1.भारत में चांदी की उपलब्धता के प्राचीनतम साक्ष्य मिलते हैं-
(a) हड़प्पा संस्कृति में
(b) पश्चिमी भारत की ताम्रपाषाण संस्कृति में
(c) वैदिक संहिताओं में
(d) चांदी के आहत सिक्कों में
उत्तर : (a) :
व्याख्या : भारत में चांदी की उपलब्धता के सबसे प्राचीन साक्ष्य हड़प्पा सभ्यता (सिंधु घाटी सभ्यता) से प्राप्त होते हैं। हड़प्पा संस्कृति (2500-1900 ईसा पूर्व) के विभिन्न पुरातात्विक स्थलों जैसे मोहनजोदड़ो, हड़प्पा, कालीबंगा और धोलावीरा में खुदाई के दौरान चांदी के आभूषण, बर्तन और मुद्राएँ पाई गई हैं।
🔹 हड़प्पा काल में चांदी का स्रोत:
•हड़प्पा सभ्यता में चांदी मुख्यतः अफगानिस्तान, ईरान और राजस्थान (कुण्डी क्षेत्र) से लाई जाती थी।
•ऐसा माना जाता है कि चांदी के लिए व्यापारिक मार्गों का उपयोग किया जाता था, जिससे हड़प्पाई लोग चांदी को तांबे और अन्य धातुओं के साथ विनिमय कर प्राप्त करते थे।
🔹 अन्य विकल्प क्यों गलत हैं?
(b) पश्चिमी भारत की ताम्रपाषाण संस्कृति में – यह संस्कृति मुख्य रूप से तांबे और कांसे के उपयोग के लिए जानी जाती थी, चांदी का उतना अधिक उपयोग नहीं था।
(c) वैदिक संहिताओं में – वैदिक ग्रंथों में चांदी का उल्लेख मिलता है, लेकिन इसका प्रयोग व्यापक रूप से बाद के काल में हुआ।
(d) चांदी के आहत सिक्कों में – आहत सिक्के मुख्य रूप से महाजनपद काल (छठी शताब्दी ईसा पूर्व) में प्रचलित हुए, जो हड़प्पा संस्कृति से बहुत बाद की बात है।
सिंधु घाटी सभ्यता : MCQ QUIZ
सिंधु घाटी सभ्यता /हड़प्पा सभ्यता संबंधित महत्वपूर्ण प्रश्नोत्तर अभ्यास उपल्बध करा रहे जिससे आप किसी भी Gornmment Exam की तैयारी कर रहे है तो यह टेस्ट आप के लिए बहुत महत्वपूर्ण साबित होगा क्यों कि यहा हड़प्पा सभ्यता संबंधित प्रश्न नवीनतम परीक्षा पैटर्न पर आधारित है और व्याख्यात्मक हल के साथ सभी राज्य व केंद्र स्तरीय परीक्षाओं के लिए अतिमहत्पूर्ण है
संक्षिप नोट्स : सिंधु घाटी सभ्यता /हड़प्पा सभ्यता
सिंधु घाटी सभ्यता (Indus Valley Civilization) भारत की प्राचीनतम नगरीय सभ्यता मानी जाती है। खुदाई में प्राप्त अवशेषों से यह स्पष्ट होता है कि इस सभ्यता के लोग पक्के मकानों, जल निकासी प्रणाली और व्यापारिक व्यवस्थाओं को अपनाए हुए थे। इस सभ्यता की खोज 1921 में पाकिस्तान के हड़प्पा में हुई थी, इसलिए इसे हड़प्पा सभ्यता भी कहा जाता है।
सिंधु घाटी सभ्यता का कालखंड
- .प्रारंभिक हड़प्पा संस्कृति अथवा प्राक् हड़प्पा संस्कृति (3200-2600 ईसा पूर्व) – नगरों की आधारशिला रखी गई।
- परिपक्व हड़प्पा संस्कृति अथवा परिपक्व हड़प्पा सभ्यता (2600-1900 ईसा पूर्व) – सुनियोजित नगर, व्यापार, लिपि और जल निकासी प्रणाली विकसित हुई।
- . उत्तरवर्ती हड़प्पा संस्कृति अथवा परवर्ती हड़प्पा संस्कृति (1900-1300 ईसा पूर्व) – सभ्यता का पतन, शहरीकरण की समाप्ति और ग्राम व्यवस्था का विकास।
सिंधु घाटी सभ्यता के प्रमुख स्थल
- हड़प्पा (पाकिस्तान) – पहला खोजा गया स्थल, अनाज भंडार, सुनियोजित नगर।
- मोहनजोदड़ो (पाकिस्तान) – महान स्नानागार, नृत्य करती बालिका की मूर्ति, पक्की ईंटों के भवन।
- लोथल (गुजरात, भारत) – प्राचीन बंदरगाह, गोदाम, धातु एवं मनका उद्योग।
- कालीबंगा (राजस्थान, भारत) – जले हुए खेतों के प्रमाण, हल के प्रयोग के साक्ष्य।
- धोलावीरा (गुजरात, भारत) – उन्नत जल संचयन प्रणाली, नगर तीन भागों में विभाजित।
- राखीगढ़ी (हरियाणा, भारत) – अब तक का सबसे बड़ा हड़प्पा स्थल, मकानों के अवशेष।
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2. हड़प्पा में मिट्टी के बर्तनों पर सामान्यतः किस रंग का उपयोग हुआ था?
(a) लाल
(b) नीला-हरा
(c) पांडु
(d) नीला
उत्तर : (a) :
व्याख्या : हड़प्पा सभ्यता में लाल रंग के मिट्टी के बर्तनों (Red Ware Pottery) का सबसे अधिक उपयोग किया गया। इन बर्तनों पर काले रंग से ज्यामितीय आकृतियाँ, पशु, पक्षी और पत्तियों के चित्र बनाए जाते थे।
🔹 विशेषताएँ:
•बर्तन सुरेख लाल मृद्भांड (Fine Red Ware) तकनीक से बनाए जाते थे।
•काले रंग से सुंदर अलंकरण किए जाते थे।
•बर्तन हाथ से और चाक द्वारा दोनों विधियों से बनाए जाते थे।
•धोलावीरा, लोथल, कालीबंगा जैसे स्थलों से ऐसे बर्तन मिले हैं।
📌 याद रखें: हड़प्पा सभ्यता के बर्तन = लाल रंग + काले चित्रांकन
3. नीचे लिखे स्थानों को नदियों से सुमेलित करे-
सूची-I | सूची-II |
(a) हड़प्पा | 1. सिंधु नदी |
((b) मोहनजोदड़ो | 2. सिंधु नदी |
((c) चन्हूदड़ों | 3. रावी नदी |
(d) आलमगीरपुर | 4. झेलम नदी |
5. हिण्डन नदी |
कूट : ABCD
(a) 1234
(b) 3215
(c) 124 5
(d) 3541
उत्तर : (b) :
व्याख्या :
🔹 हड़प्पा – यह स्थल रावी नदी के किनारे स्थित था और हड़प्पा सभ्यता का पहला खोजा गया स्थल था।
🔹 मोहनजोदड़ो – इसे “मृतकों का टीला” कहा जाता है और यह सिंधु नदी के किनारे स्थित था।
🔹 चन्हूदड़ों – यह भी सिंधु नदी के किनारे बसा एक महत्वपूर्ण व्यापारिक केंद्र था।
🔹 आलमगीरपुर – यह हड़प्पा सभ्यता का सबसे पूर्वी स्थल है और हिण्डन नदी (यमुना की सहायक नदी) के किनारे स्थित था।
📌 याद रखने की ट्रिक:
•हड़प्पा = रावी
•मोहनजोदड़ो + चन्हूदड़ों = सिंधु
•आलमगीरपुर = हिण्डन
4. हड़प्पावासियों को निम्न में से क्या ज्ञात नहीं था?
(a) नालियों का निर्माण
(b) मेहराबों का निर्माण
(c) स्तम्भों का निर्माण
(d) सड़कों का निर्माण
उत्तर : (b) :
व्याख्या :
🔹 क्या ज्ञात था?
✔ नालियों का निर्माण – हड़प्पावासियों की सबसे महत्वपूर्ण विशेषता उनकी उन्नत जल निकासी व्यवस्था थी।
✔ सड़कों का निर्माण – नगरों की सड़कों की योजना ग्रिड प्रणाली पर आधारित थी, जो सीधी और चौड़ी थीं।
✔ स्तम्भों का निर्माण – कुछ संरचनाओं में लकड़ी और पत्थर के स्तम्भों का उपयोग हुआ था।
🔹 क्या ज्ञात नहीं था?
मेहराबों का निर्माण – हड़प्पावासियों को सच्चे मेहराब (True Arch) बनाने की तकनीक नहीं आती थी। वे भवन निर्माण के लिए त्रिभुजाकार प्रवेशद्वार या लकड़ी-सपाट छत प्रणाली का उपयोग करते थे। मेहराब का विकास बाद में मौर्य और गुप्त काल में हुआ।
📌 याद रखने की ट्रिक: हड़प्पा = उन्नत नगर योजना, मेहराब
5. मानव समाज विलक्षण है, क्योंकि मुख्यता आश्रित है-
(a) संस्कृति पर
(b) अर्थव्यवस्था पर
(c) धर्म पर
(d) विज्ञान पर
उत्तर : (a) :
व्याख्या : मानव समाज की खासियत यह है कि यह संस्कृति पर आधारित होता है। संस्कृति में हमारी भाषा, परंपराएँ, रीति-रिवाज, कला, संगीत, ज्ञान और मूल्यों का समावेश होता है, जो हमें दूसरों से अलग बनाते हैं।
🔹 संस्कृति क्यों ज़रूरी है?
✔ यह हमें पहचान और एकता देती है।
✔ यह ज्ञान और परंपराओं को पीढ़ी-दर-पीढ़ी आगे बढ़ाती है।
✔ समाज के नियम-कायदे और रहन-सहन संस्कृति से ही तय होते हैं।
🔹 अन्य विकल्प क्यों नहीं?
❌ अर्थव्यवस्था – समाज के विकास में मदद करती है, लेकिन यह संस्कृति पर निर्भर करती है।
❌ धर्म – समाज का हिस्सा है, लेकिन हर समाज एक ही धर्म को नहीं मानता।
❌ विज्ञान – विज्ञान जीवन को आसान बनाता है, लेकिन समाज की पहचान उसकी संस्कृति से होती है।
📌 याद रखो: संस्कृति = समाज की आत्मा
6. सिंघ सभ्यता के निवासी मूलतः किस प्रजाति के थे?
(a) मंगोलायड
(b) प्रोटोआस्ट्रेलायड
(c) भूमध्यसागरीय
(d) निग्रोयड
उत्तर : (c) :
व्याख्या : सिंधु घाटी सभ्यता के लोग मुख्यतः भूमध्यसागरीय (Mediterranean) प्रजाति के थे। यह प्रजाति लंबे कद, पतले चेहरे, सीधी नाक और गेहुँआ रंग की त्वचा वाली होती थी।
🔹 कैसे पता चला?
✔ खुदाई में मिले कंकालों के अध्ययन (मानव विज्ञान – Anthropology) से यह पता चला है।
✔ हड़प्पावासियों के चेहरे-मोहरे की बनावट दक्षिण भारत और भूमध्य क्षेत्र के लोगों से मिलती-जुलती थी।
✔ इनके साथ ही कुछ प्रोटो-ऑस्ट्रेलायड, मंगोलायड और निग्रोयड प्रजातियों के लोग भी यहाँ रहते थे, लेकिन मुख्य प्रजाति भूमध्यसागरीय थी।
🔹 अन्य विकल्प क्यों नहीं?
मंगोलायड – यह प्रजाति मुख्यतः चीन, मंगोलिया और तिब्बत में पाई जाती थी।
प्रोटो-ऑस्ट्रेलायड – यह प्रजाति ऑस्ट्रेलिया और दक्षिण एशिया में आदिवासी समूहों में देखी जाती है।
निग्रोयड – यह प्रजाति मुख्यतः अफ्रीका से संबंधित है।
📌 याद रखने की ट्रिक: हड़प्पावासी = भूमध्यसागरीय, लेकिन अन्य प्रजातियाँ भी थीं!
7. हड़प्पा संस्कृति के स्थलों का सर्वाधिक संकेन्द्रण निम्नांकित किस नदी के किनारे प्राप्त हुआ है-
(a) रावी
(b) हिन्डन
(c) घग्गर-हाकरा
(d) सिन्धु
उत्तर : (d) :
व्याख्या : हड़प्पा संस्कृति के स्थलों का मुख्य संकेन्द्रण सिन्धु नदी के किनारे पाया गया है। यह नदी इस सभ्यता के जीवन का महत्वपूर्ण हिस्सा थी, क्योंकि इसके पानी की आपूर्ति ने कृषि और व्यापार को संभव बनाया।
🔹 मुख्य हड़प्पा स्थल:
+ मोहनजोदड़ो, हड़प्पा, कालीबंगा, लोथल जैसे प्रमुख स्थल सिन्धु नदी और इसके उपनदियों के किनारे स्थित थे।
+ नदी के किनारे रहने से व्यापार, जल निकासी, और कृषि में मदद मिली।
🔹 अन्य नदियाँ क्यों नहीं?
+रावी – यह नदी भी हड़प्पा संस्कृति के कुछ हिस्सों से जुड़ी है, लेकिन संकेन्द्रण सिन्धु नदी के आसपास अधिक था।
+ हिन्डन – यह नदी मुख्य रूप से उत्तर भारत में है, लेकिन हड़प्पा सभ्यता के प्रमुख स्थल इसके पास नहीं पाए गए।
+ घग्गर-हाकरा – यह नदी अब सूख चुकी है, लेकिन पुराने समय में यह सिन्धु नदी का एक हिस्सा थी।
📌 याद रखें: हड़प्पा = सिन्धु नदी की सभ्यता
8. नीचे दिये गये कूट से सही उत्तर का चयन करें–
कथन (A) : हड़प्पीय धर्म के एक लक्षण के रूप में मातृ देवी की पूजा हड़प्पा संस्कृति के सभी प्रमुख नगरों में प्रचलित थी। कथन
कारण (R) : हड़प्पा और मोहनजोदड़ों से पकी मिट्टी की स्त्री आकृतियां बड़ी संख्या में प्राप्त हुई हैं।
(a) A और R दोनों सही हैं और A की सही व्याख्या R है।
(b) A और R दोंनों सही हैं और A का सही व्याख्या R नहीं है।
(c) A सही लेकिन R गलत है।
(d) A गलत है परन्तु R सही है।
उत्तर : (a) :
व्याख्या :
🔹 कथन (A):
हड़प्पा सभ्यता में मातृ देवी (Mother Goddess) की पूजा का प्रमाण मिलता है, क्योंकि विभिन्न स्थानों से महिलाओं की आकृतियाँ और मूर्तियाँ मिली हैं, जो उनके धार्मिक आस्थाओं को दर्शाती हैं। यह पूजा प्राकृतिक शक्तियों और उर्वरता से जुड़ी रही होगी।
🔹 कथन (R):
हां, हड़प्पा और मोहनजोदड़ों से बड़ी संख्या में मिट्टी की स्त्री आकृतियाँ प्राप्त हुई हैं, जो इस बात का संकेत हैं कि मातृ देवी की पूजा प्रचलित थी। ये मूर्तियाँ खासकर उर्वरता और स्त्रीत्व के प्रतीक के रूप में थीं।
📌 याद रखें: हड़प्पा संस्कृति में मातृ देवी की पूजा = मिट्टी की स्त्री मूर्तियाँ
9. मूर्ति पूजा का आरंभ कब से माना जाता हैं?
(a) पूर्व आर्य
(b) उत्तर वैदिक काल
(c) मौर्य काल
(d) कुषाण काल
उत्तर : (a) :
व्याख्या : मूर्ति पूजा का आरंभ पूर्व आर्य काल से माना जाता है, यानी इससे पहले कि आर्य लोग भारत में आए। हड़प्पा सभ्यता में मातृ देवी की मूर्तियाँ और विभिन्न प्राकृतिक शक्तियों की पूजा के प्रमाण मिलते हैं। यह दिखाता है कि मूर्ति पूजा प्राचीन भारतीय संस्कृति का एक हिस्सा रही थी और इससे पहले कि वेदिक युग और आर्य संस्कृति आई, लोग पहले से मूर्तियों की पूजा करते थे।
🔹 पूर्व आर्य काल:
•हड़प्पा संस्कृति (सिंधु घाटी सभ्यता) में मूर्तियों की पूजा की प्रथा थी।
•हड़प्पा सभ्यता में मातृ देवियों और अन्य देवी-देवताओं की मूर्तियाँ पाई गई हैं।
📌 याद रखें: मूर्ति पूजा का आरंभ = पूर्व आर्य काल
10. हड़प्पा निम्नलिखित में से सभ्यता से संबद्ध है?
(a) सुमेरियन सभ्यता
(b) सिंधु घाटी सभ्यता
(c) वैदिक सभ्यता
(d) मेसोपोटामिया सभ्यता
उत्तर : (a) :
व्याख्या : हड़प्पा सभ्यता सिंधु घाटी सभ्यता का एक प्रमुख हिस्सा थी, जिसे Indus Valley Civilization भी कहा जाता है। यह सभ्यता लगभग 3300 से 1300 ईसा पूर्व तक फैली हुई थी, और इसके प्रमुख स्थल हड़प्पा, मोहनजोदड़ो, लोथल और कालीबंगा थे।
🔹 संबंध क्यों?
✔ हड़प्पा सभ्यता सिंधु नदी के किनारे विकसित हुई थी, इसलिए इसे सिंधु घाटी सभ्यता कहा जाता है।
✔ हड़प्पा सभ्यता का नगर नियोजन, जल निकासी व्यवस्था, बर्तन, मूर्तियाँ और लेखन सभी सिंधु घाटी सभ्यता से संबंधित हैं।
🔹 अन्य विकल्प क्यों नहीं?
+ सुमेरियन सभ्यता – यह मेसोपोटामिया क्षेत्र (वर्तमान इराक) में थी, हड़प्पा से नहीं जुड़ी।
+ वैदिक सभ्यता – यह हड़प्पा सभ्यता के बाद आई थी, और इसका मुख्य केंद्र उत्तर भारत था।
+ मेसोपोटामिया सभ्यता – यह भी सुमेर और अन्य नगरों के पास थी, लेकिन हड़प्पा से अलग थी।
📌 याद रखें: हड़प्पा = सिंधु घाटी सभ्यता
11. सैंधव संस्कृति मे पाई गई ‘शिव’ की मुहर पर निरूपित आकृति की पहचान के संदर्भ में निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिए-
1. यह योगमुद्रा में बैठे हुए रूप में दिखाई गई है
2. यह ‘शिव मूर्ति’ के रूप में दिखाई गई है
3. यह दो ओर से पशुओं से घिरी हुई है
4. यह एक स्त्री आकृति के साथ बनायी गई है जिसकी पार्वती के रूप में पहचान की जा सकती है।
उपर्युक्त में से सत्य कथन की पहचान कीजिए-
(a) 1 एवं 2
(b) 2 और 3
(c) 1 और 3
(d) 3 और 4
उत्तर : (c) :
व्याख्या : सैंधव संस्कृति में पाई गई शिव की मुहर पर एक योगमुद्रा में बैठी हुई आकृति है, जिसे अक्सर ‘पुराणिक शिव’ के रूप में पहचाना जाता है। इस आकृति के आसपास कुछ पशु (जैसे हाथी, बाघ) होते हैं, जो इसे एक विशिष्ट रूप देते हैं।
🔹 क्यों सही है?
✔ कथन 1: आकृति योगमुद्रा में बैठी हुई दिखती है, जो शिव के ध्यान मुद्रा को दर्शाता है।
✔ कथन 3: आकृति को पशुओं से घिरी हुई दिखाया गया है, जो आमतौर पर शिव के पशु साथी होते हैं।
🔹 अन्य कथन क्यों नहीं?
❌ कथन 2: मुहर पर ‘शिव मूर्ति’ के रूप में स्पष्ट पहचान नहीं मिलती, बल्कि यह योग मुद्रा में बैठी आकृति है।
❌ कथन 4: स्त्री आकृति के साथ पार्वती की पहचान स्पष्ट रूप से नहीं की जाती इस मुहर में।
📌 याद रखें: शिव की मुहर = योगमुद्रा और पशु घेराव ✅
12. हड़प्पा संस्कृति से प्राप्त हुई मुहरों पर निम्न में से किस पशु का अंकन नहीं हुआ है?
(a) हाथी
(b) बाघ
(c) गैडा
(d) गाय
उत्तर : (d) :
व्याख्या : हड़प्पा संस्कृति से प्राप्त मुहरों पर विभिन्न पशुओं का अंकन किया गया था, जैसे हाथी, बाघ, गैडा और अन्य जानवरों का। हालांकि, गाय का अंकन मुहरों पर नहीं पाया गया।
🔹 क्यों गाय नहीं है?
✔ हड़प्पा सभ्यता में गाय की पूजा और महत्व था, लेकिन मुहरों पर इसके अंकन का कोई प्रमाण नहीं मिलता।
✔ मुहरों पर बाघ और गैडा जैसे शिकारियों और मजबूत जानवरों का अंकन अधिक हुआ है।
📌 याद रखें: गाय का अंकन हड़प्पा मुहरों पर नहीं था!
13. हड़प्पा सभ्यता के बारे में निम्न में से कौन सा कथन असत्य है?
(a) मातृ देवी की पूजा की जाती थी।
(b) लोग लोहे से परिचित थे।
(c) व्यापार और वाणिज्य विकसित अवस्था में था।
(d) नगरों में नालियों की सुदृढ़ व्यवस्था थी।
उत्तर : (b) :
व्याख्या : हड़प्पा सभ्यता में लोहे का प्रयोग नहीं किया जाता था, बल्कि इस समय तक तांबे और कांसे का ही प्रयोग होता था। हड़प्पा काल के लोग लोहे से अवगत नहीं थे।
🔹 क्या था सच?
✔ मातृ देवी की पूजा – हड़प्पा सभ्यता में मातृ देवी की पूजा के प्रमाण मिले हैं।
✔ व्यापार और वाणिज्य – हड़प्पा में अच्छा व्यापार होता था, विशेष रूप से सुमेर, मेसोपोटामिया और अन्य स्थानों के साथ।
✔ नालियों की सुदृढ़ व्यवस्था – हड़प्पा के नगर नियोजन और जल निकासी व्यवस्था अत्यंत विकसित थी।
📌 याद रखें: हड़प्पा में लोहे का प्रयोग नहीं था!
14. सिंधु सभ्यता संबंधित है-
(a) प्रागैतिहासिक युग से
(b) आद्य ऐतिहासिक युग से
(c) ऐतिहासिक युग से
(d) उत्तर-ऐतिहासिक युग से
उत्तर : (b) :
व्याख्या : सिंधु सभ्यता (हड़प्पा सभ्यता) को आद्य ऐतिहासिक युग से जोड़ा जाता है, क्योंकि यह सभ्यता लिखित इतिहास से पहले की है, लेकिन इसके बावजूद लिखाई के प्रारंभिक रूप, जैसे पढी जाने योग्य मुहरें और अन्य लिखाई के निशान मिलते हैं।
🔹 आद्य ऐतिहासिक युग:
•यह लिखित इतिहास के प्रारंभ से पहले का समय था, जब सभ्यता के लोग कुछ लिखाई के चिन्ह और प्रतीक इस्तेमाल करते थे।
•इस युग में लेखन का प्रारंभ हुआ था, लेकिन यह आज के हिसाब से पूरी तरह से व्यवस्थित और विकसित नहीं था।
15. सैंधव मुहरों का सर्वाधिक प्रचलित प्रकार कैसा था–
(a) वर्गाकार
(b) गोल
(c) बेलनाकार
(d) इनमें से कोई नहीं
उत्तर : (a) :
व्याख्या : सैंधव सभ्यता (हड़प्पा संस्कृति) से प्राप्त मुहरों में वर्गाकार (square-shaped) मुहरे सबसे अधिक प्रचलित थे। ये मुहरे गांठों, व्यापारिक चिन्हों और अन्य प्रतीकों के रूप में इस्तेमाल किए जाते थे।
🔹 वर्गाकार मुहरे:
✔ इनमें अक्सर पशुओं, लोगों, लेखन और अन्य प्रतीकों का अंकन किया जाता था।
✔ इन मुहरों का मुख्य उद्देश्य व्यापार और प्रशासन के कार्यों में था।
📌 याद रखें: सैंधव मुहरे = वर्गाकार!
16. सूची–I (प्राचीन स्थल) को सूची–II (पुरातत्वीय खोज) के साथ सुमेलित कीजिए और सूचियों के नीचे दिए गए कूट का प्रयोग कर सही उत्तर चुनिए–
सूची–I (प्राचीन स्थल) | सूची–II (पुरातत्वीय खोज) |
(A) लोथल | 1. जुता हुआ खेत |
(B) कालीबंगा | 2. गोदीबाड़ा |
(C) धौलावीरा | 3. पक्की मिट्टी की बनी हुई हल की प्रतिकृति |
(D) बनावली | 4. हडप्पन लिपि के बड़े आकार के दस चिन्हों वाला एक शिलालेख |
कूट:
(a) 1 2 3 4
(b) 2 1 4 3
(c) 1 2 4 3
(d) 2 1 3 4
उत्तर : (a) :
व्याख्या : सही सुमेलित विवरण:
•लोथल (A): गोदीबाड़ा – लोथल को एक प्रमुख बंदरगाह के रूप में जाना जाता है, और वहां गोदीबाड़ा (dockyard) की खोज की गई थी।
•कालीबंगा (B): जुता हुआ खेत – कालीबंगा में प्राचीन जुताई का प्रमाण पाया गया था, जो कृषि संबंधी प्राचीन गतिविधियों का संकेत देता है।
•धौलावीरा (C): हडप्पन लिपि के बड़े आकार के दस चिन्हों वाला एक शिलालेख – धौलावीरा में हड़प्पन लिपि के शिलालेख पाए गए थे।
•बनावली (D): पक्की मिट्टी की बनी हुई हल की प्रतिकृति – बनावली से हल की एक पक्की मिट्टी की प्रतिकृति मिली थी, जो कृषि के महत्व को दर्शाती है।
📌 याद रखें: प्रत्येक स्थल की खोज विशिष्ट थी, और यह सवाल उन विशेष खोजों को सही स्थल से जोड़ने का था।
17.सिंधु घाटी की सभ्यता गैर-आर्य थी, क्योंकि-
(a) वह नगरीय सभ्यता थी।
(b) उसकी अपनी लिपि थी।
(c) उसकी खेतिहर अर्थव्यवस्था थी।
(d) उसका विस्तार नर्मदा घाटी तक था।
उत्तर : (a) :
व्याख्या : सिंधु घाटी सभ्यता (हड़प्पा सभ्यता) को गैर-आर्य इसलिए माना जाता है क्योंकि यह सभ्यता नगरीय थी और इसके विकास का समय आर्यकाल से पहले था। इस सभ्यता में उन्नत नगर नियोजन, जल निकासी प्रणाली, और व्यापारी नेटवर्क जैसे अद्वितीय तत्व थे, जो आर्य सभ्यता से भिन्न थे।
🔹 मुख्य कारण:
✔ सिंधु सभ्यता का नगरीय जीवन और प्रमुख शहरी केंद्र जैसे हड़प्पा, मोहनजोदड़ो इसे गैर-आर्य बनाता है।
✔ आर्य संस्कृति मुख्यतः ग्राम्य और कबीलाई जीवन में आधारित थी, जबकि सिंधु घाटी में नगरों का गठन और विकसित शहरीकरण था।
📌 याद रखें: सिंधु घाटी की सभ्यता के नगरीय जीवन और अन्य विशिष्ट विशेषताओं ने इसे गैर-आर्य बना दिया।
18.निम्न में से सबसे पहले किसने यह विचार व्यक्त किया था कि आर्यों ने भारत में पश्चिमोत्तर से प्रवेश किया था और हड़प्पा संस्कृति को नष्ट किया?
(a) मैक्समूलर
(b) जेम्स प्रिंसेप
(c) जें. एस. मिल
(d) हवीलर एवं गार्डन चाइल्ड
उत्तर : (d) :
व्याख्या : हवीलर और गार्डन चाइल्ड ने सबसे पहले यह विचार व्यक्त किया था कि आर्य भारत में पश्चिमोत्तर से प्रवेश किए थे और उन्होंने हड़प्पा सभ्यता को नष्ट किया। यह दृष्टिकोण 19वीं सदी के अंत और 20वीं सदी की शुरुआत में लोकप्रिय हुआ था, जब यह विचार किया गया कि आर्य आक्रमणकारी थे जिन्होंने हड़प्पा संस्कृति को विनष्ट कर दिया।
🔹 क्या कहा था?
✔ आर्य भारत में पश्चिमोत्तर से आए और उन्होंने हड़प्पा सभ्यता के साथ संघर्ष किया, जिससे यह सभ्यता नष्ट हो गई।
✔ हालांकि, यह विचार अब विवादास्पद माना जाता है, क्योंकि हाल के शोधों ने यह सिद्ध किया है कि हड़प्पा संस्कृति का अंत प्राकृतिक कारणों और आंतरिक बदलावों के कारण हुआ था, न कि बाहरी आक्रमणों के कारण।
📌 याद रखें: हवीलर और गार्डन चाइल्ड ने सबसे पहले यह विचार व्यक्त किया था।
19. सूची–I (प्राचीन स्थल) को सूची–II (पुरातत्वीय खोज) के साथ सुमेलित कीजिए और सूचियों के नीचे दिए गए कूट का प्रयोग कर सही उत्तर चुनिए–
सूची–I (प्राचीन स्थल) | सूची–II (पुरातत्वीय खोज) |
(A) लोथल | 1. जुता हुआ खेत |
(B) कालीबंगा | 2. गोदीबाड़ा |
(C) धौलावीरा | 3. पक्की मिट्टी की बनी हुई हल की प्रतिकृति |
(D) बनावली | 4. हडप्पन लिपि के बड़े आकार के दस चिन्हों वाला एक शिलालेख |
कूट:
(a) 1 2 3 4
(b) 2 1 4 3
(c) 1 2 4 3
(d) 2 1 3 4
उत्तर : (b) :
व्याख्या : संक्षिप्त और आसान व्याख्या:
सही सुमेलित विवरण:
•लोथल (A): गोदीबाड़ा (2) – लोथल को एक प्रमुख बंदरगाह के रूप में जाना जाता है, और वहाँ गोदीबाड़ा (dockyard) की खोज की गई थी।
•कालीबंगा (B): जुता हुआ खेत (1) – कालीबंगा में प्राचीन जुताई का प्रमाण पाया गया था, जो कृषि संबंधी प्राचीन गतिविधियों का संकेत देता है।
•धौलावीरा (C): हडप्पन लिपि के बड़े आकार के दस चिन्हों वाला एक शिलालेख (4) – धौलावीरा में हड़प्पन लिपि के शिलालेख पाए गए थे।
•बनावली (D): पक्की मिट्टी की बनी हुई हल की प्रतिकृति (3) – बनावली से हल की एक पक्की मिट्टी की प्रतिकृति मिली थी, जो कृषि के महत्व को दर्शाती है।
📌 याद रखें: प्रत्येक स्थल की खोज विशिष्ट थी, और यह सवाल उन विशेष खोजों को सही स्थल से जोड़ने का था।
20. निम्न में से सबसे पहले किसने यह विचार व्यक्त किया था कि आर्यों ने भारत में पश्चिमोत्तर से प्रवेश किया था और हड़प्पा संस्कृति को नष्ट किया?
(a) मैक्समूलर
(c) जें. एस. मिल
(b) जेम्स प्रिंसेप
(d) हवीलर एवं गार्डन चाइल्ड
उत्तर : (d) :
व्याख्या : हवीलर और गार्डन चाइल्ड ने सबसे पहले यह विचार व्यक्त किया था कि आर्य भारत में पश्चिमोत्तर से प्रवेश किए थे और उन्होंने हड़प्पा सभ्यता को नष्ट किया। यह दृष्टिकोण 19वीं सदी के अंत और 20वीं सदी की शुरुआत में लोकप्रिय हुआ था, जब यह विचार किया गया कि आर्य आक्रमणकारी थे जिन्होंने हड़प्पा संस्कृति को विनष्ट कर दिया।
🔹 क्या कहा था?
✔ आर्य भारत में पश्चिमोत्तर से आए और उन्होंने हड़प्पा सभ्यता के साथ संघर्ष किया, जिससे यह सभ्यता नष्ट हो गई।
✔ हालांकि, यह विचार अब विवादास्पद माना जाता है, क्योंकि हाल के शोधों ने यह सिद्ध किया है कि हड़प्पा संस्कृति का अंत प्राकृतिक कारणों और आंतरिक बदलावों के कारण हुआ था, न कि बाहरी आक्रमणों के कारण।
📌 याद रखें: हवीलर और गार्डन चाइल्ड ने सबसे पहले यह विचार व्यक्त किया था।
21. निम्नलिखित में से कौन-सा एक हड़प्पा का बंदरगाह हैं?
(a) सिकंदरिया
(b) लोथल
(c) महास्थानगढ़
(d) नागपट्टनम
उत्तर : (b) :
व्याख्या : लोथल हड़प्पा सभ्यता का एक प्रमुख बंदरगाह था। यह गुजरात राज्य में स्थित है और यहाँ समुद्री व्यापार और गोदीबाड़ा (dockyard) के अवशेष पाए गए थे। लोथल को एक प्रमुख व्यापारिक केंद्र के रूप में जाना जाता है, जहां से व्यापारिक गतिविधियाँ, विशेष रूप से समुद्री व्यापार, आयोजित की जाती थीं।
🔹 लोथल के महत्व को समझें:
✔ लोथल का प्रमुख आकर्षण वहाँ का गोदीबाड़ा था, जो जहाजों के ठहरने और व्यापार के लिए इस्तेमाल किया जाता था।
✔ यहाँ से मिट्टी के बर्तनों, जवाहरात, गहनों और अन्य सामानों का व्यापार होता था।
📌 याद रखें: लोथल हड़प्पा सभ्यता के प्रमुख बंदरगाहों में से एक था।
22. निम्न में से किस हड़प्पाकालीन स्थल से ‘हल’ का टेराकोटा प्राप्त हुआ?
(a) धौलावीरा
(b) बनावली
(c) कालीबंगा
(d) लोथल
उत्तर : (b) :
व्याख्या : बनावली से ‘हल’ का टेराकोटा (मिट्टी से बनी प्रतिकृति) प्राप्त हुआ था। यह खोज कृषि के महत्व को दर्शाती है, क्योंकि हल कृषि कार्यों के लिए एक महत्वपूर्ण उपकरण था। बनावली में कृषि से संबंधित अन्य वस्तुएं भी प्राप्त हुई थीं, जो हड़प्पा सभ्यता की विकसित कृषि प्रणाली को दिखाती हैं।
🔹 बनावली के महत्व को समझें:
✔ बनावली से प्राप्त हल की प्रतिकृति यह दर्शाती है कि यहाँ के लोग कृषि आधारित जीवन जीते थे और कृषि के लिए उपकरणों का उपयोग करते थे।
✔ यहाँ से अन्य कृषि कार्यों से संबंधित प्रमाण भी मिले हैं, जो इस स्थल को कृषि में प्रवीण बनाते हैं।
📌 याद रखें: बनावली में हल की टेराकोटा प्रतिकृतियाँ मिली थीं, जो वहाँ की कृषि व्यवस्था का संकेत देती हैं।
23. निम्नलिखित में से कौन-सा सिंधु घाटी की सभ्यता से संबंधित स्थल नहीं है?
(a) कालीबंगन
(b) रोपड़
(c) पाटलिपुत्र
(d) लोथल
उत्तर : (b) :
व्याख्या : पाटलिपुत्र (वर्तमान पटना) सिंधु घाटी की सभ्यता से संबंधित नहीं है। पाटलिपुत्र मौर्य साम्राज्य का प्रमुख नगर था और यह सिंधु घाटी की सभ्यता के समय के बाद का था। सिंधु घाटी की सभ्यता के प्रमुख स्थल थे जैसे कालीबंगन, रोपड़, लोथल, जो सभी उस प्राचीन सभ्यता का हिस्सा थे।
🔹 सिंधु घाटी के प्रमुख स्थल:
✔ लोथल: समुद्र तट पर स्थित एक महत्वपूर्ण बंदरगाह।
✔ कालीबंगन: कृषि गतिविधियों और जुताई के प्रमाण मिले थे।
✔ रोपड़: एक अन्य महत्वपूर्ण स्थल था, जहाँ हड़प्पा संस्कृति के संकेत मिले थे।
📌 याद रखें: पाटलिपुत्र मौर्यकाल से संबंधित था, जबकि सिंधु घाटी के स्थलों का समय बहुत पहले था।
24. भारत में हड़प्पा का वृहद स्थल हैं-
(a) राखीगढ़ी
(b) धौलावीरा
(c) कालीबंगन
(d) लोथल
उत्तर : (a) :
व्याख्या : राखीगढ़ी भारत में हड़प्पा सभ्यता का एक वृहद स्थल है, जो हरियाणा राज्य में स्थित है। यह स्थल हड़प्पा सभ्यता के महत्वपूर्ण और बड़े स्थलों में से एक माना जाता है। राखीगढ़ी को हड़प्पा संस्कृति के प्रमुख केंद्र के रूप में जाना जाता है, जहाँ से महत्वपूर्ण पुरातात्विक खोजें हुई हैं।
🔹 राखीगढ़ी के महत्व को समझें:
✔ राखीगढ़ी में विशाल नगरों के अवशेष मिले हैं, जो हड़प्पा सभ्यता की उन्नत योजना और जीवनशैली को दर्शाते हैं।
✔ यहाँ मिट्टी के बर्तन, मूर्तियाँ, और आधुनिक नगर योजना के संकेत मिले हैं, जो हड़प्पा संस्कृति के उत्कृष्टता को बताते हैं।
📌 याद रखें: राखीगढ़ी हड़प्पा सभ्यता का सबसे बड़ा स्थल भारत में है।
25. भारत का सबसे बड़ा हड़प्पन पुरास्थल हैं-
(a) आलमगीरपुर
(b) कालीबंगा
(c) लोथल
(d) राखीगढ़ी
उत्तर : (d) :
व्याख्या : राखीगढ़ी भारत का सबसे बड़ा हड़प्पन पुरास्थल है, जो हरियाणा राज्य में स्थित है। यह स्थल हड़प्पा सभ्यता का एक प्रमुख और विशाल स्थल है, और इसे इस सभ्यता के सबसे बड़े शहरों में से एक माना जाता है। यहाँ पर नगर योजना, बर्तनों, मूर्तियों, और अन्य कई महत्वपूर्ण पुरातात्विक अवशेष मिले हैं, जो हड़प्पा सभ्यता की उन्नति को दिखाते हैं।
🔹 राखीगढ़ी के प्रमुख अवशेष:
✔ यहाँ पर विकसित शहर योजना, नालियाँ, और मिट्टी के बर्तन पाए गए।
✔ राखीगढ़ी में कई पक्के भवनों और विशाल घेरों के प्रमाण मिले हैं, जो इसे हड़प्पा सभ्यता के सबसे बड़े और समृद्ध स्थलों में से एक बनाते हैं।
📌 याद रखें: राखीगढ़ी भारत का सबसे बड़ा हड़प्पन पुरास्थल है। 😊
26. सूची-1 और सूची-II को सुमेलित कीजिए और सूचियों के नीचे दिए गए कूट की सहायता से उत्तर का चयन कीजिए-
सूची–I (तथ्य) | सूची–II (स्थल) |
(A) युग्म शवाधान | 1. हड़प्पा |
(B) अग्निकुंड | 2. चन्हूदड़ो |
(C) कर्मकारों के आवास | 3. लोथल |
(D) मनकाकरी | 4. बनावली |
5. कालीबंगा |
कूट:
(a) 1 2 3 4
(b) 2 1 4 3
(c) 3 4 1 2
(d) 3 5 1 2
उत्तर : (d) :
व्याख्या :
•युग्म शवाधान (A):
हड़प्पा (1) – हड़प्पा से युग्म शवाधान (married burial) की प्रणाली का प्रमाण मिला है, जिसमें शवों को एक साथ दफनाया गया था।
•अग्निकुंड (B): कालीबंगा (5)– कालीबंगा में अग्निकुंड (fire altars) की खोज की गई थी, जो धार्मिक या सांस्कृतिक महत्व के होते थे।
•कर्मकारों के आवास (C): लोथल (3) – लोथल में कर्मकारों के आवास का प्रमाण मिला, जो यह दर्शाता है कि यह स्थल एक व्यापारिक और औद्योगिक केंद्र था।
•मनकाकरी (D): चन्हूदड़ो (2)– चन्हूदड़ो में मनकाकरी (a form of craftsmanship) का पता चला था, जो वहाँ की विशेष कला और शिल्पकला को दर्शाता है।
27. स्थापित सिंधु घाटी सभ्यता जिन नदियों के तट पर बसी थी, वे थीं –
(1) सिंधु
(2) झेलम
(3) चेनाब
(4) गंगा
नीचे दिये गए कूट में से सही उत्तर का चयन कीजिए।
कूट :
(a) 1 और 2
(b) 1, 2 और 3
(c) 2, 3 और 4
(d) सभी चारों
उत्तर : (b) :
व्याख्या : सिंधु घाटी सभ्यता के प्रमुख स्थल सिंधु, चेनाब और झेलम नदियों के किनारे स्थित थे। ये नदियाँ हड़प्पा सभ्यता के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण थीं क्योंकि इन नदियों के किनारे बसे हुए स्थल सभ्यता के व्यापार, कृषि और जीवन के अन्य पहलुओं के लिए उपयुक्त थे।
🔹 नदियाँ और हड़प्पा सभ्यता:
✔ सिंधु नदी के किनारे स्थित हड़प्पा, मोहनजोदड़ो, और लोथल जैसे प्रमुख स्थल थे।
✔ चेनाब और झेलम नदियाँ भी हड़प्पा सभ्यता के अन्य प्रमुख स्थलों के लिए महत्वपूर्ण थीं, जैसे कालीबंगन और धौलावीरा।
📌 याद रखें: सिंधु, चेनाब, और झेलम नदियाँ हड़प्पा सभ्यता के प्रमुख जलस्रोत थीं।
28. सिंधु घाटी के लोग विश्वास करते थें-
(a) आत्म और ब्रह्म में
(b) कर्मकांड में
(c) यज्ञ प्रणाली में
(d) मातृ शक्ति में
उत्तर : (d) :
व्याख्या : सिंधु घाटी सभ्यता के लोग मातृ शक्ति या मातृ देवी में विश्वास करते थे। इसका सबसे बड़ा प्रमाण हड़प्पा और मोहनजोदड़ो जैसी स्थलों से प्राप्त मातृ देवी की मूर्तियाँ और स्त्री आकृतियाँ हैं। इन मूर्तियों को प्रजनन और जीवन शक्ति के प्रतीक के रूप में पूजा जाता था।
🔹 मातृ देवी की पूजा:
✔ मातृ शक्ति की पूजा सिंधु घाटी में प्राचीन समय से प्रचलित थी, जिससे यह संकेत मिलता है कि वे प्राकृतिक शक्तियों और प्रजनन क्षमता के महत्व को समझते थे।
✔ यहाँ से मिली मातृ देवी की मूर्तियाँ मुख्य रूप से स्त्री रूप में होती थीं, जो प्रजनन और उर्वरता से संबंधित थीं।
📌 याद रखें: मातृ शक्ति में विश्वास सिंधु घाटी के धार्मिक विश्वासों का एक महत्वपूर्ण हिस्सा था।
29. सिंधु घाटी के लोग पूजा करते थे-
(a) पशुपति की
(b) इंद्र और वरुण की
(c) ब्रह्मा की
(d) विष्णु की
उत्तर : (a) :
व्याख्या : सिंधु घाटी के लोग पशुपति की पूजा करते थे। यह पूजा पशुपति महादेव या शिव से संबंधित थी, जिसे “पशुपति” के रूप में एक मुहर पर अंकित किया गया था। यह आकृति एक देवता की थी, जो चार हाथों में विभिन्न पशुओं के साथ दिखाए गए थे। इसे “शिव” के रूप में माना जाता है, क्योंकि यह देवता पशुओं और प्रकृति के संरक्षक के रूप में पूजा जाता था।
🔹 पशुपति की पूजा:
✔ पशुपति को शिव का रूप माना जाता है, और यह सिंधु घाटी के लोग प्रजनन, उर्वरता, और संरक्षण के प्रतीक के रूप में पूजा करते थे।
✔ हड़प्पा और मोहनजोदड़ो से प्राप्त पशुपति की मुहर इस पूजा के महत्वपूर्ण प्रमाण हैं।
📌 याद रखें: सिंधु घाटी के लोग पशुपति (जो शिव का रूप था) की पूजा करते थे।
30. चन्हूदड़ो के उत्खनन का निर्देशन किया था –
(a) जे.एच. मैके ने
(b) सर जॉन मार्शल ने
(c) आइ.ई.एम. हीलर ने
(d) सर आरेल स्टीन ने
उत्तर : (a) : व्याख्या : चन्हूदड़ो, जो कि सिंधु घाटी सभ्यता का एक महत्वपूर्ण स्थल है, के उत्खनन का निर्देशन जे.एच. मैके (J.H. Mackay) ने किया था। यह स्थल विशेष रूप से अपने मनके निर्माण (Bead Making) और अन्य हस्तकला उद्योगों के लिए प्रसिद्ध था।
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Hii