे?
(a) वाराणसी
(c) गिरिव्रज
(b) कौशाम्बी
(d) चम्पा
उत्तर : (a) : व्याख्या : जैन धर्म के 23वें तीर्थंकर पार्श्वनाथ का जन्म वाराणसी में हुआ था। वे एक क्षत्रिय राजा अश्वसेन और रानी वामा के पुत्र थे।
16.सूची-I को सूची -II से सुमेलित कीजिए तथा नीचे दिए गए कूट से सही उत्तर चुनिए
सूची-I (तीर्थंकर) | सूची-II (प्रतिमा लक्षण) |
A. आदिनाथ | 1. वृषभ |
B. मल्लिनाथ | 2. अश्व |
C. पार्श्वनाथ | 3. सर्प |
D. संभवनाथ | 4. जल-कलश |
कूट :ABCD
(a)1432
(b)1324
(c)1432
(d)2341
उत्तर : (b) :
व्याख्या : मिलान:
•आदिनाथ (ऋषभदेव) → वृषभ (1)
•मल्लिनाथ → जल-कलश (4)
•पार्श्वनाथ → सर्प (3)
•संभवनाथ → अश्व (2)
17.महावीर जैन की मृत्यु निम्नलिखित में से किस नगर में हुई?
(a) राजगीर
(b) सांची
(c) पावापुरी
(d) समस्तीपुर
उत्तर : (c) : व्याख्या : महावीर स्वामी की मृत्यु पावापुरी में हुई थी।
18. तीर्थंकर शब्द संबंधित है-
(a) बौद्ध
(b) ईसाई
(c) हिंदू
(d) जैन
उत्तर : (d) : व्याख्या : तीर्थंकर शब्द जैन धर्म से संबंधित है।
19. महावीर जैन की मृत्यु निम्नलिखित में से किस नगर में हुई?
(a) राजगीर
(c) मावापुरी
(b) सांची
(d) समस्तीपुर
उत्तर : (c) : व्याख्या : महावीर जैन की मृत्यु पावापुरी में हुई थी।
20. निम्नलिखित में से कौन एक जैन तीर्थंकर नहीं था ?
(a) चंद्रप्रभु
(b) नाथमुनि जैमि
(c) मल्लिनाथ
(d) संभव
उत्तर : (b) : व्याख्या : नाथमुनि जैमि जैन तीर्थंकर नहीं थे।
21. प्रभासगिरि जिनका तीर्थ स्थल है, वे हैं –
(a) बौद्ध
(b) जैन
(c) मल्लिनाथ
(d) वैष्णव
उत्तर : (b) : व्याख्या : प्रभासगिरि जैन धर्म से संबंधित एक प्रमुख तीर्थ स्थल है।
22. जैन धर्म में ‘पूर्ण ज्ञान’ के लिए क्या शब्द है?
(a) जिन
(b) रत्न
(c) कैवल्य
(d) निर्वाण
उत्तर : (c) : व्याख्या : जैन धर्म में ‘पूर्ण ज्ञान’ के लिए ‘कैवल्य’ शब्द का प्रयोग किया जाता है।
23. अणुव्रत सिद्धांत का प्रतिपादन किया था-
(a) महायान बौद्ध संप्रदाय ने
(b) हीनयान बौद्ध संप्रदाय ने
(c) जैन धर्म ने
(d) लोकायत शाखा ने
उत्तर : (c) : व्याख्या : अणुव्रत सिद्धांत का प्रतिपादन जैन धर्म ने किया था।
24. प्रारंभिक जैन साहित्य निम्नलिखित में से किस भाषा में लिखे गए?
(a) अर्ध-मागधी
(s) प्रकृत
(b) पाली
(d) संस्कृत
उत्तर : (a) :
व्याख्या : प्रारंभिक जैन साहित्य मुख्य रूप से अर्ध-मागधी भाषा में लिखा गया है।
अर्ध-मागधी भाषा और जैन साहित्य:
•अर्ध-मागधी प्राकृत भाषा का ही एक प्रमुख रूप है, जिसे जैन धर्म के प्रारंभिक ग्रंथों की रचना के लिए अपनाया गया।
•जैन धर्म के प्रमुख ग्रंथ, जिन्हें आगम कहा जाता है, इसी भाषा में लिखे गए हैं।
•महावीर स्वामी, जो जैन धर्म के 24वें तीर्थंकर थे, ने अपने उपदेश भी अर्ध-मागधी में दिए।
•अर्ध-मागधी उस समय जन-साधारण की बोली थी, जिससे जैन धर्म के विचार आम लोगों तक आसानी से पहुँच सके।
25. निम्नलिखित में से कौन-सा स्थल पार्श्वनाथ से संबद्ध होने के कारण जैन-सिद्ध क्षेत्र माना जाता है?
(a) चंपा
(b) पावा
(c) सम्मेद शिखर
(d) ऊर्जयंत
उत्तर : (c) :
व्याख्या : सम्मेद शिखर और पार्श्वनाथ का संबंध:
•सम्मेद शिखर (परसनाथ पर्वत) झारखंड के गिरिडीह जिले में स्थित है और इसे जैन धर्म का सबसे पवित्र तीर्थस्थल माना जाता है।
•यह स्थल 23वें तीर्थंकर भगवान पार्श्वनाथ से विशेष रूप से जुड़ा है। ऐसा माना जाता है कि पार्श्वनाथ ने यहीं पर मोक्ष (निर्वाण) प्राप्त किया था।
•जैन धर्म में 24 में से 20 तीर्थंकरों ने यहीं से मोक्ष प्राप्त किया, इसलिए इसे जैन-सिद्ध क्षेत्र कहा जाता है।
📌 महत्वपूर्ण तथ्य:
•सम्मेद शिखर को पारसनाथ पर्वत के नाम से भी जाना जाता है।
•यह स्थल श्वेतांबर और दिगंबर दोनों जैन संप्रदायों के लिए पवित्र है।
•हर वर्ष हजारों जैन तीर्थयात्री यहाँ दर्शन और तपस्या के लिए आते हैं।
📢 Important Notice
और भी अच्छे प्रश्नो का संग्रह तैयार किया जा रहा है आप सभी पेज को विजिट करते रहे धन्यवाद
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