डोनाल्ड ट्रम्प की तीसरी बार राष्ट्रपति बनने की इच्छा: क्या संविधान बदलेगा?
अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प ने हाल ही में संकेत दिए हैं कि वे तीसरी बार अमेरिका का राष्ट्रपति बनने की इच्छा रखते हैं। लेकिन क्या अमेरिकी संविधान इसकी इजाजत देता है? क्या इसके लिए संविधान में संशोधन करना होगा? आइए जानते हैं विस्तार से और साथ ही भारत से तुलना भी करते हैं।
इन सवालों के जवाब जानने से पहले यह ज़रूरी है कि आप समझें:
- भारत और अमेरिका में राष्ट्रपति कैसे चुने जाते हैं?
- दोनों देशों में राष्ट्रपति की भूमिका क्या होती है?
- और इनकी समानताएं व अंतर क्या हैं?
इस लेख में हम इन सभी बातों को सरल और साफ भाषा में समझाएंगे, ताकि आप ट्रम्प के तीसरे कार्यकाल की संभावना और उससे जुड़े संवैधानिक पहलुओं को पूरी तरह से समझ सकें।
📑 Table of Contents
- 📘 भारतीय राष्ट्रपति चुनाव अमेरिकी राष्ट्रपति चुनाव से किस प्रकार भिन्न है?
- 🗳️ अमेरिका राष्ट्रपति चुनाव में निर्वाचक मंडल (electoral College) प्रणाली क्या है?
- 🗳️ भारतीय राष्ट्रपति चुनाव में निर्वाचक मंडल (electoral College) प्रणाली क्या है?
- 📘 अमेरिका में राष्ट्रपति पद की सीमा: क्या कहता है संविधान?
- 📘 कार्यप्रणाली: समानता और अंतर
- 📘 भारत में राष्ट्रपति पद की सीमा: क्या कहता है संविधान?
- 📘 क्या ट्रम्प के लिए संविधान बदला जा सकता है?
भारतीय राष्ट्रपति चुनाव अमेरिकी राष्ट्रपति चुनाव से किस प्रकार भिन्न है?
🗳️ अमेरिका राष्ट्रपति चुनाव में निर्वाचक मंडल (electoral College) प्रणाली क्या है?

लोग अपने वोट से सीधे राष्ट्रपति को नहीं चुनते, बल्कि अपने राज्य के प्रतिनिधियों (जिन्हें निर्वाचक या “इलेक्टर्स” कहा जाता है) को चुनते हैं। ये प्रतिनिधि पहले से तय होते हैं कि किस पार्टी के उम्मीदवार को समर्थन देंगे।
- इसके बाद, चुने गए ये प्रतिनिधि मिलकर राष्ट्रपति और उपराष्ट्रपति के लिए औपचारिक वोट डालते हैं।
इन्हीं प्रतिनिधियों के समूह को “इलेक्टोरल कॉलेज” यानी निर्वाचक मंडल कहा जाता है। - सीधे कहें तो:
अमेरिकी जनता राष्ट्रपति को सीधे नहीं चुनती, बल्कि ऐसे लोगों को चुनती है जो राष्ट्रपति के लिए वोट डालते हैं।
उदाहरण से समझिये
- मान लीजिए, कैलिफोर्निया राज्य में चुनाव हो रहे हैं। वहां दो बड़े उम्मीदवार हैं – एक डेमोक्रेटिक पार्टी से और एक रिपब्लिकन पार्टी से। लोग वोट डालते हैं – ज्यादातर लोगों ने डेमोक्रेटिक पार्टी को चुना।
- तो अब कैलिफोर्निया के जितने निर्वाचक (Electors) हैं, वे सभी डेमोक्रेटिक पार्टी के उम्मीदवार के पक्ष में वोट डालेंगे।
यानी जनता ने सीधे राष्ट्रपति को वोट नहीं दिया, बल्कि ऐसे प्रतिनिधियों को चुना जिन्होंने फिर जाकर राष्ट्रपति के लिए वोट डाला।
What is the electoral college system in the Indian Presidential election?
🗳️ भारतीय राष्ट्रपति चुनाव में निर्वाचक मंडल (electoral College) प्रणाली क्या है?

भारत में राष्ट्रपति का चुनाव सीधे जनता नहीं करती, बल्कि एक निर्वाचक मंडल (Electoral College) करता है।
इस निर्वाचक मंडल में दो तरह के लोग शामिल होते हैं:
- सांसद (MPs) –
ये वे लोग हैं जो संसद के दोनों सदनों में चुने गए हैं:- लोकसभा (Lower House)
- राज्यसभा (Upper House)
- विधायक (MLAs) –
ये वे लोग हैं जो सभी राज्यों और कुछ केंद्र शासित प्रदेशों (जैसे दिल्ली और पुडुचेरी) की विधान सभाओं में चुने गए हैं।
👉 ध्यान दें:
राष्ट्रपति चुनाव में केवल चुने गए सांसद और विधायक ही वोट डालते हैं। मनोनीत (nominated) सदस्य इस प्रक्रिया में हिस्सा नहीं लेते।
कार्यप्रणाली: समानता और अंतर
🇮🇳 भारत और 🇺🇸 अमेरिका के राष्ट्रपतियों की कार्यप्रणाली: समानता और अंतर
विषय | 🇮🇳 भारत का राष्ट्रपति | 🇺🇸 अमेरिका का राष्ट्रपति |
चुनाव प्रक्रिया | परोक्ष चुनाव: सांसद और विधायक मिलकर चुनते हैं | इलेक्टोरल कॉलेज प्रणाली से (जनता द्वारा अप्रत्यक्ष) |
कार्यकाल | 5 साल | 4 साल |
पद की भूमिका | नाममात्र (Ceremonial Head), असली शक्ति प्रधानमंत्री के पास होती है | कार्यकारी प्रमुख (Executive Head), असली शक्ति राष्ट्रपति के पास होती है |
सेना प्रमुख | सैद्धांतिक रूप से सेना प्रमुख, पर निर्णय सरकार लेती है | राष्ट्रपति ही सेना का सर्वोच्च कमांडर होता है |
नियम बनाने की शक्ति | संसद बनाती है कानून, राष्ट्रपति मंजूरी देता है | राष्ट्रपति कानून के लिए प्रस्ताव भेज सकता है, Congress पास करती है |
वास्तविक कार्यकारी शक्ति | प्रधानमंत्री और मंत्रिपरिषद के पास | राष्ट्रपति स्वयं कार्यकारी प्रमुख होता है |
नियुक्तियाँ | राष्ट्रपति सरकार की सलाह से उच्च पदों पर नियुक्ति करता है | राष्ट्रपति खुद नियुक्तियाँ करता है, Senate की मंजूरी जरूरी |
महाभियोग (Impeachment) | संसद द्वारा प्रक्रिया के तहत हटाया जा सकता है | कांग्रेस द्वारा महाभियोग चलाकर हटाया जा सकता है |
समानताएँ (Similarities)
- दोनों देशों में राष्ट्रपति देश का सर्वोच्च संवैधानिक पद होता है।
- दोनों राष्ट्रपति का कार्यकाल सीमित होता है (भारत में 5 साल, अमेरिका में 4 साल)।
- दोनों को उनके कार्यकाल के दौरान संवैधानिक नियमों का पालन करना होता है।
- दोनों को हटाने के लिए महाभियोग प्रक्रिया होती है।
Presidential term limits in the US: What does the Constitution say?
अमेरिका में राष्ट्रपति पद की सीमा: क्या कहता है संविधान?

अमेरिकी संविधान के 22वें संशोधन के अनुसार, कोई भी व्यक्ति दो बार से अधिक राष्ट्रपति नहीं बन सकता। यानी अधिकतम दो कार्यकाल की सीमा तय है, भले ही वे लगातार हों या अलग-अलग।
यह संशोधन 1951 में लागू किया गया था, जब फ्रैंकलिन डी. रूज़वेल्ट लगातार चार बार राष्ट्रपति चुने गए थे। इसके बाद तय कर दिया गया कि कोई भी व्यक्ति केवल दो बार ही इस पद को संभाल सकता है।
🔹 संविधान की धारा: U.S. Constitution, 22nd Amendment
🔹 सीधा अर्थ: कोई भी व्यक्ति जो दो बार राष्ट्रपति पद संभाल चुका है, तीसरी बार इस पद के लिए योग्य नहीं होगा।
ट्रम्प की इच्छा और संवैधानिक बाधा
- डोनाल्ड ट्रम्प पहले ही 2016 से 2020 तक एक कार्यकाल के लिए अमेरिका के राष्ट्रपति रह चुके हैं।
2020 के चुनाव में वे हार गए और जो बाइडेन राष्ट्रपति बने। फिर 2024 चुनाव में हिस्सा लिया और - डोनाल्ड ट्रम्प वर्तमान में संयुक्त राज्य अमेरिका के 47वें राष्ट्रपति हैं। उन्होंने 6 नवंबर 2024 को चुनाव जीता और 20 जनवरी 2025 को शपथ ली । अब यह 2028 तक अपने पद पर बने रहेंगे
- तो बात यहाँ पर आ कर रूकती है की क्या 2028 में फिर से चुनाव लड़ने की तैयारी कर रहे हैं। यदि वे फिर जीतते हैं, तो यह उनका तीसरे कार्यकाल होगा। तीसरे कार्यकाल के लिए उन्हें संविधान में बदलाव कराना होगा।
क्या संविधान बदला जा सकता है?
अमेरिका में संविधान संशोधन की प्रक्रिया जटिल है:
- दो-तिहाई बहुमत से संशोधन प्रस्ताव को कांग्रेस (सीनेट और हाउस ऑफ रिप्रेजेंटेटिव्स) में पास करना होता है।
- फिर उसे 50 में से 38 राज्यों की विधानसभाओं की मंजूरी मिलनी चाहिए।
इस प्रक्रिया में राजनीतिक सहमति, समय और व्यापक जनसमर्थन की आवश्यकता होती है, जो वर्तमान परिप्रेक्ष्य में बहुत कठिन है।
Limits on the term of the President in India: What does the Constitution say?
भारत में राष्ट्रपति पद की सीमा: क्या कहता है संविधान?

भारत के संविधान के अनुसार, राष्ट्रपति पद की कोई सीमा नहीं है, अर्थात एक व्यक्ति कई बार राष्ट्रपति बन सकता है।
🇮🇳 भारत संविधान में क्या कहा गया है?
- भारतीय संविधान के अनुच्छेद 56(1) के अनुसार, राष्ट्रपति का कार्यकाल 5 साल होता है।
- एक व्यक्ति असीमित बार राष्ट्रपति पद के लिए चुना जा सकता है, जब तक वे चुनाव जीतते हैं।
- राष्ट्रपति पद की पुनर्निर्वाचन की कोई सीमा नहीं है, जैसे कि अमेरिका में दो कार्यकालों की सीमा है।
📝 महत्वपूर्ण बिंदु:
- अगर कोई व्यक्ति राष्ट्रपति बनने के बाद चुनाव हारता है, तो वह दोबारा चुनाव लड़ने का हक रखता है।
- भारत में पहले भी राष्ट्रपति ने दो से अधिक कार्यकाल पूरे किए हैं। उदाहरण के लिए, डॉ. राजेन्द्र प्रसाद ने दो कार्यकाल (1950–1962) पूरे किए थे और वह भारत के पहले और एकमात्र राष्ट्रपति हैं जिन्होंने दो बार पद संभाला।
भारत और अमेरिका: संवैधानिक तुलना
विषय | अमेरिका | भारत |
कार्यकाल की सीमा | अधिकतम दो कार्यकाल | कोई सीमा नहीं |
संशोधन प्रक्रिया | कठिन, राज्यों की सहमति आवश्यक | संसद द्वारा दो-तिहाई बहुमत से संभव |
राष्ट्रपति की भूमिका | कार्यकारी प्रमुख (Executive Head) | सांविधिक प्रमुख (Ceremonial Head) (भारत में कार्यकारी प्रमुख प्रधानमंत्री होता है) |
राष्ट्रपति का चुनाव | अप्रत्यक्ष, लेकिन जनता की भूमिका अधिक | अप्रत्यक्ष, निर्वाचक मंडल के द्वारा |
🇮🇳 भारत में कोई भी व्यक्ति कितनी भी बार राष्ट्रपति बन सकता है, बशर्ते वह योग्य हो और निर्वाचित हो जाए। उदाहरण के लिए, डॉ. राजेंद्र प्रसाद भारत के पहले राष्ट्रपति थे और उन्होंने लगातार दो कार्यकाल पूरे किए।
क्या ट्रम्प के लिए संविधान बदला जा सकता है?
तकनीकी रूप से संविधान में संशोधन संभव है, लेकिन राजनीतिक रूप से यह बेहद कठिन है। डेमोक्रेटिक पार्टी और कई रिपब्लिकन नेता भी ट्रम्प की तीसरी बार उम्मीदवारी के विचार से सहमत नहीं हैं। इसके अलावा, अमेरिकी समाज में राष्ट्रपति पद को सीमित करने का विचार लोकतांत्रिक मूल्यों की रक्षा के लिए देखा जाता है, जिससे सत्ता के केंद्रीकरण को रोका जा सके।
निष्कर्ष
डोनाल्ड ट्रम्प की तीसरी बार राष्ट्रपति बनने की इच्छा संवैधानिक रूप से संभव नहीं है, जब तक कि अमेरिकी संविधान में बदलाव न किया जाए। भारत में जहां राष्ट्रपति एक प्रतीकात्मक पद होता है और कार्यकाल की कोई सीमा नहीं है, वहीं अमेरिका में कार्यकारी शक्तियों के साथ यह पद सीमित कार्यकाल तक ही संभव है।
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FAQs : संबंधित मत्वपूर्ण प्रश्न
❓ भारत में राष्ट्रपति कितने कार्यकाल तक रह सकता है?
उत्तर: भारत में राष्ट्रपति के कार्यकाल की कोई अधिकतम सीमा नहीं है। कोई भी योग्य व्यक्ति जितनी बार निर्वाचित हो सके, उतनी बार राष्ट्रपति बन सकता है।
❓ क्या भारत में कोई व्यक्ति तीसरी बार भी राष्ट्रपति बन सकता है?
उत्तर: हां, भारतीय संविधान ऐसा कोई प्रतिबंध नहीं लगाता। कोई व्यक्ति तीसरी, चौथी या उससे अधिक बार भी राष्ट्रपति बन सकता है, बशर्ते हर बार वह निर्वाचित हो।
❓ भारत के किस राष्ट्रपति ने सबसे लंबे समय तक कार्य किया?
उत्तर: डॉ. राजेन्द्र प्रसाद भारत के पहले और एकमात्र राष्ट्रपति हैं, जिन्होंने लगातार दो बार राष्ट्रपति पद पर कार्य किया। उनका कार्यकाल कुल 12 वर्षों का रहा।
❓ भारत में राष्ट्रपति का कार्यकाल कितने वर्षों का होता है?
उत्तर: भारतीय संविधान के अनुसार, राष्ट्रपति का एक कार्यकाल 5 वर्ष का होता है। लेकिन वह तब तक पद पर बना रहता है जब तक उसका उत्तराधिकारी पद ग्रहण नहीं कर लेता।
❓ भारत में राष्ट्रपति बनने के लिए क्या योग्यता होनी चाहिए?
1. भारत का नागरिक होना चाहिए। 2. आयु कम से कम 35 वर्ष होनी चाहिए। 3. वह लाभ के किसी पद (जैसे सरकारी नौकरी) पर नहीं होना चाहिए। 4. वह संसद के किसी सदन (लोकसभा/राज्यसभा) का सदस्य नहीं होना चाहिए।
❓ अमेरिका में राष्ट्रपति अधिकतम कितनी बार बन सकता है?
उत्तर: अमेरिका में कोई भी व्यक्ति केवल दो बार ही राष्ट्रपति बन सकता है। यह प्रतिबंध अमेरिकी संविधान के 22वें संशोधन के तहत लागू है।
❓ भारत में राष्ट्रपति का चुनाव कैसे होता है?
उत्तर: भारत में राष्ट्रपति का चुनाव निर्वाचक मंडल द्वारा होता है, जिसमें संसद (लोकसभा व राज्यसभा) और राज्यों की विधानसभाओं के निर्वाचित सदस्य शामिल होते हैं।
❓ क्या भारत में कोई महिला राष्ट्रपति भी बनी हैं?
उत्तर: हां, प्रतिभा पाटिल भारत की पहली महिला राष्ट्रपति थीं। उन्होंने 2007 से 2012 तक कार्यकाल पूरा किया।
❓ क्या राष्ट्रपति दो कार्यकाल के बाद चुनाव नहीं लड़ सकता?
उत्तर: भारत में ऐसा कोई नियम नहीं है। राष्ट्रपति चाहे जितनी बार भी निर्वाचित हो सके, उतनी बार चुनाव लड़ सकता है।
❓ क्या डोनाल्ड ट्रम्प तीसरी बार राष्ट्रपति बन सकते हैं?
उत्तर: अमेरिकी संविधान के अनुसार डोनाल्ड ट्रम्प तीसरी बार राष्ट्रपति नहीं बन सकते, जब तक कि संविधान में संशोधन न किया जाए।
❓ भारत और अमेरिका के राष्ट्रपति पद में क्या मुख्य अंतर है?
उत्तर: भारत का राष्ट्रपति प्रतीकात्मक पद है और कार्यकाल की कोई सीमा नहीं, जबकि अमेरिका का राष्ट्रपति कार्यकारी प्रमुख होता है और अधिकतम दो कार्यकाल की सीमा है।