क्या आपने कभी समाचारों में DGMO का नाम सुना है लेकिन ठीक से समझ नहीं पाए कि ये पद होता क्या है? यह ब्लॉग आसान और स्पष्ट भाषा में आपको बताएगा कि DGMO कौन होता है, उसके क्या काम होते हैं, कैसे नियुक्त किया जाता है और इसका भारत की सुरक्षा में क्या महत्व है। अगर आप सेना, प्रशासन या सामान्य ज्ञान में रुचि रखते हैं, तो यह लेख आपके लिए बेहद उपयोगी साबित होगा।
हाल ही में, 10 मई 2025 को, भारत और पाकिस्तान के DGMOs के बीच बातचीत हुई, जिसमें दोनों देशों ने भूमि, वायु और समुद्र में सभी सैन्य कार्रवाइयों को रोकने पर सहमति व्यक्त की ।
📑 Table of Contents
DGMO कौन होता है?
DGMO भारतीय थल सेना (Indian Army) में एक बहुत ही उच्च पद होता है। DGMO का पूरा नाम Director General of Military Operations (सैन्य संचालन महानिदेशक) होता है। यह भारतीय थल सेना में एक उच्च पदस्थ अधिकारी होता है, जो सैन्य अभियानों की योजना, समन्वय और निगरानी का कार्य करता है।
वर्तमान DGMO कौन हैं?
वर्तमान में, भारतीय सेना के DGMO लेफ्टिनेंट जनरल राजीव घई हैं, जिन्होंने 25 अक्टूबर 2024 को यह पदभार संभाला था । इससे पहले, वे मणिपुर और भारत-म्यांमार सीमा क्षेत्र में सुरक्षा स्थिति का आकलन करने के लिए फरवरी 2025 में दौरे पर गए थे ।
DGMO DGMO के प्रमुख कार्य:
▪️ सीमा पर सैन्य गतिविधियों की निगरानी — खासकर नियंत्रण रेखा (LoC) और अंतरराष्ट्रीय सीमा (IB) पर।
▪️ आपरेशन प्लानिंग — युद्ध, सर्जिकल स्ट्राइक, और अन्य सैन्य ऑपरेशनों की योजना बनाना और उसे लागू कराना।
▪️ अन्य देशों के साथ सैन्य संवाद — विशेषकर पाकिस्तान के DGMO के साथ साप्ताहिक या आवश्यकतानुसार बातचीत (DGMO-level talks)।
▪️ संकट या युद्ध की स्थिति में निर्णय में सहायता देना — सरकार और सेना प्रमुख को स्थिति की रिपोर्ट देना और सुझाव देना।
DGMO और आम आदमी का संबंध:
जब भी सीमा पर गोलीबारी होती है, युद्ध जैसी स्थिति बनती है या सर्जिकल स्ट्राइक जैसे ऑपरेशन होते हैं, तो DGMO का नाम सामने आता है। यह अधिकारी वही होता है जो मीडिया ब्रीफिंग में सैन्य स्थिति की जानकारी देता है और विदेशों से सैन्य स्तर की बातचीत करता है।
🛡️ DGMO की नियुक्ति प्रक्रिया (Appointment Process)
- सेना के भीतर चयन:
- DGMO की नियुक्ति भारतीय थल सेना के वरिष्ठतम अधिकारियों में से एक को की जाती है।
- यह आमतौर पर एक लेफ्टिनेंट जनरल रैंक के अधिकारी होते हैं, जो सेना में कई दशकों की सेवा और अनुभव रखते हैं।
- उन्हें सेना मुख्यालय (Army HQ), विशेष रूप से सैन्य संचालन निदेशालय (Directorate of Military Operations) में प्रमुख के रूप में तैनात किया जाता है।
- चयन प्रक्रिया कौन करता है?
- चयन सेना प्रमुख (Chief of Army Staff) की सिफारिश और रक्षा मंत्रालय (Ministry of Defence) की मंजूरी से होता है।
- इसमें प्रधानमंत्री या राष्ट्रपति की सीधी भूमिका नहीं होती, क्योंकि यह एक सेना के आंतरिक प्रशासनिक निर्णय के तहत आता है।
- योग्यता और अनुभव:
- संचालनात्मक अनुभव (Operational Experience) – जैसे कि कश्मीर, उत्तर-पूर्व, UN मिशन, युद्धकालीन सेवाएं।
- स्टाफ व कॉलेज शिक्षा – जैसे National Defence College, Defence Services Staff College आदि से प्रशिक्षण।
- विदेश नीति, कूटनीति और सामरिक अध्ययन में भी समझ होनी चाहिए।
📜 संवैधानिक और कानूनी प्रावधान (Constitutional & Legal Provisions)
- संविधान में सीधा उल्लेख नहीं:
- भारत के संविधान में DGMO का नाम या पद सीधे तौर पर उल्लिखित नहीं है।
- संविधान का भाग XIV “Services under the Union and the States” सैन्य बलों की व्यवस्था का उल्लेख करता है लेकिन DGMO जैसे विशेष पदों का नहीं।
- संबंधित कानून:
- Army Act, 1950:
यह कानून भारतीय सेना के प्रशासन, अनुशासन, और संचालन को नियंत्रित करता है। DGMO जैसे उच्च पद उसी प्रशासनिक संरचना के तहत आते हैं। - Rules of Business of the Government of India:
रक्षा मंत्रालय की जिम्मेदारियों और अधिकारों को परिभाषित करता है, जिसके तहत सेना प्रमुख और अन्य वरिष्ठ अधिकारियों की नियुक्ति की प्रक्रिया तय होती है।
- Army Act, 1950:
🔍 DGMO की संवैधानिक स्थिति
बिंदु | विवरण |
संवैधानिक पद? | ❌ नहीं (यह एक प्रशासनिक / सैन्य पद है) |
नियुक्तिकर्ता | सेना प्रमुख व रक्षा मंत्रालय |
कानूनी आधार | Army Act, 1950 और सैन्य नियमावली |
जवाबदेही | रक्षा मंत्रालय और अंतिमतः भारत सरकार को |
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