उत्तर मौर्य काल MCQs Quiz

उत्तर मौर्य काल (Post-Mauryan Period) – MCQ क्विज़

भारत का इतिहास मौर्य साम्राज्य के पश्चात एक नए दौर में प्रवेश करता है, जिसे ‘उत्तर मौर्य काल’ कहा जाता है। यह काल भारतीय उपमहाद्वीप में राजनीतिक विघटन, सांस्कृतिक पुनर्निर्माण, और विदेशी प्रभावों के समागम का समय था। इस क्विज़ सेक्शन में आप उत्तर मौर्य काल की प्रमुख घटनाओं, राजवंशों, सांस्कृतिक उपलब्धियों और सामाजिक-धार्मिक परिवर्तनों से संबंधित वस्तुनिष्ठ प्रश्नों के माध्यम से इस ऐतिहासिक युग की गहराई से जानकारी प्राप्त करेंगे।

🔎 इस काल की प्रमुख विशेषताएँ:

  • शुंग वंश (Pushyamitra Shunga द्वारा स्थापित) – ब्राह्मणवादी पुनरुत्थान और बौद्ध धर्म पर प्रभाव।
  • कण्व वंश – शुंगों के पतन के बाद सत्ता में आया, किंतु अल्पकालिक।
  • सातवाहन वंश – दक्षिण भारत में उभरा; व्यापार, कला और स्थापत्य का विकास।
  • यवन (Indo-Greeks), शक (Shakas), पार्थियन और कुशान – उत्तर-पश्चिम भारत में विदेशी शासकों का आगमन और भारतीय संस्कृति के साथ उनका समन्वय।
  • कुशान वंश – विशेषकर कनिष्क के शासनकाल में बौद्ध धर्म और गंधार कला का उत्कर्ष।
  • संस्कृति और धर्म – इस काल में बौद्ध, जैन और ब्राह्मण धर्मों के बीच प्रतिस्पर्धा और सह-अस्तित्व देखा गया।
  • व्यापार और मुद्रा प्रणाली – समुद्री और स्थल व्यापार का विकास, और धातु मुद्राओं का प्रचलन बढ़ा।

📖 यह क्विज़ क्यों हल करें?

  • इतिहास की गहन समझ विकसित करें
  • प्रतियोगी परीक्षाओं (UPSC, PCS, SSC, NET, TGT-PGT, And All State Exam आदि) के लिए उपयोगी
  • रोचक और तथ्य-आधारित प्रश्नों के माध्यम से अध्ययन

🚀 तो आइए, उत्तर मौर्य काल की इस ऐतिहासिक यात्रा पर चलें और ज्ञान की परीक्षा दें!

“हमार उद्देश्य है कि आप बिना नोट्स पढ़े इन प्रश्नों के उत्तर की व्याख्या को पढ़ कर पूरे नोट्स का रिवीजन कर सकते है । “



1. मौर्यों के बाद दक्षिण भारत में सबसे प्रभावशाली राज्य था-

(a) सातवाहन

(b) पल्लव

(c) चोल

(d) चालुक्य

उत्‍तर : (a) :    व्याख्या : मौर्य साम्राज्य के पतन के बाद दक्षिण भारत में सातवाहन वंश सबसे प्रभावशाली शक्ति बना। यह वंश पहली शताब्दी ईसा पूर्व से दूसरी शताब्दी ईस्वी तक शासन किया।
प्रमुख तथ्य:
🔹 शासन क्षेत्र: महाराष्ट्र, आंध्र प्रदेश और कर्नाटक
प्रसिद्ध शासक: गौतमीपुत्र शातकर्णी
उपलब्धियाँ:
🔹 दक्कन क्षेत्र में स्थिर शासन स्थापित किया
🔹 बौद्ध और हिन्दू संस्कृति को संरक्षण दिया
🔹 रोम साम्राज्य के साथ व्यापारिक संबंध बनाए
🔹 साक्ष्य: नानाघाट अभिलेख और सिक्के
अन्य विकल्पों के बारे में:
🔹 पल्लव, चोल और चालुक्य बाद में उभरे (क्रमशः 4वीं, 9वीं और 6वीं शताब्दी में)
नोट: सातवाहनों ने ही मौर्यों के बाद दक्षिण भारत में पहली स्थायी राजनीतिक व्यवस्था कायम की।

2. किस भारतीय मसाले को पश्चिमी लागों को बहुत प्रिय मसाला होने के कारण संस्कृत में ‘यवनप्रिय’ कहा जाता था?

(a) इलायची

(b) जायफल

(c) लहसुन

(d) काली मिर्च

उत्‍तर : (d) :    व्याख्या : प्राचीन भारत में काली मिर्च को ‘यवनप्रिय’ (यूनानियों का प्रिय) कहा जाता था, क्योंकि यह रोम सहित पश्चिमी देशों को निर्यात होने वाला सबसे लोकप्रिय मसाला था।
मुख्य बिंदु:
🔹 संस्कृत नाम: यवनप्रिय/कृष्णमरिच
🔹 मूल स्थान: मालाबार तट (केरल)
🔹 ऐतिहासिक साक्ष्य: प्लिनी के लेखों में उल्लेख
🔹 व्यापारिक महत्व: रोमन साम्राज्य को निर्यात
संबंधित तथ्य:
1. अन्य मसालों के नाम:
🔹 इलायची → एला
🔹 जायफल → जातिफल
2. यवनप्रिय शब्द यवन (यूनानी) से बना।

3. निम्न में से कौन-सा उद्योग मौर्येत्तर काल के सबसे महत्वपूर्ण उद्योगों में से एक था?

(a) वस्त्र उद्योग

(b) चमड़े का समान बनाने का उद्योग

(c) मृदभाण्ड उद्योग

(d) इनमें से कोई नहीं

उत्‍तर : (b) :    व्याख्या : मौर्योत्तर काल में चमड़े का सामान बनाने का उद्योग सबसे महत्वपूर्ण था, क्योंकि इससे सैनिक उपकरण (जूते, घोड़े का साज सामान) और दैनिक उपयोग की वस्तुएँ बनती थीं।
मुख्य बिंदु:
🔹 सैन्य महत्व: सेना के लिए जूते व जीन तैयार करना
🔹 व्यापारिक महत्व: व्यापार में चमड़े के सामान की मांग
🔹 ऐतिहासिक स्रोत: मनुस्मृति में चर्मकारों का उल्लेख
संबंधित तथ्य:
1. चमड़ा शिल्पी → चर्मकार कहलाते थे
2. अन्य उद्योग → वस्त्र व मृद्भांड (कम महत्वपूर्ण)
3. विशेषता → सैन्य व नागरिक दोनों कार्यों में उपयोगी

4. खारवेल का हाथीगुम्फा लेख कहां है?

(a) मध्य प्रदेश

(b) ओडिशा

(c) आंध्र प्रदेश

(d) इनमें से कोई नहीं

उत्‍तर : (b) :    व्याख्या : खारवेल का प्रसिद्ध हाथीगुम्फा अभिलेख ओडिशा के भुवनेश्वर (उदयगिरि पहाड़ियों) में स्थित है। यह अभिलेख प्राकृत भाषा और ब्राह्मी लिपि में उत्कीर्ण है।
मुख्य बिंदु:
🔹 शासक: खारवेल (कलिंग का महान राजा)
🔹 भाषा: प्राकृत
🔹 विषय: कलिंग की विजयें एवं जनकल्याणकारी कार्य
संबंधित तथ्य:
1. हाथीगुम्फा → “हाथियों की गुफा” (प्राकृतिक गुफा समूह)
2. अभिलेख का समय → लगभग 1री शताब्दी ई.पू.
3. खारवेल का धर्म → जैन धर्म

5. पेरीप्लस ऑफ द इरिश्रयन सी किसने लिखी?

(a) टेसियस

(b) प्लिनी

(c) टॉलमी

(d) स्ट्रैबो

उत्‍तर : (b) :    व्याख्या : “पेरीप्लस ऑफ द एरिथ्रियन सी” एक प्राचीन यूनानी नौवहन गाइड है जिसे प्रथम शताब्दी ईस्वी में एक अज्ञात यूनानी व्यापारी ने लिखा था। यह भारत, अरब और अफ्रीका के समुद्री व्यापार मार्गों का विवरण देता है।
मुख्य बिंदु:
🔹 विषय: भारतीय बंदरगाह (मुजिरिस, बारिगाजा) और मसालों का व्यापार
🔹 महत्व: प्राचीन भारत🔹रोम व्यापार का प्रमुख स्रोत
🔹 भाषा: यूनानी
तथ्य:
1. काली मिर्च को “यवनप्रिय” कहा गया
2. रोमन साम्राज्य के साथ व्यापार का विवरण
3. अन्य विकल्प (टेसियस, टॉलमी, स्ट्रैबो) गलत हैं

6. हाथीगुम्फा का अभिलेख किस शासक के विषय में जानकारी का स्रोत है?

(a) खारवेल

(b) अशोक

(c) हर्षवर्धन

(d) कनिष्क

उत्‍तर : (a) :    व्याख्या : हाथीगुम्फा अभिलेख कलिंग के शासक खारवेल (प्रथम शताब्दी ई.पू.) के जीवन और शासनकाल की जानकारी का प्रमुख स्रोत है। यह अभिलेख ओडिशा के भुवनेश्वर स्थित उदयगिरि पहाड़ियों में स्थित है।
मुख्य बिंदु:
🔹 भाषा: प्राकृत (ब्राह्मी लिपि में)
🔹 विषय: खारवेल की विजयें, जनकल्याण कार्य और जैन धर्म को संरक्षण
🔹 ऐतिहासिक महत्व: कलिंग के इतिहास का प्रमुख दस्तावेज
संबंधित तथ्य:
1. खारवेल ने “कलिंगाधिपति” की उपाधि धारण की
2. अभिलेख में मगध पर आक्रमण का उल्लेख 3. जैन ग्रंथ
“परिशिष्टपर्वन” में भी खारवेल का वर्णन
नोट: अन्य विकल्प (अशोक, हर्ष, कनिष्क) इस अभिलेख से संबंधित नहीं हैं।

7. प्रसिद्ध बौद्ध विद्वान अश्वघोष किसके समकालीन था?

(a) अशोक

(b) हुविष्क

(c) मिनेण्डर

(d) कनिष्क

उत्‍तर : (d) :    व्याख्या : प्रसिद्ध बौद्ध विद्वान अश्वघोष कुषाण शासक कनिष्क के दरबार से जुड़े थे। कनिष्क के शासनकाल (प्रथम-द्वितीय शताब्दी ईस्वी) में अश्वघोष ने महत्वपूर्ण बौद्ध ग्रंथों की रचना की। उनकी प्रमुख कृतियों में ‘बुद्धचरित’ और ‘सौंदरानंद’ शामिल हैं, जो संस्कृत साहित्य के प्रारंभिक उदाहरण माने जाते हैं। कनिष्क के संरक्षण में ही चौथी बौद्ध संगीति का आयोजन किया गया था, जिसमें अश्वघोष ने महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।
अन्य विकल्प : अशोक (मौर्य काल), हुविष्क (कुषाण शासक) और मिनेण्डर (इंडो ग्रीक शासक) अश्वघोष के समकालीन नहीं थे।

8. निम्नलिखित राजाओं में से कौन जैन धर्म का संरक्षक था?

(a) अशोक

(b) हर्ष

(c) पुलकेशिन द्वितीय

(d) खारवेल

उत्‍तर : (d) :    व्याख्या : कलिंग के शासक खारवेल (प्रथम शताब्दी ईसा पूर्व) जैन धर्म के प्रमुख संरक्षक थे। ओडिशा के हाथीगुम्फा अभिलेख से पता चलता है कि उन्होंने जैन धर्म को राजकीय संरक्षण दिया, जैन मुनियों के लिए गुफाएँ बनवाईं और धार्मिक गतिविधियों को प्रोत्साहित किया।
मुख्य तथ्य:
🔹 अशोक: बौद्ध धर्म का संरक्षक
🔹 हर्ष: बौद्ध धर्म को समर्थन
🔹 पुलकेशिन द्वितीय: हिन्दू धर्मानुयायी
🔹 खारवेल: एकमात्र जैन संरक्षक विकल्प
ऐतिहासिक साक्ष्य:
🔹 हाथीगुम्फा अभिलेख (भुवनेश्वर, ओडिशा)
🔹 जैन ग्रंथ ‘परिशिष्टपर्वन’ में उल्लेख
नोट: खारवेल ने जैन धर्म की दिगंबर परंपरा को बढ़ावा दिया, जबकि अन्य विकल्पों में दिए गए शासक अन्य धर्मों से संबंधित थे।

9.सातवाहन राजवंश का संस्थापक कौन था?

(a) गौतमी पुत्र सातकर्णि

(b) पुलभावि द्वितीय

(c) सिमुक

(d) इनमें से कोई नहीं

उत्‍तर : (c) :    व्याख्या : सातवाहन राजवंश का संस्थापक सिमुक (लगभग 230 ईसा पूर्व) था। पुराणों के अनुसार, उसने कण्व वंश के अंतिम शासक को पराजित कर सातवाहन साम्राज्य की स्थापना की।
मुख्य तथ्य:
🔹 स्थापना काल: 1ली शताब्दी ईसा पूर्व
🔹 राजधानी: प्रतिष्ठान (आधुनिक पैठन)
🔹 उल्लेख: मत्स्य पुराण एवं अन्य पुराणों में
संबंधित जानकारी:
1. गौतमीपुत्र सातकर्णि → सबसे प्रसिद्ध सातवाहन शासक
2. सिमुक के बाद → उसके भाई कृष्ण ने शासन संभाला
3. सातवाहनों ने दक्कन में प्रथम स्थायी राज्य स्थापित किया
नोट: गौतमीपुत्र सातकर्णि (विकल्प a) सबसे शक्तिशाली सातवाहन शासक थे, पर संस्थापक नहीं।

10 मिलिन्दपन्हों का संबंध है-

(a) डिमेट्रियस

(b) यूक्रेटाइडस

(c) हेलिओक्लीज

(d) मिनाण्डर

उत्‍तर : (d) :    व्याख्या : मिलिन्दपन्हों (Milindapanha) एक प्रसिद्ध बौद्ध ग्रंथ है जो यूनानी🔹भारतीय शासक मिनाण्डर (मिलिन्द) और बौद्ध भिक्षु नागसेन के बीच हुए धार्मिक संवादों का संकलन है।
### महत्वपूर्ण तथ्य:
1. ऐतिहासिक संदर्भ:
🔹 मिनाण्डर (165-130 ई.पू.) एक इंडो ग्रीक शासक था, जिसने बाद में बौद्ध धर्म अपनाया।
🔹 यह ग्रंथ पालि भाषा में लिखा गया है।
2. विषय वस्तु:
🔹 बौद्ध दर्शन, कर्म और निर्वाण पर चर्चा
🔹 मिनाण्डर के प्रश्न और नागसेन के उत्तर
3. अन्य विकल्प:
🔹 डिमेट्रियस, यूक्रेटाइडस, हेलिओक्लीज → अन्य यूनानी शासक (मिलिन्दपन्हों से असंबंधित)
### संबंधित प्रश्नोत्तर:
1. मिलिन्दपन्हों किस भाषा में है? → पालि
2. मिनाण्डर की राजधानी कहाँ थी? → शाकल (आधुनिक सियालकोट, पाकिस्तान)
3. इस ग्रंथ का महत्व क्या है? → बौद्ध धर्म और यूनानी दर्शन का संवाद
नोट: मिलिन्दपन्हों को “मिनाण्डर के प्रश्न” भी कहा जाता है और यह थेरवाद बौद्ध परंपरा का महत्वपूर्ण ग्रंथ है।

11. कुषाणों के काल में ‘उत्तरापथ’ नामक प्रसिद्ध व्यापारिक मार्ग किन दो शहरों के बीच था?

(a) उज्जैन से मथुरा

(b) पुरुषपुर से मथुरा

(c) मथुरा से तक्षशिला

(d) पुरुषपुर से तक्षशिला

उत्‍तर : (c) :    व्याख्या : कुषाण काल में ‘उत्तरापथ’ प्रमुख व्यापारिक मार्ग मथुरा (भारत) से तक्षशिला (आधुनिक पाकिस्तान) तक जाता था। यह मार्ग रेशम, मसालों और सांस्कृतिक आदान-प्रदान का प्रमुख केंद्र था।
मुख्य तथ्य:
🔹 मार्ग का उपयोग: व्यापार एवं बौद्ध धर्म का प्रसार
🔹 कुषाण योगदान: कनिष्क ने इस मार्ग को सुरक्षित बनाया
🔹 तक्षशिला: प्राचीन शिक्षा का प्रसिद्ध केंद्र

12. राजा खारवेल का नाम जुड़ा (Figures) है-

(a) गिरनार के स्तंभ लेख के साथ

(b) जूनागढ़ स्तंभ लेख के साथ

(c) हाथीगुम्फा लेख के साथ

(d) सारनाथ लेख के साथ

उत्‍तर : (c) :    व्याख्या : कलिंग के राजा खारवेल (प्रथम शताब्दी ईसा पूर्व) का नाम हाथीगुम्फा अभिलेख (ओडिशा के भुवनेश्वर में स्थित) से जुड़ा है। यह अभिलेख उनके शासनकाल, विजयों और जैन धर्म को दिए गए संरक्षण का विवरण देता है।
मुख्य तथ्य:
🔹 अभिलेख का स्थान: उदयगिरि पहाड़ियाँ, भुवनेश्वर
🔹 भाषा: प्राकृत (ब्राह्मी लिपि में)
🔹 विषय: खारवेल की विजयें, जनकल्याण कार्य एवं जैन धर्म को समर्थन
अन्य विकल्पों की त्रुटि:
🔹 गिरनार/जूनागढ़ → अशोक और रुद्रदामन के अभिलेख
🔹 सारनाथ → अशोक का स्तंभ
नोट: हाथीगुम्फा अभिलेख जैन इतिहास का प्रमुख स्रोत है।

13. निम्नलिखित को सुमेलित कीजिए-

राजवंश                  राजधानी

A. शुंग                   i.महोबा

B. सातवाहन          ii. बनवासी

C. कदम्ब               iii. पैठन

D. चन्देल              iv. पाटलिपुत्र

सही कूट का चयन कीजिए-

ABCD

(a)iviiii

(b)iviiiiiiii

(c)iiviii

(d)iiiiii iv

उत्‍तर : (c) :    व्याख्या : सुमेलन:
🔹 शुंग → पाटलिपुत्र (iv)
🔹 सातवाहन → पैठन (iii)
🔹 कदम्ब → बनवासी (ii)
🔹 चन्देल → महोबा (i)
संक्षिप्त व्याख्या:
1. शुंग वंश (185-73 ई.पू.) की राजधानी पाटलिपुत्र थी, जिसे मौर्यों से विरासत में मिली।
2. सातवाहनों (प्रथम शताब्दी ई.पू.द्वितीय शताब्दी ई.) ने प्रतिष्ठान (पैठन) को राजधानी बनाया।
3. कदम्ब वंश (चौथी – छठी शताब्दी ई.) की राजधानी बनवासी (कर्नाटक) थी।
4. चन्देलों (9वीं-13वीं शताब्दी ई.) ने महोबा (उत्तर प्रदेश) को अपनी राजधानी बनाया।
महत्वपूर्ण तथ्य:
🔹 पैठन (सातवाहन) गोदावरी नदी के किनारे स्थित था।
🔹 चन्देलों ने खजुराहो के मंदिर बनवाए।
🔹 शुंगों ने पाटलिपुत्र में अशोक के स्तूपों का विस्तार किया।

14. निम्नलिखित शासकों में से किसके लिए ‘एका ब्राह्मण’ प्रयुक्त हुआ है?

(a) पुष्यमित्र शुंग

(b) खारवेल

(c) गौतमीपुत्र शातकर्णि

(d) सुशर्मन्

उत्‍तर : (c) :    व्याख्या : सातवाहन शासक गौतमीपुत्र शातकर्णि (द्वितीय शताब्दी ईस्वी) के लिए ‘एका ब्राह्मण’ (अनन्य ब्राह्मण) की उपाधि का प्रयोग हुआ है। यह उपाधि उनके नासिक अभिलेख में मिलती है, जहाँ उन्हें ब्राह्मण धर्म का रक्षक बताया गया है।
### महत्वपूर्ण तथ्य:
1. ऐतिहासिक साक्ष्य:
🔹 नासिक अभिलेख में उन्हें “खत्रियों का दर्प-दलन करने वाला” और “एका ब्राह्मण” कहा गया।
🔹 यह उपाधि शक-क्षत्रपों के विरुद्ध उनकी विजयों के बाद प्राप्त हुई।
2. अन्य शासकों के संदर्भ:
🔹 पुष्यमित्र शुंग: ब्राह्मण धर्म का समर्थक, पर ‘एका ब्राह्मण’ उपाधि नहीं।
🔹 खारवेल: जैन धर्म का संरक्षक।
🔹 सुशर्मन्: कोई प्रमाण उपलब्ध नहीं।
### संबंधित प्रश्नोत्तर:
1. गौतमीपुत्र शातकर्णि ने किस शक शासक को हराया? → नहपान
2. ‘एका ब्राह्मण’ का अर्थ क्या है? → “ब्राह्मणों का सर्वोच्च रक्षक”
3. नासिक अभिलेख किस भाषा में है? → प्राकृत
नोट: यह उपाधि गौतमीपुत्र की धार्मिक नीति और सामाजिक स्थिति को दर्शाती है, जिसमें उन्होंने ब्राह्मण धर्म को पुनर्जीवित किया।

15. सातवाहनों की राजधानी अवस्थित थी-

(a) अमरावती में

(b) नांदेड़ में

(c) नालदुर्ग में

(d) दुर्ग में

उत्‍तर : (a) :    व्याख्या : सातवाहन साम्राज्य की राजधानी: सातवाहन साम्राज्य का मुख्यालय “अमरावती” था। यह साम्राज्य भारतीय उपमहाद्वीप के दक्षिणी हिस्से में स्थित था, और यह 1st शती ईसा पूर्व से 3rd शती ईसा के मध्य अस्तित्व में रहा।
अमरावती वर्तमान में आंध्र प्रदेश राज्य के कृष्णा जिले में स्थित है। यह स्थान ऐतिहासिक दृष्टि से महत्वपूर्ण था क्योंकि यह कला, संस्कृति, और व्यापार के केंद्र के रूप में प्रसिद्ध था। यहाँ के शाही स्तूप और अन्य धार्मिक संरचनाएँ ऐतिहासिक धरोहरों का हिस्सा हैं।
सही उत्तर: (a) अमरावती में

16. आंध्र सातवाहन राजाओं की सबसे लंबी सूची किस पुराण में मिलती है?

(a)वायु पुराण

(b) विष्णु पुराण

(c)मत्स्य पराण

(d) उपरोक्त में से किसी में नहीं

उत्‍तर : (a) :    व्याख्या : सातवाहन राजाओं की सबसे लंबी सूची “वायु पुराण” में मिलती है।
वायु पुराण एक प्रमुख हिन्दू धर्मग्रंथ है, जिसमें सातवाहन राजाओं की विस्तृत सूची प्रदान की गई है। यह पुराण शाही वंशों और उनके शासनकाल के बारे में जानकारी देता है।

सही उत्तर: (a) वायु पुराण

17. आंध्र सातवाहन राजाओं की सबसे लंबी सूची किस पुराण में मिलती है?

(a) वायु पुराण

(b) विष्णु पुराण

(c) मत्स्य पुराण

(d) उपरोक्त में से किसी में नहीं

उत्‍तर : (a) :    व्याख्या : उत्तर का विवरण: वायु पुराण में आंध्र सातवाहन राजाओं की सबसे लंबी सूची मिलती है। इसमें सातवाहन वंश के 30 से अधिक राजाओं का उल्लेख किया गया है। यह पुराण सातवाहन साम्राज्य के इतिहास को समझने के लिए महत्वपूर्ण स्रोत है, क्योंकि इसमें शासकों के शासनकाल और उनके कार्यों का विस्तृत विवरण दिया गया है। विष्णु और मत्स्य पुराण में भी सातवाहन राजाओं का उल्लेख है, लेकिन वायु पुराण में यह सूची सबसे लंबी और विस्तृत है।

18. निम्न राजवंशों में सबसे पुराना राजवंश था-

(a) चालुक्य

(b) पल्लव

(c) राष्ट्रकूट

(d) सातवाहन

उत्‍तर : (d) :    व्याख्या : सातवाहन राजवंश भारतीय इतिहास का सबसे पुराना और प्रमुख राजवंश था। यह लगभग 1st शताब्दी ईसा पूर्व से 3rd शताब्दी ई. तक दक्षिण भारत और महाराष्ट्र के कुछ हिस्सों में शासन करता था।
सातवाहन राजवंश ने न केवल राजनीतिक दृष्टिकोण से महत्वपूर्ण योगदान दिया, बल्कि संस्कृति, कला, और व्यापार के क्षेत्र में भी अहम कार्य किए। सातवाहन शासकों ने अमरावती में स्तूपों और शिलालेखों का निर्माण किया, जो उनकी धार्मिक और सांस्कृतिक धरोहर का प्रतीक बने। इनके शासकों के समय में भारत में व्यापार और सांस्कृतिक आदान-प्रदान में वृद्धि हुई। सातवाहन साम्राज्य ने कृष्णा और गोदावरी नदियों के आसपास का क्षेत्र भी नियंत्रित किया।
अन्य राजवंश जैसे चालुक्य, पल्लव, और राष्ट्रकूट के अस्तित्व में आने से पहले ही सातवाहन वंश स्थापित हो चुका था, जिससे इसे भारतीय इतिहास का सबसे पुराना राजवंश माना जाता है।

19. किसकी राजसभा में हेलियोडोरस एक राजदूत के रूप में था?

(a) काशिपुत्र भागभद्र (भगवत्)

(b) पुष्यमित्र शुंग

(c) चन्द्रगुप्त मौर्य

(d) इनमें से कोई नहीं

उत्‍तर : (a) :    व्याख्या : हेलियोडोरस, जो एक ग्रीक दूत था, काशिपुत्र भागभद्र (भगवत्) की राजसभा में एक राजदूत के रूप में उपस्थित था। हेलियोडोरस ने भारत में बौद्ध धर्म के प्रचारक के रूप में कार्य किया और उसकी उपस्थिति के प्रमाण सांस्कृतिक संपर्कों का उदाहरण हैं। वह संगमनेर (सिंधु) में राजा भागभद्र की सभा में एक ग्रीक दूत के रूप में भेजा गया था और उसने भारतीय धर्म और संस्कृति के साथ संबंध स्थापित किया।

हेलियोडोरस स्तंभ (जिसे विधि स्तंभ भी कहा जाता है) का निर्माण इस तथ्य को प्रमाणित करता है, जिसमें हेलियोडोरस ने भगवान विष्णु के प्रति अपनी श्रद्धा को व्यक्त किया और यह स्तंभ भारतीय उपमहाद्वीप में सांस्कृतिक और धार्मिक आदान-प्रदान का महत्वपूर्ण प्रमाण है।

20. निम्न में से किसने सर्वप्रथम पोटीन मुद्राओं को जारी किया था?

(a) शुंग शासकों ने

(b) चेदि शासकों ने

(c) कण्व शासकों ने

(d) सातवाहन शासकों ने

उत्‍तर : (d) :    व्याख्या : सातवाहन शासकों ने सर्वप्रथम पोटीन मुद्राओं (Potin coins) को जारी किया था। ये मुद्राएँ आमतौर पर पोटीन धातु से बनी होती थीं, जो ताम्र और अन्य धातुओं का मिश्रण होती थी। सातवाहन शासकों ने इन मुद्राओं का उपयोग अपनी प्रशासनिक और वाणिज्यिक गतिविधियों के लिए किया। इन मुद्राओं पर शासक की छवि और विभिन्न धार्मिक प्रतीक अंकित होते थे, जो उनकी शक्ति और उनके शासन का प्रतीक थे।

सातवाहन साम्राज्य के शासक दक्षिण भारत के प्रमुख शासक थे, और उनके द्वारा जारी की गई मुद्राएँ प्राचीन भारतीय अर्थव्यवस्था का महत्वपूर्ण हिस्सा बनीं।

21. कालिदास के नाटक ‘मालविकाग्निमित्र’ में उल्लेखित अग्निमित्र निम्नलिखित में से किस राजवंश का राजा था?

(a) कण्व वंश

(b) शुंग वंश

(c) शक वंश

(d) सातवाहन वंश

उत्‍तर : (b) :    व्याख्या : कालिदास के नाटक ‘मालविकाग्निमित्र’ में उल्लेखित अग्निमित्र शुंग वंश का राजा था। शुंग वंश की स्थापना पुष्यमित्र शुंग ने की थी, और अग्निमित्र उनका पुत्र था। यह नाटक शुंग वंश के दरबार और राजनीति की पृष्ठभूमि पर आधारित है।

अग्निमित्र का शासनकाल 2nd शताब्दी ईसा पूर्व में था, और कालिदास ने इस नाटक में उनके जीवन के एक काल्पनिक घटनाक्रम का चित्रण किया है, जिसमें प्रेम, राजनीति और शाही परिवार के भीतर के संघर्षों को दर्शाया गया है।

22. बेसनगर (विदिशा) स्तंभ अभिलेख में किस हिन्द-यवन शासक का उल्लेख है?

(a) सुविष्क

(b) एण्टियालकीड्स

(c) भागभद्र

(d) इनमें से कोई नहीं

उत्‍तर : (b) :    व्याख्या : बेसनगर (विदिशा) स्तंभ अभिलेख में एण्टियालकीड्स नामक हिन्द-यवन शासक का उल्लेख है। यह स्तंभ अभिलेख हेलियोडोरस द्वारा स्थापित किया गया था, जो एक ग्रीक दूत था और काशिपुत्र भागभद्र की राजसभा में था। एण्टियालकीड्स ग्रीक शासक था, और बेसनगर स्तंभ अभिलेख में उसके संबंध में महत्वपूर्ण जानकारी मिलती है, जिसमें उसने भगवान विष्णु के प्रति अपनी श्रद्धा व्यक्त की थी।

यह अभिलेख भारतीय-ग्रीक सांस्कृतिक संपर्क का एक महत्वपूर्ण उदाहरण है।

23. निम्न में से किन दो विद्वानों ने कनिष्क के समय में बुलाई गई बौद्ध संगीति में भाग लिया था?

(1) वत्सभट्ट

(3) वसुमित्र

(2) अश्वघोष

(4) हरिषेण

कूटः

(a) केवल ।

(b) केवल 3

(c) 2 और 3

(d) 1,2,3 और 4

उत्‍तर : (c) :    व्याख्या : कनिष्क के शासनकाल में कश्मीर में आयोजित तीसरी बौद्ध संगीति में अश्वघोष और वसुमित्र ने भाग लिया था। इस संगीति का आयोजन कनिष्क ने बौद्ध धर्म के सिद्धांतों की चर्चा और समग्रता को बनाए रखने के लिए किया था।
• अश्वघोष: वे महान कवि और बौद्ध भिक्षु थे, जिन्होंने बौद्ध धर्म के प्रचार में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।
• वसुमित्र: वे प्रसिद्ध बौद्ध आचार्य थे, जिन्होंने बौद्ध धर्म के “योगाचार” स्कूल के सिद्धांतों पर कार्य किया। वत्सभट्ट और हरिषेण का उल्लेख तीसरी बौद्ध संगीति में भाग लेने वालों में नहीं है।

24. पहला ईरानी शासक जिसने भारत के कुछ भाग को अपने अधीन कियाथा-

(a) साइरस

(b) केम्बिसिस

(c) डेरियस प्रथम

(d) शहार्श

उत्‍तर : (b) :    व्याख्या : केम्बिसिस पहला ईरानी शासक था जिसने भारत के कुछ भाग को अपने अधीन किया था। केम्बिसिस ने ईरानी साम्राज्य (अक्मेनीद साम्राज्य) के तहत पश्चिमोत्तर भारत के क्षेत्र (जैसे सिंध और पंजाब) पर विजय प्राप्त की थी। केम्बिसिस ने ईरान के साम्राज्य को विस्तार देते हुए मिस्र पर भी आक्रमण किया था, लेकिन भारत में उसकी प्रमुख उपलब्धि सिंध और उसके आसपास के क्षेत्रों का अधिग्रहण थी।
साइरस और डेरियस प्रथम भी प्रमुख ईरानी शासक थे, लेकिन उन्होंने भारत पर सीधे हमला नहीं किया था। शाहरश का इस संदर्भ में कोई योगदान नहीं था।

25. प्राचीन काल के भारत पर आक्रमणों के संबंध में निम्नलिखित में से कौन-सा एक सही कालानुक्रम है?

(a) यूनानी-शक-कुषाण

(b) यूनानी-कुषाण-शक

(c) शक-यूनानी-कुषाण

(d) शक-कुषाण-यूनानी

उत्‍तर : (b) :    व्याख्या : प्राचीन भारत पर आक्रमणों के संदर्भ में सही कालक्रम “यूनानी- कुषाण- शक” है।
1. यूनानी (ग्रीक) आक्रमण: सबसे पहले अलेक्जेंडर (Alexander) ने 4th शताब्दी ईसा पूर्व में भारत के पश्चिमोत्तर हिस्सों में आक्रमण किया। उनका उद्देश्य भारत के उत्तर-पश्चिमी क्षेत्रों पर नियंत्रण स्थापित करना था।
2. कुषाण आक्रमण: इसके बाद कुषाण साम्राज्य का उदय हुआ, जो 1st शताब्दी ईसा पूर्व से 2nd शताब्दी ईस्वी तक भारत के उत्तरी और मध्य भागों में प्रभावी था। यह एक प्रमुख मध्य एशियाई साम्राज्य था जिसने भारतीय उपमहाद्वीप के बड़े हिस्से में शासन किया।
3. शक आक्रमण: इसके बाद शक जातियाँ (यानी कुषाण के बाद) भारत में आईं, और उन्होंने 1st शताब्दी के अंत से 4th शताब्दी के दौरान भारत के पश्चिमी और मध्य हिस्सों में शासन किया।
इसलिए, सही कालक्रम है “यूनानी-कुषाण-शक”।

26. कथन (A): पुष्यमित्र ने अश्वमेध यज्ञ करके अपनी सफलता का संकेत दिया था।

कारण (R): वसुमित्र ने यवनों को पराजित किया था।

कूटः

(a) कथन A और कारण R दोनों सही हैं कारण R कथन A का सही व्याख्या करता है।

(b) कथन A तथा कारण R दोनों सही हैं किन्तु R, A सही व्याख्या नहीं कर रहा है।

(c) A सही लेकिन R गलत है।

(d) A गलत है परन्तु R सही है।

उत्‍तर : (b) :    व्याख्या :
• कथन A: पुष्यमित्र शुंग ने अश्वमेध यज्ञ किया था, जो उनकी सफलता का प्रतीक था। यह यज्ञ उनके द्वारा यवनों (ग्रीक) को पराजित करने के बाद हुआ था। अश्वमेध यज्ञ की प्रथा प्राचीन भारत में राजा के साम्राज्य की विस्तृती और उनकी शक्ति को दिखाने के लिए की जाती थी। पुष्यमित्र शुंग ने शुंग वंश की स्थापना के बाद अश्वमेध यज्ञ करके अपनी विजय और शक्ति का संकेत दिया था।
• कारण R: वसुमित्र ने यवनों (ग्रीक) को पराजित किया था, यह सही है। वसुमित्र, जो पुष्यमित्र का पुत्र था, ने यवनों को पराजित किया था, और उनकी विजय ने शुंग साम्राज्य की स्थिति को मजबूत किया था।
हालांकि, कारण R सही है, लेकिन यह कथन A की सही व्याख्या नहीं करता। पुष्यमित्र का अश्वमेध यज्ञ उनके द्वारा यवनों को पराजित करने के बाद किया गया था, लेकिन वसुमित्र की विजय सीधे तौर पर अश्वमेध यज्ञ से संबंधित नहीं थी। इसलिए, R A की व्याख्या नहीं करता।

27. निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिए-

1. सातवाहन शासकों द्वारा सिक्के ढालने के लिए उपयोग में लाई जाने वाली प्रमुख धातु स्वर्ण थी।

2. राजराज चोल के शासन काल में जारी किए गए सिक्कों के अग्रभाग में खड़े हुए राजा तथा पृष्ठ भाग में बैठे हुए राजा की आकृति मुद्रित है।

कूट:

(a) केवल 2 सत्य है

(b) 1 और 2 दोंनो सत्य हैं

(c) केवल 1 सत्य है

(d) इनमें से काई नहीं

उत्‍तर : (a) :    व्याख्या : 1. सातवाहन शासकों द्वारा सिक्के ढालने के लिए उपयोग में लाई जाने वाली प्रमुख धातु स्वर्ण नहीं थी। सातवाहन शासकों ने मुख्य रूप से तांबा और पितल जैसी धातुओं का उपयोग सिक्के ढालने के लिए किया था, न कि स्वर्ण का।

2. राजराज चोल के शासन काल में जारी किए गए सिक्कों के अग्रभाग में खड़े हुए राजा तथा पृष्ठ भाग में बैठे हुए राजा की आकृति मुद्रित है। यह कथन सही है। राजराज चोल ने चोल साम्राज्य के दौरान अपने सिक्कों पर एक विशिष्ट प्रकार की आकृति उकेरी, जिसमें सिक्के के अग्रभाग पर राजा खड़े हुए दिखते हैं और पृष्ठ भाग में राजा बैठे हुए दिखाए गए हैं। इसलिए, केवल 2 सत्य है।

28. गांधार कला शैली एक संश्लेषण है-

(a) भारतीय तथा फारसी कला का

(b) भारतीय तथा चीनी कला का

(c) भारतीय तथा तुर्की-अफगानी कला का

(d) भारतीय तथा यूनानी कला का

उत्‍तर : (d) :    व्याख्या : गांधार कला शैली भारतीय और यूनानी कला का एक संश्लेषण है। यह कला शैली मुख्य रूप से कुषाण साम्राज्य के समय, विशेषकर कनिष्क के शासनकाल में विकसित हुई थी। गांधार कला में ग्रीक (यूनानी) और भारतीय कला की विशेषताओं का मिश्रण देखा जाता है, जैसे कि यूनानी कला की वास्तविकता और मानवीय रूपों की अभिव्यक्ति, और भारतीय धर्म और संस्कृति के प्रतीकों का समावेश।

गांधार कला में भगवान बुद्ध के चित्रण की शैली, जो यूनानी शैलियों के प्रभाव से प्रेरित थी, प्रचलित हुई, जहां बुद्ध की छवि को ग्रीक कलाकारों की शैली में चित्रित किया गया था।

29. जो कला शैली भारतीय और यूनानी (ग्रीक) आकृति का सम्मिश्रणा है, उसे कहते हैं :

(a) शिखर

(b) वेरा

(c) गांधार

(d) नागर

उत्‍तर : (c) :    व्याख्या : गांधार कला शैली भारतीय और यूनानी (ग्रीक) कला का सम्मिश्रण है। यह कला शैली कुषाण साम्राज्य के समय, विशेषकर कनिष्क के शासनकाल में विकसित हुई थी। गांधार कला में यूनानी कला की वास्तविकता और मानवीय रूपों की प्रस्तुति के साथ-साथ भारतीय धर्म और संस्कृति के तत्वों का समावेश था। इसका सबसे प्रसिद्ध उदाहरण बुद्ध की मूर्तियाँ हैं, जिन्हें यूनानी शैली में बनाया गया था, लेकिन उनका विषय भारतीय था।

30.अफगानिस्तान का बामियान प्रसिद्ध था-

(a) हिंदू मंदिर के कारण

(b) हाथी दांत के काम हेतु

(c) स्वर्ण सिक्कों के टंकण हेतु

(d) बुद्ध प्रतिमा के लिए

उत्‍तर : (d) :    व्याख्या : बामियान (अफगानिस्तान) प्रसिद्ध था बुद्ध की विशाल प्रतिमाओं के लिए। यहाँ दो विशाल बुद्ध प्रतिमाएँ स्थापित थीं, जो 6वीं शताबदी में निर्मित हुई थीं। ये प्रतिमाएँ गांधार कला शैली में बनी थीं और अपने आकार और सौंदर्य के लिए अत्यधिक प्रसिद्ध थीं।
हालाँकि, इन बुद्ध प्रतिमाओं को 2001 में तालिबान द्वारा नष्ट कर दिया गया था, लेकिन बामियान का ऐतिहासिक महत्व आज भी बुद्ध धर्म और कला के क्षेत्र में अत्यधिक है।

31.सूची-1 तथा सूची-II को सुमेलित कीजिए तथा सूचियों के नीचे दिए गए कूट से सही उत्तर चुनिए –

सूची -I                  सूची – II

A. गांधार कला      1. मिनेण्डर

B. जूनागढ़ शिलालेख           2. पतिक

C. मिलिन्दपन्हो    3. कुषाण

D. तक्षशिला लेख  4. रुद्रदामन I

उत्‍तर : :    व्याख्या :
A. गांधार कला → 3. कुषाण
B. जूनागढ़ शिलालेख → 4. रुद्रदामन I
C. मिलिन्दपन्हो → 1. मिनेण्डर
D. तक्षशिला लेख → 2. पतिक
व्याख्या:
• A. गांधार कला: यह कला शैली कुषाण साम्राज्य के समय में विकसित हुई थी, खासकर कनिष्क के शासनकाल में।
• B. जूनागढ़ शिलालेख: यह शिलालेख रुद्रदामन I द्वारा उत्कीर्ण किया गया था, जो सातवाहन साम्राज्य के अधीन था।
• C. मिलिन्दपन्हो: यह पुस्तक मिनेण्डर (जो एक यूनानी शासक था) और बौद्ध भिक्षु नागसेन के संवाद पर आधारित है।
• D. तक्षशिला लेख: यह लेख पतिक द्वारा लिखित था, जो उस समय के एक प्रमुख गुप्त शासक थे।

32. कला की गांधार शैली निम्न समय में फली-फूली-

(a) कुषाणों के समय

(b) गुप्तों के समय

(c) अकबर के समय

(d) मौर्यों के समय

उत्‍तर : (a) :    व्याख्या : गांधार कला शैली मुख्य रूप से कुषाण साम्राज्य के समय में फली-फूली, विशेषकर कनिष्क के शासनकाल में। यह कला शैली भारतीय और यूनानी (ग्रीक) कला का सम्मिश्रण थी और इसमें भगवान बुद्ध की मूर्तियाँ यूनानी शैली में चित्रित की जाती थीं। गांधार कला में सांसारिक वास्तविकता और मानवीय रूपों की प्रस्तुति प्रमुख थी, और यह कला शैली भारतीय और पश्चिमी सांस्कृतिक प्रभावों का मिलाजुला रूप थी।

33. निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिए-

1. गौतमी पुत्र शातकर्णी ने नहपान को हराया।

2. वशिष्ठि पुत्र पुलुवामी, रुद्रदामन द्वारा हराया गया था।

3. यज्ञ श्री शातकर्णी ने स्वयं को एक ब्राह्मण का नाम दिया।

उपर्युक्त कथनों में से कौन सा सही है?

(a) 1,2 एवं 3

(b) 1 एवं 2

(c) 1 एवं 3

(d) इनमे से कोई नहीं

उत्‍तर : (b) :    व्याख्या :
1. गौतमी पुत्र शातकर्णी ने नहपान को हराया: यह कथन सही है। गौतमी पुत्र शातकर्णी ने सप्तसिंह के शासक नहपान को पराजित किया था। नहपान एक पार्थियन (इरानी) शासक था, और उसकी पराजय शातकर्णी के शासन की प्रमुख उपलब्धि थी।
2. वशिष्ठि पुत्र पुलुवामी, रुद्रदामन द्वारा हराया गया था: यह भी सही है। वशिष्ठि पुत्र पुलुवामी को रुद्रदामन I ने हराया था। रुद्रदामन I ने सातवाहन शासकों के खिलाफ कई युद्ध किए थे और यह युद्ध प्रसिद्ध था।
3. यज्ञ श्री शातकर्णी ने स्वयं को एक ब्राह्मण का नाम दिया: यह कथन गलत है। यज्ञ श्री शातकर्णी ने ब्राह्मण का नाम नहीं लिया था। यह जानकारी गलत है।
इसलिए, 1 और 2 सही हैं, जबकि 3 गलत है।

34.बाल विवाह की प्रथा आरंभ हुई-

(a) मौर्यकाल में

(b) कुषाणकाल में

(c) गुप्तकाल में

(d) हर्षवर्धन के काल में

उत्‍तर : (c) :    व्याख्या : बाल विवाह की प्रथा का प्रचलन गुप्तकाल में हुआ था। गुप्त साम्राज्य (लगभग 4वीं-6वीं शताब्दी ईस्वी) के दौरान, समाज में महिलाओं की स्थिति और विवाह के बारे में विचार बदलने लगे थे, और इस समय के बाद बाल विवाह की प्रथा धीरे-धीरे बढ़ी। गुप्तकाल में विशेष रूप से उच्च जातियों में बच्चों के विवाह जल्दी कर दिए जाने की परंपरा शुरू हुई थी।
हालांकि, यह प्रथा इसके बाद के समय में भी जारी रही, लेकिन गुप्तकाल में यह अपनी चरम सीमा तक पहुंची।

35. किस चीनी जनरल ने कनिष्क को हराया था?

(a) पान चाऊ

(b) पान यांग

(c) शी हुआंग टी

(d) हो टी

उत्‍तर : (a) :    व्याख्या : उत्तर का विवरण: पान चाऊ एक प्रसिद्ध चीनी जनरल था, जिसने कनिष्क को हराया था। पान चाऊ ने कुषाण साम्राज्य के शासक कनिष्क के खिलाफ एक अभियान चलाया और उसे पराजित किया। पान चाऊ की सेना ने कश्मीर और अन्य उत्तरी भारत के क्षेत्रों में आक्रमण किया, जो उस समय कुषाण साम्राज्य के नियंत्रण में थे।

36. सिमुक निम्न वंशों में से किसका संस्थापक था?

(a) चेर

(b) चोल

(c) पाण्ड्य

(d) सातवाहन

उत्‍तर : (d) :    व्याख्या : सिमुक सातवाहन वंश का संस्थापक था। सातवाहन वंश दक्षिण भारत में प्रमुख था और इसका शासन लगभग 1st शताब्दी ईसा पूर्व से लेकर 3rd शताब्दी तक रहा। सिमुक ने इस वंश की नींव रखी और इसे स्थापित किया, जिसके बाद सातवाहन साम्राज्य का विस्तार हुआ। सातवाहन शासक प्राचीन भारत में प्रमुख थे और उन्होंने विभिन्न व्यापारिक और सांस्कृतिक संपर्कों को बढ़ावा दिया।

37. निम्नलिखित में से कौन-सा शासक वर्ण-व्यवस्था का रक्षक कहा जाता है?

(a) पुष्यमित्र शुंग

(b) खारवेल

(c) गौतमीपुत्र शातकर्णी

(d) वासुदेव

उत्‍तर : (a) :    व्याख्या : पुष्यमित्र शुंग को वर्ण व्यवस्था का रक्षक कहा जाता है। पुष्यमित्र शुंग ने शुंग वंश की स्थापना की और मौर्य साम्राज्य के बाद भारतीय समाज में ब्राह्मणों के प्रभाव को पुनः स्थापित किया। उन्होंने बौद्ध धर्म के प्रभाव को दबाने के लिए कई कदम उठाए और वर्ण व्यवस्था (ब्राह्मण-क्षत्रिय-वैश्य-शूद्र) की रक्षा की, जिससे यह व्यवस्था मजबूत हुई। इस कारण उन्हें वर्ण व्यवस्था का रक्षक कहा जाता है।

38. शुंग वंश के बाद किस वंश ने भारत पर राज किया?

(a) सातवाहन

(b) कुषाण (कुशान)

(c) कनवा (कण्व)

(d) गुप्त

उत्‍तर : (c) :    व्याख्या : शुंग वंश के बाद कनवा वंश ने भारत पर शासन किया। शुंग वंश के पतन के बाद कनवा वंश ने 185 ई.पू. के आस-पास सत्ता संभाली। कनवा वंश के शासक अधिकतर ब्राह्मण थे और उन्होंने शुंग वंश का स्थान लिया। कनवा वंश का शासनकाल अपेक्षाकृत छोटा था, और इस वंश के बाद कुषाण वंश का उदय हुआ, जो उत्तर भारत में प्रमुख हुआ।

39. पुष्यमित्र शुंग द्वारा दो अश्वमेध यज्ञ किए जाने के बारे में जानकार किस लेख से मिलती है?

(a) सारनाथ लेख

(b) बेसनगर लेख

(c) अयोध्या लेख

(d) हाथीगुम्फा लेख

उत्‍तर : (b) :    व्याख्या : पुष्यमित्र शुंग द्वारा किए गए दो अश्वमेध यज्ञ के बारे में जानकारी बेसनगर लेख से मिलती है। यह लेख रुद्रदामन I द्वारा लिखा गया था और इसमें पुष्यमित्र शुंग के द्वारा किए गए दो अश्वमेध यज्ञों का उल्लेख किया गया है, जो उनकी विजय और शक्ति का प्रतीक थे। बेसनगर लेख प्राचीन भारत के महत्वपूर्ण शिलालेखों में से एक है, जो हमें शुंग वंश के शासकों की गतिविधियों के बारे में जानकारी प्रदान करता है।

40. इनमें से किस आयुर्वेदाचार्य ने तक्षशिला विश्वविद्यालय में शिक्षा प्राप्त की थी?

(a) सुश्रुत

(b) वाग्भट्ट

(c) चरक

(d) जीवक

उत्‍तर : (a) :    व्याख्या : सुश्रुत आयुर्वेद के महानाचार्य थे और उन्हें “सर्जरी का पिता” भी कहा जाता है। सुश्रुत ने तक्षशिला विश्वविद्यालय में शिक्षा प्राप्त की थी, जो प्राचीन समय में चिकित्सा और आयुर्वेद का प्रमुख केंद्र था। तक्षशिला में वे चिकित्सा, शल्य चिकित्सा (सर्जरी), और मानव शरीर के विभिन्न पहलुओं का अध्ययन करते थे। सुश्रुत ने “सुश्रुत संहिता” नामक महत्वपूर्ण आयुर्वेदिक ग्रंथ लिखा, जिसमें शल्य चिकित्सा और अन्य चिकित्सा पद्धतियों का विस्तृत वर्णन है।

41. निम्नलिखित में से कौन कनिष्क प्रथम के दरबार में नहीं गया था?

(a) अश्वघोष

(b) पार्श्व

(c) वसुमित्र

(d) विशाखदत्त

उत्‍तर : (d) :    व्याख्या : कनिष्क प्रथम के दरबार में अश्वघोष, पार्श्व, और वसुमित्र जैसे महान व्यक्ति गए थे। ये सभी बौद्ध धर्म के प्रचारक और प्रमुख साहित्यकार थे, जिन्होंने कनिष्क के दरबार में बौद्ध धर्म को बढ़ावा दिया और बौद्ध साहित्य को समृद्ध किया।
विशाखदत्त एक प्रसिद्ध संस्कृत लेखक थे, लेकिन उनका काल और कार्य कनिष्क के बाद था, इसलिए वे कनिष्क के दरबार में नहीं गए थे। विशाखदत्त का नाम “मुद्राराक्षस” और “अलकनंदा” जैसे काव्य लेखन के लिए प्रसिद्ध है, जो अधिकतर गुप्तकालीन शासकों के समय में सक्रिय थे।

42. अश्वघोष किसका समकालीन था ?

(a) अशोक का

(b) चंद्रगुप्त द्वितीय का

(c) कनिष्क का

(d) हर्षवर्धन का

उत्‍तर : (c) :    व्याख्या : अश्वघोष एक महान बौद्ध कवि और नाटककार थे, जो कनिष्क के समकालीन थे। अश्वघोष ने बौद्ध धर्म के प्रचार में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई और उनके द्वारा लिखे गए प्रमुख ग्रंथ “बुद्धचरित” और “स्रीमालदेवी सिंहासन” बौद्ध साहित्य के महत्वपूर्ण हिस्से हैं।

कनिष्क के समय में अश्वघोष ने बौद्ध धर्म को साहित्यिक रूप से प्रस्तुत किया और कनिष्क के दरबार में बौद्ध धर्म के महत्व को बढ़ावा दिया।

43. अश्वघोष किसका समकालीन था ?

(a) अशोक का

(b) चंद्रगुप्त द्वितीय का

(c) कनिष्क का

(d) हर्षवर्धन का

उत्‍तर : (c) :    व्याख्या : अश्वघोष एक प्रसिद्ध बौद्ध कवि और नाटककार था, जो कुषाण सम्राट कनिष्क के समकालीन था। अश्वघोष ने बुद्धचरित और स्रीमालदेवी सिंहासन जैसे ग्रंथों की रचना की, जो बौद्ध साहित्य में महत्वपूर्ण माने जाते हैं। वे कनिष्क के दरबार में सक्रिय थे और बौद्ध धर्म के प्रचार में उनका योगदान बहुत महत्वपूर्ण था।

44. कनिष्क के समकालीन निम्नलिखित नामों का अध्ययन करें और निम्नांकित उत्तर कोड के अनुसार अपना उत्तर इंगित करें –

(I) अश्वघोष

(II) वसुमित्र

(III) कालिदास

(IV) कंबन

उत्तर कोड :

(a) I और IV

(b) II और III

(c) I और II

(d) वे सभी

उत्‍तर : (c) :    व्याख्या : कनिष्क के समकालीन थे:
• अश्वघोष: वह कनिष्क के समय के प्रमुख बौद्ध कवि और नाटककार थे। उन्होंने बुद्धचरित जैसी काव्य कृतियाँ लिखीं।
• वसुमित्र: वह कनिष्क के समय के एक प्रमुख बौद्ध भिक्षु थे, जिन्होंने कनिष्क द्वारा आयोजित तीसरी बौद्ध संगीति में भाग लिया था।
वहीं, कालिदास और कंबन का समय कनिष्क के बाद था। कालिदास गुप्तकाल के शासक चंद्रगुप्त द्वितीय के दरबार में थे, और कंबन ने चोल काल में काम किया।

इसलिए, सही उत्तर I और II है।

45. शुंग कला के संबंध में निम्नलिखित में से क्या सत्य नहीं है?

(a) इनमें जातक कथाओं का अंकन है।

(b) इसमें लोकधर्म का अंकन है।

(c) इसमें गौतम बुद्ध के जीवन से संबंधित घटनाओं का अंकन है।

(d) इसमें बुद्ध का मनुष्य रूप में अंकन है।

उत्‍तर : (d) :    व्याख्या : शुंग कला (लगभग 185 ई.पू. – 73 ई.पू.) में गौतम बुद्ध के जीवन से संबंधित घटनाओं का अंकन किया गया था, लेकिन बुद्ध का मनुष्य रूप में अंकन शुंग कला में नहीं था। शुंग कला में बुद्ध की मूर्तियों को कभी भी मनुष्य रूप में नहीं दर्शाया गया था। इसके बजाय, बुद्ध का अंकन मुख्यतः सिंहासन या ध्यान मुद्रा में किया जाता था, या फिर धार्मिक प्रतीकों (जैसे पदचिह्न) के रूप में।
शुंग कला में प्रमुख रूप से जातक कथाओं और लोकधर्म का अंकन होता था, जो धार्मिक और सांस्कृतिक जीवन का प्रतिबिंब थे।

46.निम्नलिखित में से किस शासक के सिक्कों पर संकर्षण एवं वासुदेव दोनों अंकित हैं?

(a) अगाधोक्लीज

(b) भगभद्र

(c) मेनाण्डर

(d) हुविष्क

उत्‍तर : (d) :    व्याख्या : हुविष्क (कुषाण साम्राज्य का शासक) के सिक्कों पर संकर्षण और वासुदेव दोनों के चित्र अंकित हैं। हुविष्क ने इन दोनों देवताओं के प्रतीकों को अपने सिक्कों पर अंकित किया था, जो बौद्ध और हिंदू धर्म के तत्वों का मिश्रण थे।
यह प्रतीक उनके शासन के धार्मिक समावेशी दृष्टिकोण को दर्शाते हैं, जिसमें हिंदू और बौद्ध धर्म दोनों की महत्वपूर्ण उपस्थिति थी।

47. भारत के मानसून की खोज किसने की थी?

(a) स्ट्रेबो

(b) टॉलेमी

(c) हिप्पालस

(d) एरियन

उत्‍तर : (c) :    व्याख्या : हिप्पालस (Hipparchus) ने सबसे पहले भारत के मानसून की खोज की थी। वह एक प्राचीन ग्रीक ज्योतिषी और भूगोलवेत्ता थे। हिप्पालस ने भारत और अन्य एशियाई देशों के मौसम पैटर्न का अध्ययन किया और मानसून के मौसम के बारे में जानकारी दी।
उनकी खोज ने भारतीय उपमहाद्वीप के मौसम की परिघटनाओं को समझने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई, विशेषकर व्यापारिक मार्गों और जलवायु संबंधी विश्लेषणों में।

48. निम्नलिखित में कौन-सा वर्ष दिसंबर, 2009 में शक संवत् का वर्ष होगा?

(a) 1931

(b) 1952

(c) 2066

(d) 2087

उत्‍तर : (c) :    व्याख्या : शक संवत (Indian National Calendar) का आरंभ 78 ईस्वी में हुआ था। इसके अनुसार, 2009 ईस्वी में शक संवत का वर्ष 1931 होगा।
यह गणना इस प्रकार की जाती है:
• 2009 ई. = 78 + 1931 = 1931 शक संवत्
इसलिए, दिसंबर 2009 में शक संवत् का वर्ष 1931 होगा, और अगर विकल्प में 1931 था तो वह सही उत्तर होगा, लेकिन यहां विकल्प में 2066 दिया है जो मान्य नहीं होता

49. विक्रम एवं शक संवतों में कितना अंतर (वर्षों में) है?

(a) 57 वर्ष

(b) 78 वर्ष

(c) 135 वर्ष

(d) 320 वर्ष

उत्‍तर : (a) :    व्याख्या : विक्रम संवत और शक संवत के बीच 57 वर्ष का अंतर है।
• विक्रम संवत का प्रारंभ 57 ई.पू. में हुआ था, जबकि शक संवत का प्रारंभ 78 ई.स्वी में हुआ था।
इस प्रकार, शक संवत विक्रम संवत से 57 वर्ष बाद शुरू हुआ था।

50. शक संवत् कब प्रारंभ किया गया ?

(a) 58 ई.

(b) 78 ई.

(c) 320 ई.

(d) 606 ई.

उत्‍तर : (b) :    व्याख्या : शक संवत का प्रारंभ 78 ई. में हुआ था। इसे कुषाण सम्राट कनिष्क द्वारा प्रारंभ किया गया था। शक संवत का उपयोग मुख्य रूप से भारतीय उपमहाद्वीप में किया जाता है, और यह भारतीय राष्ट्रीय कैलेंडर का हिस्सा है।

51. कनिष्क के सारनाथ बौद्ध प्रतिमा अभिलेख की तिथि क्या है?

(a) 78 ई. सन्

(b) 81 ई.सन्

(c) 98 ई. सन्

(d) 121 ई.सन्

उत्‍तर : (b) :    व्याख्या : कनिष्क के सारनाथ बौद्ध प्रतिमा अभिलेख की तिथि 81 ई. सन् है। यह अभिलेख कनिष्क के शासनकाल में लिखा गया था, और इसमें बौद्ध धर्म के प्रचार और कनिष्क द्वारा बौद्ध धर्म को समर्थन देने के बारे में जानकारी दी गई है।

यह अभिलेख बौद्ध धर्म के तीसरे संगीति (कान्फ्रेंस) के आयोजन के संदर्भ में महत्वपूर्ण है, जो कनिष्क ने अपनी राजधानी कश्मीर में आयोजित किया था।

52. इनमें से किसने सर्वप्रथम व्यापक पैमाने पर स्वर्णमुद्रा का प्रचलन किया ?

(a) पुष्यमित्र शुंग

(b) मेनांडर

(c) विमा कफिसेस

(d) गौतमीपुत्र सातकर्णी

(e) उपर्युक्त में से कोई नहीं/उपर्युक्त में से एक से अधिक

उत्‍तर : (d) :    व्याख्या : गौतमीपुत्र सातकर्णी ने स्वर्ण मुद्राओं का व्यापक पैमाने पर प्रचलन किया था। वह सातवाहन वंश के एक प्रमुख शासक थे और उनके शासनकाल में स्वर्ण मुद्राओं का उपयोग प्रचलित हुआ। इन मुद्राओं पर उनके नाम और कुछ धार्मिक प्रतीकों का अंकन किया जाता था।

गौतमीपुत्र सातकर्णी का शासन भारतीय इतिहास में महत्वपूर्ण था, और उनके द्वारा स्वर्ण मुद्राओं का चलन, भारतीय मुद्रा प्रणाली में एक नई दिशा को प्रदर्शित करता है।

53. निम्नलिखित में से किस शासन को सर्वप्रथम सोने के सिक्के जारी करने का श्रेय दिया जाता है?

(a) कुजुल कडफिसेस

(b) विम कडफिसेस

(c) कनिष्क प्रथम

(d) हविष्क

उत्‍तर : (a) :    व्याख्या : कुजुल कडफिसेस (Kujula Kadphises) को सर्वप्रथम सोने के सिक्के जारी करने का श्रेय दिया जाता है। वह कुषाण साम्राज्य के पहले शासक थे और उन्होंने सोने के सिक्कों का प्रचलन शुरू किया, जो उनके साम्राज्य के लिए महत्वपूर्ण मुद्रा व्यवस्था बन गई।

कुजुल कडफिसेस के सिक्कों पर उनके नाम, चित्र और कुछ धार्मिक प्रतीकों का अंकन था, जो उनके शासनकाल की आर्थिक और सांस्कृतिक विशेषताओं को दर्शाता है।

54.सातवाहनों की राजकीय भाषा थी-

(a) प्राकृत

(b) संस्कृत

(c) अपभ्रंश

(d) तेलुगू

उत्‍तर : (a) :    व्याख्या : सातवाहन साम्राज्य की राजकीय भाषा प्राकृत थी। सातवाहन शासकों ने प्राकृत भाषा में विभिन्न शिलालेख और सिक्के जारी किए थे। प्राकृत भाषा का उपयोग उस समय के प्रशासनिक और धार्मिक कार्यों में किया जाता था।
हालांकि संस्कृत भी महत्वपूर्ण थी, लेकिन प्राकृत ही सातवाहनों के समय में अधिक प्रचलित थी, विशेष रूप से उनके शिलालेखों और साहित्य में।

55. बुद्ध का किसके सिक्कों पर अंकन हुआ है?

(a) विम कडफिसेस

(b) कनिष्क

(c) नहपाण

(d) बुध गुप्त

उत्‍तर : (b) :    व्याख्या : कनिष्क के सिक्कों पर बुद्ध का अंकन हुआ है। कनिष्क, जो कि कुषाण साम्राज्य के प्रसिद्ध शासक थे, ने अपने सिक्कों पर बुद्ध की छवि को अंकित किया था, जो बौद्ध धर्म के प्रति उनके समर्थन और समर्पण को दर्शाता है। यह सिक्का विशेष रूप से उनके शासन के दौरान बौद्ध धर्म के प्रसार और विकास का प्रतीक है।

56. प्राचीन भारत में निम्न में से किस एक ने नियमित रूप से सोने के सिक्के चलाए?

(a) सातवाहन

(b) शक

(c) कुषाण

(d) पार्थियन

उत्‍तर : (c) :    व्याख्या : कुषाण साम्राज्य के शासकों ने नियमित रूप से सोने के सिक्के चलाए। कुषाण शासक, विशेष रूप से कनिष्क के शासनकाल में, सोने के सिक्कों का व्यापक रूप से उपयोग किया गया। ये सिक्के उनके साम्राज्य की आर्थिक शक्ति और वैभव को दर्शाते थे।

कुषाण शासकों ने न केवल सोने के सिक्के चलाए, बल्कि इन सिक्कों पर विभिन्न धार्मिक प्रतीकों, जैसे बौद्ध छवियां और देवी-देवताओं की मूर्तियां भी अंकित की गई थीं।

57.उत्तरी तथा उत्तरी-पश्चिमी भारत में सर्वाधिक संख्या में तांबे के सिक्कों को जारी किया था-

(a) इंडो-ग्रीकों ने

(b) कुषाणों ने

(c) शकों ने

(d) प्रतिहारों ने

उत्‍तर : (c) :    व्याख्या : शकों (Scythians) ने उत्तरी और उत्तरी🔹पश्चिमी भारत में सर्वाधिक संख्या में तांबे के सिक्के जारी किए थे। शकों के शासन के दौरान, तांबे के सिक्कों का प्रचलन बढ़ा, और इन सिक्कों पर शासकों के नाम और धार्मिक प्रतीकों का अंकन किया जाता था।

इन सिक्कों का उपयोग व्यापार, लेन-देन और प्रशासनिक कार्यों में होता था। शकों द्वारा जारी किए गए तांबे के सिक्के विशेष रूप से सिक्कों की संख्या और प्रचलन के लिए प्रसिद्ध हैं।

58. सूची I को सूची II से सुमेलित कीजिए तथा नीचे दिए गए कूट में से सही उत्तर चुनिए –

सूची I                    सूची II

A. डिमेट्रियस         1. पल्लव

B. रुद्रदामन           2. कुषाण

C. गोण्डोफर्नीज     3. हिंद – यूनानी

D. विम                  4. शक

कूट :     

ABCD

(a)1324

(b)4312

(c)3412

(d)1234

उत्‍तर : (a) :    व्याख्या :
A. डिमेट्रियस – 3. हिंद – यूनानी
डिमेट्रियस एक हिंद यूनानी शासक था, जो भारतीय उपमहाद्वीप में आक्रमण करने वाला पहला यूनानी शासक था।
• B. रुद्रदामन – 4. शक
रुद्रदामन I एक शक शासक था और उसने पश्चिमी भारत में शासन किया।
• C. गोण्डोफर्नीज 2. कुषाण
गोण्डोफर्नीज एक कुषाण शासक था, जिसने भारत और मध्य एशिया में अपना शासन स्थापित किया।
• D. विम – 1. पल्लव
विम एक पल्लव शासक था, जिसने दक्षिण भारत में शासन किया। इस प्रकार सही सुमेलन 1324 है।

59. बिना बेगार के किसने सुदर्शन झील का जीर्णोद्धार कराया ?

(a) चंद्रगुप्त मौर्य

(b) बिंदुसार

(c) अशोक

(d) रुद्रदामन प्रथम

उत्‍तर : (d) :    व्याख्या : रुद्रदामन प्रथम ने सुदर्शन झील का जीर्णोद्धार बिना बेगार के कराया था। यह घटना कृष्णक के हाथीगुम्फा लेख में वर्णित है। रुद्रदामन ने सुदर्शन झील को फिर से बनवाया और इसे अत्यधिक महत्व दिया। यह झील न केवल जल आपूर्ति के लिए महत्वपूर्ण थी, बल्कि यह उस समय के प्रशासनिक और सामाजिक जीवन का भी अभिन्न हिस्सा थी।

60.किस अभिलेख में रुद्रदामन प्रथम की विभिन्न उपलब्धियां वर्णित हैं?

(a) जूनागढ़

(b) भितरी

(c) नासिक

(d) सांची

उत्‍तर : (a) :    व्याख्या : रुद्रदामन प्रथम की विभिन्न उपलब्धियाँ जूनागढ़ शिलालेख में वर्णित हैं। यह अभिलेख रुद्रदामन द्वारा सुदर्शन झील के जीर्णोद्धार, अपने विजय अभियानों और अन्य प्रशासनिक कार्यों के बारे में जानकारी प्रदान करता है। यह शिलालेख गुजरात के जूनागढ़ में स्थित है और रुद्रदामन की महानता और उसके शासन के बारे में महत्वपूर्ण ऐतिहासिक जानकारी देता है।

61. ‘काव्य’ शैली का प्राचीनतम नमूना किसके अभिलेख में मिलता है?

(a) काठियावाड़ के रुद्रदामन के

(b) अशोक के

(c) राजेंद्र प्रथम के

(d) उपरोक्त में कोई नहीं

उत्‍तर : (a) :    व्याख्या : ‘काव्य’ शैली का प्राचीनतम नमूना रुद्रदामन के काठियावाड़ शिलालेख में मिलता है। यह शिलालेख जूनागढ़ में स्थित है और इसमें रुद्रदामन के शासनकाल की विभिन्न उपलब्धियाँ और उनकी काव्यात्मक शैली में लिखी गई बातें हैं। रुद्रदामन ने अपने शिलालेखों में काव्यशैली का प्रयोग किया था, जो भारतीय इतिहास में एक महत्वपूर्ण साहित्यिक तत्व के रूप में पहचाना जाता है।

62. सूची-1 को सूची-II से सुमेलित कीजिए तथा नीचे गये कूट का प्रयोग कर सही उत्तर का चयन करें-

सूची-1                   सूची-II

(A) ताम्रलिप्ति         1. सिंधुघाटी (बारबेरिकम)

(B) बेरीगाजा          2. बंगाल तट

(C) अरिकामेडु        3. तमिलनाडु तट

(D) बैरी बैकम       4. गुजरात तट

कूट :

ABC D

(a)432I

(b)2341

(c)1234

(d)243

उत्‍तर : (d) :    व्याख्या :
• (A) ताम्रलिप्ति -(2) बंगाल तट
ताम्रलिप्ति एक प्राचीन बंदरगाह था जो बंगाल तट पर स्थित था और यह समुद्री व्यापार के लिए एक महत्वपूर्ण केंद्र था।
• (B) बेरीगाजा – (4) गुजरात तट
बेरीगाजा एक प्राचीन बंदरगाह था जो गुजरात तट पर स्थित था। यह समुद्री मार्गों के द्वारा व्यापार के लिए महत्वपूर्ण था।
• (C) अरिकामेडु -(3) तमिलनाडु तट
अरिकामेडु एक प्राचीन बंदरगाह था जो तमिलनाडु तट पर स्थित था और यह रोमन साम्राज्य के साथ व्यापार करता था।
• (D) बैरी बैकम – (1) सिंधुघाटी (बारबेरिकम)
बैरी बैकम सिंधुघाटी में स्थित एक प्राचीन व्यापारिक केंद्र था। इस प्रकार सही सुमेलन 2431 है।

63.कथन (A): मथुरा कला शैली पर भरहूत, गया और सांची के पूर्ववर्ती भारतीय कला परंपराओं का काफी प्रभाव था। कारण (R): विभिन्न मूर्तियों के सिरों के इर्द-गिर्द प्रभामंडल बनाने की परंपरा मथुरा कला में ही शुरू हुई।

कूटः

(a) कथन A और कारण R दोनों सही हैं कारण R कथन A का सही व्याख्या करता है।

(b) कथन A तथा कारण R दोनों सही हैं किन्तु R. A सही व्याख्या नहीं कर रहा है।

(c) A सही लेकिन R गलत है।

(d) Aगलत है परन्तु R सही है।

उत्‍तर : (d) :    व्याख्या :
• कथन (A): मथुरा कला शैली पर भरहूत, गया और सांची के पूर्ववर्ती भारतीय कला परंपराओं का काफी प्रभाव था।
यह कथन गलत है। मथुरा कला शैली पर भरहूत, गया और सांची की कला परंपराओं का प्रभाव था, लेकिन मथुरा कला शैली का जन्म पहले हुआ था और यह एक स्वतंत्र और प्रमुख कला परंपरा थी। इन अन्य कला शैलियों ने मथुरा कला से प्रभावित होकर अपनी विशिष्टताएँ विकसित कीं।
• कारण (R): विभिन्न मूर्तियों के सिरों के इर्द-गिर्द प्रभामंडल बनाने की परंपरा मथुरा कला में ही शुरू हुई।
यह कथन सही है। मथुरा कला में ही प्रभामंडल (Halo) बनाने की परंपरा शुरू हुई थी, जिसमें भगवान की मूर्तियों के सिर के चारों ओर एक आभामंडल (Aura) दिखाया जाता था।
इस प्रकार, कथन A गलत है परन्तु कारण R सही है।

64. निम्न में से किस पुराण में हमें सातवाहनों के बारे में जानकारी मिलती है?

(1) मत्स्य

(2) मार्कडेय

(3) विष्णु

(4) वायु

(5) भागवत्

कूटः

(a) केवल 5

(b) केवल 2

(c) 1,3 और 4

(d) 1,2,3 और 4

उत्‍तर : (c) :    व्याख्या : सातवाहनों के बारे में जानकारी हमें निम्नलिखित पुराणों में मिलती है:
1. मत्स्य पुराण
2. विष्णु पुराण
3. वायु पुराण
इन तीन पुराणों में सातवाहन वंश के शासकों और उनके शासन के बारे में जानकारी मिलती है। मार्कंडेय पुराण और भागवत पुराण में विशेष रूप से सातवाहन वंश के बारे में जानकारी नहीं दी गई है।
इसलिए सही उत्तर है 1, 3 और 4। सही उत्तर: (b) सोमदेव कृत ‘कथासरित्सागर’

65. निम्न में से कौन-सी साहित्यिक कृति हमें सातवाहनों के राजनैतिक इतिहास के बारे में बताती है?

(a) भास रचित ‘स्वप्नवासवत्त’

(b) सोमदेव कृत ‘कथासरित्सागर’

(c) शूद्रक कृत ‘मृच्छकटिकम’

(d) इनमें से कोई नहीं

उत्‍तर : (b) :    व्याख्या : ‘कथासरित्सागर’, जो सोमदेव द्वारा रचित एक महत्वपूर्ण संस्कृत साहित्यिक कृति है, में सातवाहनों के राजनैतिक इतिहास का उल्लेख मिलता है। यह कृति एक महाकाव्य है जिसमें विभिन्न राजाओं और उनके शासन की कथाएँ हैं। सोमदेव ने इस काव्य में भारतीय प्राचीन इतिहास, समाज, और संस्कृति को प्रमुख रूप से प्रस्तुत किया है। बाकी विकल्पों में:
• ‘स्वप्नवासवत्त’ (भास द्वारा रचित) एक नाटक है, जिसमें सातवाहन वंश का कोई उल्लेख नहीं है।
• ‘मृच्छकटिकम’ (शूद्रक द्वारा रचित) एक सामाजिक नाटक है और इसमें सातवाहनों के राजनैतिक इतिहास का उल्लेख नहीं मिलता।
इसलिए, सही उत्तर है (b) सोमदेव कृत ‘कथासरित्सागर’।

66. निम्नलिखित में से किस हिंद-यवन शासक ने सीसे के सिक्के जारी किए थे?

(a) स्ट्रैटो II

(b) स्ट्रैटो I

(c) डेमेट्रियस

(d) मेनांडर

उत्‍तर : (a) :    व्याख्या : स्ट्रैटो II एक हिंद-यवन शासक था जिसने सीसे के सिक्के जारी किए थे। यह शासक इंडो-ग्रीक (हिंद-यवन) राजवंश से संबंधित था और उसकी शाही मुद्रा में सीसा (lead) का प्रयोग प्रमुख था, जो कि उस समय एक अलग और दुर्लभ प्रकार की मुद्रण प्रणाली थी।
बाकी विकल्पों में:
• स्ट्रैटो I और डेमेट्रियस ने सामान्यत: चांदी और तांबे के सिक्के जारी किए थे, और मेनांडर ने भी सीसे के सिक्के जारी नहीं किए थे।
इसलिए, सही उत्तर है (a) स्ट्रैटो II।

67. सूची-1 को सूची-II से सुमेलित कीजिए तथा नीचे गयें कूट का प्रयोग कर सही उत्तर का चयन करें-

सूची-1                   सूची-II

(A) कुरिन्जी           1. आखेट एवं खाद्य संग्रहण

(B) मुल्लई             2. पशुपालन एवं खाद्य उत्पादन

(C) मरूदम             3. खाद्य उत्पादन एवं भंडारण

(D) नेयतल            4. मत्स्यग्रहण एवं नमक उत्पादन

कूट :

ABCD

(a)1324

(b)1423

(c)1243

(d)1234

उत्‍तर : (d) :    व्याख्या : यह कूट विभिन्न भौगोलिक क्षेत्रों को उनके संबंधित आर्थिक गतिविधियों से जोड़ता है:
• कुरिन्जी (A): यह क्षेत्र आखेट और खाद्य संग्रहण से संबंधित था।
• मुल्लई (B): यह क्षेत्र पशुपालन और खाद्य उत्पादन से जुड़ा हुआ था।
• मरूदम (C): यह क्षेत्र खाद्य उत्पादन और भंडारण से संबंधित था।
• नेयतल (D): यह क्षेत्र मत्स्यग्रहण और नमक उत्पादन से जुड़ा हुआ था।
इसलिए सही उत्तर है (d) 1234।

68.कथन (A): रूद्रदामन प्रथम ने दावा किया कि प्रसिद्ध सुदर्शन झील की मरम्मत करवाने के दौरान उसने अपनी प्रजा पर विशिष्ट, प्रणय आदि जैसे करों का अतिरिक्त बोझ आरोपित नहीं किया।

कारण (R): कौटिलय के ‘अर्थशास्त्र’ के अनुसार मौर्यकाल में केवल ‘प्रणय’ ही आपतकालीन कर था।

कूटः

(a) कथन A और कारण R दोनों सही हैं कारण R कचन Aका सही व्याख्या करता है

(b) कथन Aतथा कारण R दोनों सही हैं किन्तु R, A सही व्याख्या नहीं कर रहा है।

(c) A सही लेकिन R गलत है।

(d) A गलत है परन्तु R सही है।

उत्‍तर : (b) :    व्याख्या :
• कथन A: रूद्रदामन प्रथम ने यह दावा किया कि सुदर्शन झील के मरम्मत कार्य के दौरान उसने अपनी प्रजा पर अतिरिक्त करों का बोझ नहीं डाला। यह तथ्य सही है, क्योंकि रूद्रदामन ने अपने अभिलेख में उल्लेख किया था कि उसने अपनी प्रजा पर कोई अतिरिक्त कर या बोझ नहीं डाला।
• कारण R: कौटिल्य के ‘अर्थशास्त्र’ में यह उल्लेखित है कि मौर्यकाल में केवल ‘प्रणय’ (आपतकालीन कर) ही आपातकालीन परिस्थितियों में लगाया जाता था। यह भी सही है, लेकिन यह कथन रूद्रदामन के मामले की व्याख्या नहीं करता है। रूद्रदामन का सुदर्शन झील के मरम्मत कार्य के संदर्भ में करों पर कोई अतिरिक्त बोझ डालने की बात नहीं थी, बल्कि वह दावा कर रहे थे कि उसने ऐसा नहीं किया।
इसलिए, कथन A और कारण R दोनों सही हैं, लेकिन R, A की सही व्याख्या नहीं करता।

69.निम्नांकित में से कौन-सा युग्म सुमेलित नहीं है?

(a) प्लिनी              1. प्राकृतिक इतिहास

(b) टॉल्मी              2. भूगोल

(c) स्ट्रेबो              3. इरीब्रियन समुद्र का पोतविहार

(d) कॉस्मॉ             4. कैस्पियन के स्थान का वर्णनस

उत्‍तर : (c) :    व्याख्या :
प्लिनी (a) 🔹 प्राकृतिक इतिहास (1): प्लिनी ने अपनी कृति “Natural History” में प्राकृतिक जगत के विभिन्न पहलुओं का वर्णन किया।

टॉल्मी (b) 🔹 भूगोल (2): टॉल्मी ने अपनी कृति “Geography” में भूगोल से संबंधित विषयों पर विस्तार से चर्चा की।

स्ट्रेबो (c) 🔹 इरीब्रियन समुद्र का पोतविहार (3): स्ट्रेबो ने Geography नामक पुस्तक में विश्व के भूगोल का विवरण दिया, लेकिन इरीब्रियन समुद्र का पोतविहार उनके कार्य का हिस्सा नहीं था।

कॉस्मॉ (d) 🔹 कैस्पियन के स्थान का वर्णन (4): कॉस्मॉ ने अपनी कृति में कैस्पियन समुद्र के स्थान का वर्णन किया।

इसलिए, स्ट्रेबो और इरीब्रियन समुद्र का पोतविहार का युग्म सुमेलित नहीं है।

FAQs : Gupta Period
मौर्य साम्राज्य के पतन के बाद भारत में सबसे पहले कौन-सा राजवंश उभरा?

शुंग वंश – जिसकी स्थापना पुष्यमित्र शुंग ने की।

पुष्यमित्र शुंग ने किस अंतिम मौर्य सम्राट की हत्या कर सत्ता प्राप्त की थी?

बृहद्रथ मौर्य।

शुंग वंश का धार्मिक दृष्टिकोण क्या था?

ब्राह्मण धर्म का समर्थन, बौद्ध धर्म का विरोध; यज्ञों का पुनः प्रचलन।

शुंग काल की प्रमुख कला उपलब्धि क्या थी?

भरहुत और सांची स्तूपों का विस्तार एवं सजावट।

उत्तर मौर्य काल में किस यूनानी राजा ने भारत पर आक्रमण किया था?

डेमेत्रियस (Indo-Greek)।

मथुरा और गांधार कला शैलियों का विकास किस काल में हुआ?

उत्तर मौर्य काल – विशेषकर शकों और कुषाणों के समय।

कुषाण वंश के सबसे प्रसिद्ध शासक कौन थे?

कनिष्क – जिन्होंने चौथी बौद्ध परिषद का आयोजन किया।

कनिष्क के काल में किस धर्म और संप्रदाय को बढ़ावा मिला?

महायान बौद्ध धर्म।

उत्तर मौर्य काल में प्रमुख विदेशी शक्तियाँ कौन-सी थीं?

इंडो-यूनानी, शक, पार्थियन और कुषाण।

उत्तर मौर्य काल की आर्थिक स्थिति कैसी थी?

व्यापार में वृद्धि – विशेषतः रेशम मार्ग (Silk Route) के ज़रिए रोम और मध्य एशिया से।

“मित्रों, अगर हमारे प्रश्नों ने आपकी तैयारी में ज़रा भी मदद की हो, तो एक छोटा सा कमेंट ज़रूर करें। आपका एक शब्द हमारा हौसला कई गुना बढ़ा देता है। यही प्यार हमें और बेहतर करने की ताकत देता है। ❤️🙏”


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