गुप्तोत्तर काल MCQ Quiz | इतिहास प्रश्नोत्तरी हिंदी में (PDF सहित)

गुप्तोत्तर काल MCQ Quiz | इतिहास प्रश्नोत्तरी हिंदी में (PDF सहित)


प्राचीन भारतीय इतिहास में गुप्त साम्राज्य के पतन के बाद भारतीय उपमहाद्वीप में जो समय आया, उसे गुप्तोत्तर काल (लगभग 550 ई. से 750 ई.) / (लगभग 6वीं से 8वीं शताब्दी तक) कहा जाता है। यह काल राजनीतिक विखंडन, नव उदयमान राजवंशों, और सांस्कृतिक परिवर्तन का युग था। इस समय कई महत्वपूर्ण राजवंश जैसे पुष्यभूति वंश (हर्षवर्धन), मौखरी, पाल, और राष्ट्रकूट उभरे।

इस काल में बौद्ध धर्म, हिंदू धर्म और क्षेत्रीय भाषाओं का विकास हुआ। ह्वेनसांग जैसे विदेशी यात्रियों ने भी इस समय भारत का दौरा किया और अपनी यात्रा-वृत्तांतों में तत्कालीन सामाजिक, धार्मिक और राजनीतिक स्थितियों का वर्णन किया।

गुप्तोत्तर काल से संबंधित अक्सर प्रश्नोत्तरी (MCQ) में पूछे जाते हैं, जो एक परीक्षार्थी के लिए महत्वपूर्ण होजाता है की गुप्तोत्तर काल से संबंधित प्रश्नों की समझ होना जरुरी होता है।

इस क्विज़ के माध्यम से आप गुप्तोत्तर काल से जुड़े ऐसे ही महत्वपूर्ण तथ्यों का अभ्यास कर सकते हैं, जो प्रतियोगी परीक्षाओं में अक्सर पूछे जाते हैं।


हमार उद्देश्य है कि आप बिना नोट्स पढ़े इन प्रश्नों के उत्तर की व्याख्या को पढ़ कर पूरे नोट्स का रिवीजन कर सकते है ।


1. सम्राट हर्ष ने अपनी राजधानी थानेश्वर से कहां स्थानांतरित की थी ?

(a) प्रयाग

(b) दिल्ली

(c) कन्नौज

(d) राजगृह

उत्‍तर : (c) :    व्याख्या : सम्राट हर्ष ने अपनी राजधानी थानेश्वर से कन्नौज स्थानांतरित की थी। यहाँ उनके राजधानी परिवर्तन के कुछ कारण दिए गए हैं:
• राजनीतिक कारण: कन्नौज एक महत्वपूर्ण राजनीतिक और व्यापारिक केंद्र था। हर्ष ने कन्नौज के शासक को हराकर उस पर अधिकार कर लिया था, और राजधानी स्थानांतरित करने से उन्हें अपने साम्राज्य पर बेहतर नियंत्रण स्थापित करने में मदद मिली।
• सामरिक कारण: कन्नौज की भौगोलिक स्थिति सामरिक दृष्टि से महत्वपूर्ण थी। यह गंगा नदी के किनारे स्थित था, जिससे व्यापार और सैन्य संचालन में सुविधा होती थी।
• आर्थिक कारण: कन्नौज एक समृद्ध शहर था, और राजधानी स्थानांतरित करने से हर्ष को अपने साम्राज्य की अर्थव्यवस्था को मजबूत करने में मदद मिली।
• हर्षवर्धन ने थानेसर और कन्नौज के दो राज्यों को एकजुट किया। जिससे वह उत्तर भारत में शक्तिशाली शासक बन गया।

2.मौखरि शासकों की राजधानी……..थी-

(a) थानेश्वर

(b) कन्नौज

(c) पुरुषपुर

(d) उपर्युक्त में से कोई नहीं

उत्‍तर : (b) :    व्याख्या : मौखरि वंश के शासकों ने गुप्त साम्राज्य के पतन के बाद कन्नौज को केंद्र बनाकर अपनी स्वतंत्र सत्ता स्थापित की। मौखरि शासकों का शासन उत्तर भारत में एक महत्वपूर्ण राजनीतिक शक्ति था।
मौखरि वंश के बारे में कुछ अतिरिक्त जानकारी इस प्रकार है:
• मौखरि वंश के संस्थापक हरिवर्मा थे।
• मौखरि शासकों ने 6वीं शताब्दी से 8वीं शताब्दी तक शासन किया।
• मौखरि शासकों ने कन्नौज को एक समृद्ध और शक्तिशाली शहर बनाया।
• मौखरि वंश के अंतिम शासक गृहवर्मन थे, जिनका विवाह थानेसर के पुष्यभूति शासक प्रभाकरवर्धन की पुत्री राज्यश्री के साथ हुआ था।

3.निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिए-

1. ईसा की पहली और दूसरी सदियों में उड़ीसा के बंदरगाहों में मोती, हाथी दांत और मलमल का अच्छा व्यापार चलता था।

2. खारवेल की राजधानी कलिंग नगरी स्थल पर शिशुपालगढ़ में जो खुदाई हुई है उसमें रोम के कई वस्तुएं मिली हैं।

उपर्युक्त कथनों पर कौन-सा/से सही है/हैं?

(a) केवल 1

(c) 1 और 2

(b) केवल 2

(d) इनमें से काई नहीं

उत्‍तर : (c) :    व्याख्या : दिए गए दोनों कथन सही हैं।
• कथन 1:
o ईसा की पहली और दूसरी सदियों में उड़ीसा के बंदरगाहों से मोती, हाथीदांत और मलमल का अच्छा व्यापार होता था।
o प्राचीन ग्रंथों और पुरातात्विक साक्ष्यों से यह स्पष्ट है कि उस समय उड़ीसा एक महत्वपूर्ण व्यापारिक केंद्र था।
• कथन 2:
o खारवेल की राजधानी कलिंग नगरी स्थल पर शिशुपालगढ़ में हुई खुदाई में रोम की कई वस्तुएं मिली हैं।
o यह खुदाई इस बात का प्रमाण है कि उस समय भारत और रोम के बीच व्यापारिक संबंध थे।
अतः, सही उत्तर है: (c) 1 और 2

4. निम्नलिखित में से अद्वैत वेदांत के अनुसार, किसके द्वारा मुक्ति प्राप्त की जा सकती है?

(a) ज्ञान

(b) कर्म

(c) भक्ति

(d) योग

उत्‍तर : (a) :    व्याख्या : अद्वैत वेदांत के अनुसार, ज्ञान के द्वारा मुक्ति प्राप्त की जा सकती है।
अद्वैत वेदांत के प्रमुख सिद्धांत:
• ब्रह्म सत्य है, जगत मिथ्या है। • आत्मा और ब्रह्म एक ही हैं।
• अज्ञान ही बंधन का कारण है।
• ज्ञान से ही मुक्ति संभव है।
यहाँ प्रत्येक विकल्प का संक्षिप्त विवरण दिया गया है:
• ज्ञान: अद्वैत वेदांत के अनुसार, ज्ञान ही मुक्ति का एकमात्र साधन है। यह ज्ञान आत्मज्ञान है, जो यह अनुभव कराता है कि आत्मा और ब्रह्म एक ही हैं।
• कर्म: कर्म अद्वैत वेदांत में महत्वपूर्ण हैं, लेकिन वे मुक्ति का सीधा साधन नहीं हैं। कर्मों को शुद्ध करने से ज्ञान प्राप्त करने में मदद मिलती है।
• भक्ति: भक्ति भी अद्वैत वेदांत में महत्वपूर्ण है, लेकिन इसे ज्ञान प्राप्त करने का एक तरीका माना जाता है।
• योग: योग अद्वैत वेदांत में ज्ञान प्राप्त करने का एक साधन है, लेकिन यह मुक्ति का सीधा साधन नहीं है।

5. अद्वैत दर्शन के संस्थापक हैं-

5. अद्वैत दर्शन के संस्थापक हैं-

(a) शंकराचार्य

(b) रामानुजाचार्य

(c) मध्वाचार्य

(d) महात्मा बुद्ध

उत्‍तर : (a) :    व्याख्या : • अद्वैत वेदांत भारतीय दर्शन की एक प्रमुख शाखा है, जिसका अर्थ होता है “अद्वैत” = “अ” (नहीं) + “द्वैत” (दो)। यानी “अद्वैत” का अर्थ है “अद्वितीय” या “एक ही सत्य”।
• आदि शंकराचार्य (8वीं शताब्दी) ने अद्वैत वेदांत को व्यवस्थित रूप से प्रस्तुत किया और उसे पूरे भारत में प्रचारित किया।
• उनके अनुसार ब्रह्म (सत्य) ही एकमात्र वास्तविक सत्ता है, और यह जगत माया है — भ्रममात्र।
मुख्य सिद्धांत:
“ब्रह्म सत्यं, जगन्मिथ्या, जीवो ब्रह्मैव नापरः” (ब्रह्म ही सत्य है, संसार मिथ्या है, और जीव ब्रह्म ही है, कोई अन्य नहीं।) यदि आप चाहें तो मैं अद्वैत दर्शन के अन्य सिद्धांत या शंकराचार्य के प्रमुख ग्रंथ भी बता सकता हूँ।

6. कथन: 1. हूणों ने लगभग 500 ई. से कश्मीर, पंजाब और पश्चिमी भारत पर अपना प्रभुत्व स्थापित कर लिया।

2. उत्तरी और पश्चिमी भारत लगभग आधे दर्जन सामंत राजाओं के हाथ में चल गया, जिन्होने गुप्त साम्राज्य को आपस में बांट लिया था।

3. हर्ष ने उज्जैन को अपनी राजधानी बनाया जहां से उसने चारों ओर अपना प्रभुत्व फैलाया।

उपर्युक्त कथनों में कौन-से सत्य हैं-

(a) 1 एवं 3

(b) 1 एवं 2

(c) केवल 3

(d) केवल 2

उत्‍तर : (b) :    व्याख्या : यहाँ कथनों का विश्लेषण दिया गया है:
• कथन 1:
o यह कथन सत्य है। हूणों ने 5वीं शताब्दी ईस्वी में भारत पर आक्रमण किया और कश्मीर, पंजाब और पश्चिमी भारत के कुछ हिस्सों पर अपना प्रभुत्व स्थापित किया।
• कथन 2:
o यह कथन भी सत्य है। गुप्त साम्राज्य के पतन के बाद, उत्तरी और पश्चिमी भारत में कई सामंत राजाओं का उदय हुआ, जिन्होंने गुप्त साम्राज्य के क्षेत्रों को आपस में बांट लिया।
• कथन 3:
o यह कथन असत्य है। हर्ष ने थानेसर से कन्नौज को अपनी राजधानी बनाया था। उज्जैन गुप्त साम्राज्य के समय में एक महत्वपूर्ण नगर था।
इसलिए, सही उत्तर है: (d) 1 एवं 2

7. प्राकृत ग्रंथ गौडवहों में किसके कार्यों का वर्णन है?

(a) भास्कर वर्मन

(b) हर्ष

(c) यशोवर्मन

(d) इनमें से कोई नहीं

उत्‍तर : (c) :    व्याख्या : प्राकृत ग्रंथ ‘गौड़वहो’ में कन्नौज के राजा यशोवर्मन के कार्यों का वर्णन है। इस ग्रंथ में यशोवर्मन द्वारा गौड़ राजा पर विजय का विस्तृत वर्णन किया गया है। यहाँ ‘गौड़वहो’ ग्रंथ के बारे में कुछ अतिरिक्त जानकारी दी गई है:
• यह ग्रंथ 8वीं शताब्दी के प्राकृत कवि वाक्पतिराज द्वारा लिखा गया था।
• यह एक ऐतिहासिक काव्य है, जो यशोवर्मन की उपलब्धियों का वर्णन करता है।
• इस ग्रंथ में यशोवर्मन के विजय अभियानों और उनके शासनकाल के बारे में महत्वपूर्ण जानकारी मिलती है।
• यह ग्रंथ तत्कालीन राजनीतिक और सामाजिक परिस्थितियों पर भी प्रकाश डालता है।

8. निम्नलिखित में से किसमें वर्द्धन राजवंश के प्रर्वतक के रूप में ‘पुष्यभूति’ का उल्लेख किया?

(a) इण्डिका

(b) मालविकाग्निमित्रम्

(c) हर्षचरित

(d) कादम्बरी

उत्‍तर : (c) :    व्याख्या : हर्षचरित, बाणभट्ट द्वारा रचित एक जीवनी है, जिसमें वर्धन राजवंश के संस्थापक के रूप में पुष्यभूति का उल्लेख किया गया है। यहाँ प्रत्येक विकल्प का संक्षिप्त विवरण दिया गया है:
इण्डिका: यह मेगस्थनीज द्वारा रचित एक ग्रंथ है, जिसमें मौर्यकालीन भारत का वर्णन है।
मालविकाग्निमित्रम्: यह कालिदास द्वारा रचित एक नाटक है, जिसमें शुंग वंश के राजा अग्निमित्र और मालविका की प्रेम कहानी का वर्णन है।
हर्षचरित: यह बाणभट्ट द्वारा रचित एक जीवनी है, जिसमें वर्धन राजवंश के राजा हर्षवर्धन का वर्णन है।
• कादम्बरी: यह भी बाणभट्ट द्वारा रचित एक उपन्यास है।

9. नीचे दिय गए युग्मों में से गलत युग्म को चिन्हित करें-

(a) हर्षचरित                        हर्षवर्धन का जीवन चरित्र

(b) बांसखेडा                      अभिलेख यशावर्मन से संबंधित जानकारी

(c) सी-यू-की                        हर्षवर्धन कालीन संस्कृति की जानकारी

(d) भवभूति                         यशोवर्मन्

उत्‍तर : (b) :    व्याख्या : यहाँ प्रत्येक युग्म का विवरण दिया गया है:
• (a) हर्षचरित हर्षवर्धन का जीवन चरित्र: यह युग्म सही है। हर्षचरित बाणभट्ट द्वारा रचित हर्षवर्धन का जीवन चरित्र है।
• (b) बांसखेडा अभिलेख यशावर्मन से संबंधित जानकारी: यह युग्म गलत है। बांसखेडा अभिलेख हर्षवर्धन से संबंधित है। यह हर्षवर्धन द्वारा जारी किया गया एक ताम्रपत्र है जिसमें हर्षवर्धन के द्वारा किए गए दान का उल्लेख है।
• (c) सी-यू-की हर्षवर्धन कालीन संस्कृति की जानकारी: यह युग्म सही है। सी-यू-की ह्वेनसांग द्वारा रचित एक यात्रा वृत्तांत है, जिसमें हर्षवर्धन के शासनकाल की संस्कृति का वर्णन है।
• (d) भवभूति यशोवर्मन्: यह युग्म सही है। भवभूति एक संस्कृत नाटककार थे, जिन्होंने यशोवर्मन के दरबार में काम किया था।

10. ‘हर्षचरित’ नामक पुस्तक किसने लिखी?

(a) आर्यभट्ट

(b) बाणभट्ट

(c) विष्णुगुप्त

(d) परिमलगुप्त

उत्‍तर : (b) :    व्याख्या : हर्षचरित नामक पुस्तक बाणभट्ट ने लिखी थी। बाणभट्ट संस्कृत के एक प्रसिद्ध कवि और लेखक थे। वह राजा हर्षवर्धन के दरबारी कवि थे। उन्होंने हर्षचरित के अलावा कादंबरी नामक एक और प्रसिद्ध पुस्तक लिखी। हर्षचरित में हर्षवर्धन के जीवन और उनके शासनकाल का वर्णन है। यह पुस्तक हर्षवर्धन के बारे में जानकारी का एक महत्वपूर्ण स्रोत है।

11. पाल शासक के विषय में निम्नलिखित में कौन सा से कथन सत्य है?

1. पाल शासक शैव धर्म के सच्चे अनुयायी थे।

2. पालों के शासनकाल में गौडीरीति नामक साहित्य का विकास हुआ।

3. पालों के शासनकाल में जावा तथा सुमात्रा के राजा ने नालंदा में

4. दीपाकर तथा संरक्षित नामक बौद्ध पाल शासित क्षेत्र में निवास करते थे।

विदेशी छात्रों के लिए एक महाविद्यालय बनाने के लिए सहायता मांगी।

कूट:

(a) केवल 1, 2 व 3

(b) केवल 1, 2 व 4

(c) केवल 2, 3 व 4

(d) केवल 3 व 4

उत्‍तर : (c) :    व्याख्या : यहाँ कथनों का विश्लेषण दिया गया है:
• कथन 1: पाल शासक शैव धर्म के सच्चे अनुयायी थे। यह कथन असत्य है। पाल शासक बौद्ध धर्म के अनुयायी थे। उन्होंने बौद्ध धर्म को बढ़ावा दिया और नालंदा और विक्रमशिला जैसे महत्वपूर्ण बौद्ध मठों और विश्वविद्यालयों की स्थापना की।
• कथन 2: पालों के शासनकाल में गौडीरीति नामक साहित्य का विकास हुआ। यह कथन सत्य है। पाल वंश के दौरान, गौडीरीति नामक साहित्य शैली विकसित हुई। इस शैली में संस्कृत साहित्य को एक विशिष्ट शैली में लिखा गया था।
• कथन 3: पालों के शासनकाल में जावा तथा सुमात्रा के राजा ने नालंदा में विदेशी छात्रों के लिए एक महाविद्यालय बनाने के लिए सहायता मांगी। यह कथन सत्य है। पाल वंश के दौरान, दक्षिण पूर्व एशिया के साथ घनिष्ठ सांस्कृतिक और व्यापारिक संबंध थे। जावा और सुमात्रा के राजाओं ने नालंदा में बौद्ध शिक्षा के लिए एक महाविद्यालय बनाने के लिए पाल शासकों से सहायता मांगी थी।
• कथन 4: दीपाकर तथा संरक्षित नामक बौद्ध पाल शासित क्षेत्र में निवास करते थे। यह कथन सत्य है। दीपांकर श्रीज्ञान (अतीश दीपांकर के नाम से भी जाने जाते हैं) और संरक्षित जैसे प्रसिद्ध बौद्ध विद्वान पाल साम्राज्य में रहते थे। उन्होंने बौद्ध धर्म के विकास में महत्वपूर्ण योगदान दिया।
इसलिए, सही उत्तर है: (b) केवल 2, 3 व 4

12. महाभाष्य के लेखक ‘पतंजलि’ समसामयिक थे-

12. महाभाष्य के लेखक ‘पतंजलि’ समसामयिक थे-

(a) चंद्रगुप्त मौर्य के

(b) अशोक के

(c) पुष्यमित्र शुंग के

(d) चंद्रगुप्त प्रथम के

उत्‍तर : (c) :    व्याख्या : महाभाष्य के लेखक पतंजलि पुष्यमित्र शुंग के समसामयिक थे। यहाँ पतंजलि के बारे में कुछ अतिरिक्त जानकारी दी गई है:
• पतंजलि एक प्रसिद्ध व्याकरणशास्त्री थे।
• उन्होंने पाणिनि के अष्टाध्यायी पर महाभाष्य नामक टीका लिखी, जो संस्कृत व्याकरण का एक महत्वपूर्ण ग्रंथ है।
• पतंजलि को योगसूत्र का लेखक भी माना जाता है, जो योग दर्शन का एक महत्वपूर्ण ग्रंथ है।
यहाँ पुष्यमित्र शुंग के बारे में कुछ अतिरिक्त जानकारी दी गई है:
• पुष्यमित्र शुंग शुंग वंश के संस्थापक थे।
• उन्होंने मौर्य वंश के अंतिम शासक बृहद्रथ मौर्य को मारकर शुंग वंश की स्थापना की।
• पुष्यमित्र शुंग ने 185 ईसा पूर्व से 149 ईसा पूर्व तक शासन किया।
इसलिए, सही उत्तर है: (c) पुष्यमित्र शुंग के

13.योग दर्शन के प्रतिपादक हैं-

(a) पतंजलि

(b) गौतम

(c) जैमिनि

(d) शंकराचार्य

उत्‍तर : (a) :    व्याख्या : योग दर्शन के प्रतिपादक पतंजलि हैं। योग दर्शन भारतीय दर्शन की छह प्रणालियों (षड्दर्शन) में से एक है। यह दर्शन सांख्य दर्शन से निकटता से संबंधित है। यहाँ योग दर्शन के बारे में कुछ अतिरिक्त जानकारी दी गई है:
• पतंजलि को योग दर्शन के जनक के रूप में जाना जाता है। उन्होंने योगसूत्र नामक एक ग्रंथ लिखा, जो योग दर्शन का सबसे महत्वपूर्ण ग्रंथ है।
• योग दर्शन का उद्देश्य आत्मा को परमात्मा से जोड़ना है।
• योग दर्शन में आठ अंग हैं, जिन्हें अष्टांग योग कहा जाता है:
o यम
o नियम
o आसन
o प्राणायाम
o प्रत्याहार
o धारणा
o ध्यान
o समाधि
• योग दर्शन का अभ्यास शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य के लिए फायदेमंद माना जाता है।

14. शासक भोज विषय में निम्नलिखित में कौन से कथन सत्य है?

1. भोज शिव भक्त था।

2. भोज विष्णु का भक्त था।

3. उसने आदिवराह की उपाधि ली थी।

4. उसके दरबार में संस्कृत का महान कवि और नाटककार राजशेखर रहते थे।

कूट:

(a) केवल 1, 2 व 3

(c) केवल 1 व 4

(b) केवल 2, 3 व 4

(d) केवल 2 व 3

उत्‍तर : (d) :    व्याख्या : शासक भोज के विषय में कथन 2 और 3 सत्य हैं।
यहाँ कथनों का विश्लेषण दिया गया है:
• कथन 1: भोज शिव भक्त था। यह कथन असत्य है। भोज विष्णु के भक्त थे।
• कथन 2: भोज विष्णु का भक्त था। यह कथन सत्य है। भोज विष्णु के उपासक थे।
• कथन 3: उसने आदिवराह की उपाधि ली थी। यह कथन सत्य है। भोज ने आदिवराह की उपाधि धारण की थी, जो विष्णु के वराह अवतार को संदर्भित करती है।
• कथन 4: उसके दरबार में संस्कृत का महान कवि और नाटककार राजशेखर रहते थे। यह कथन असत्य है। राजशेखर प्रतिहार वंश के शासक महिपाल के दरबार में रहते थे।
इसलिए, सही उत्तर है: (d) केवल 2 व 3.

15.पाल शासक धर्मपाल के विषय में निम्नलिखित में कौन से कथन सत्य है?

1. धर्मपाल को राष्ट्रकूट राजा ध्रुव से पराजित होना पड़ा।

2. उसने नालंदा विश्वविद्यालय का पुनरुद्धार किया।

3. उसने विक्रमशिला विश्वविद्यालय की स्थापना की।

4. उसने प्राग्ज्योतिषपुर को अपने सम्राज्य में मिला लिया।

कूट:

(a) केवल 1 व 2

(b) केवल 1, 2 व 3

(c) केवल 2, 3 व 4

(d) सभी

उत्‍तर : (b) :    व्याख्या : यहाँ कथनों का विश्लेषण दिया गया है:
• कथन 1: धर्मपाल को राष्ट्रकूट राजा ध्रुव से पराजित होना पड़ा। यह कथन सत्य है। धर्मपाल को राष्ट्रकूट राजा ध्रुव से हार का सामना करना पड़ा।
• कथन 2: उसने नालंदा विश्वविद्यालय का पुनरुद्धार किया। यह कथन सत्य है। धर्मपाल ने नालंदा विश्वविद्यालय का पुनरुद्धार कराया और इसे एक महत्वपूर्ण बौद्ध शिक्षा केंद्र के रूप में स्थापित किया।
• कथन 3: उसने विक्रमशिला विश्वविद्यालय की स्थापना की। यह कथन भी सत्य है। धर्मपाल ने विक्रमशिला विश्वविद्यालय की स्थापना की, जो बौद्ध धर्म के वज्रयान संप्रदाय का एक महत्वपूर्ण केंद्र बना।
• कथन 4: उसने प्राग्ज्योतिषपुर को अपने साम्राज्य में मिला लिया। यह कथन असत्य है। धर्मपाल का प्राग्ज्योतिषपुर (असम) पर अधिकार नहीं था।
इसलिए, सही उत्तर है: (b) केवल 1, 2 व 3.

16. प्राचीन सांख्य दर्शन में किसका महत्वपूर्ण योगदान है?

(a) कपिल

(b) गौतम

(c) नागार्जुन

(d) चार्वाक

उत्‍तर : (a) :    व्याख्या : प्राचीन सांख्य दर्शन में कपिल का महत्वपूर्ण योगदान है। यहाँ सांख्य दर्शन के बारे में कुछ अतिरिक्त जानकारी दी गई है:
• सांख्य दर्शन भारतीय दर्शन की छह प्रणालियों (षड्दर्शन) में से एक है।
• यह दर्शन द्वैतवाद पर आधारित है, जिसका अर्थ है कि यह दो अलग-अलग वास्तविकताओं, पुरुष (चेतना) और प्रकृति (पदार्थ) को मानता है।
• सांख्य दर्शन का उद्देश्य पुरुष को प्रकृति के बंधन से मुक्त करना है।
• कपिल को सांख्य दर्शन का जनक माना जाता है। उन्होंने सांख्यसूत्र नामक एक ग्रंथ लिखा, जो सांख्य दर्शन का सबसे महत्वपूर्ण ग्रंथ है।
यहाँ अन्य विकल्पों का विवरण दिया गया है:
• गौतम न्याय दर्शन के संस्थापक थे।
• नागार्जुन एक बौद्ध दार्शनिक थे।
• चार्वाक एक नास्तिक दार्शनिक थे।

17. नीचे लेखकों एवं उनके संरक्षणदाताओं के युग्म दिय गए हैं-

गलत युग्म को निर्दिष्ट कीजिए-

(a) बल्लाल सेन धर्मपाल

(b) हेमाद्रि यादव महादेव

(c) लक्ष्मी घर गोविन्द चन्द्र महड़वाल

(d) मित्र मिश्र वीर सिंह बुंदेला

उत्‍तर : (a) :    व्याख्या : दिए गए युग्मों में से गलत युग्म है: (a) बल्लाल सेन धर्मपाल। यहाँ प्रत्येक युग्म का विवरण दिया गया है:
• (a) बल्लाल सेन धर्मपाल: यह युग्म गलत है। बल्लाल सेन सेन वंश के शासक थे, और धर्मपाल पाल वंश के शासक थे। इन दोनों वंशों के शासकों का कालखंड अलग-अलग था।
• (b) हेमाद्रि यादव महादेव: यह युग्म सही है। हेमाद्रि यादव वंश के शासक महादेव के दरबारी थे।
• (c) लक्ष्मी घर गोविन्द चन्द्र महड़वाल: यह युग्म सही है। लक्ष्मीधर गहड़वाल वंश के शासक गोविंदचंद्र के दरबारी थे।
• (d) मित्र मिश्र वीर सिंह बुंदेला: यह युग्म सही है। मित्र मिश्र वीर सिंह बुंदेला के दरबारी थे। इसलिए, सही उत्तर है: (a) बल्लाल सेन धर्मपाल।

0. कथन (A): चौथी से सातवीं सदी में कृषि अर्थव्यवस्था उन्नत अवस्था मे थी।

कारण (R): मध्य प्रदेश, उड़ीसा, पूर्वी और दक्षिण पूर्वी बंगाल तथा असम में उन्नत कृषि अर्थव्यवस्था का प्रसार, राजतंत्रों का गठन और सामाजिक वर्गों की स्थापना।

कूटः

(a) कथन A और कारण R दोनों सही हैं R, Aका सही व्याख्या है

(b) कथन A तथा कारण R दोनों सही हैं R, A सही व्याख्या नहीं है।

(c) A सही लेकिन R गलत है।

(d) A गलत है परन्तु R सही है।

उत्‍तर : (b) :    व्याख्या : यहाँ इसका विश्लेषण दिया गया है:
• कथन (A): चौथी से सातवीं सदी में कृषि अर्थव्यवस्था उन्नत अवस्था में थी।
o यह कथन सही है। गुप्त काल और उसके बाद के समय में कृषि में कई सुधार हुए, जिससे कृषि अर्थव्यवस्था का विकास हुआ।
• कारण (R): मध्य प्रदेश, उड़ीसा, पूर्वी और दक्षिण पूर्वी बंगाल तथा असम में उन्नत कृषि अर्थव्यवस्था का प्रसार, राजतंत्रों का गठन और सामाजिक वर्गों की स्थापना।
o यह कारण भी सही है। इन क्षेत्रों में कृषि अर्थव्यवस्था का विकास हुआ, जिसके परिणामस्वरूप राजतंत्रों का गठन और सामाजिक वर्गों की स्थापना हुई।
हालाँकि, कारण (R), कथन (A) की पूरी तरह से व्याख्या नहीं करता है। चौथी से सातवीं शताब्दी में कृषि अर्थव्यवस्था के विकास के कई अन्य कारण भी थे, जैसे सिंचाई सुविधाओं में सुधार, नई फसलों का प्रचलन और व्यापार का विकास। इसलिए, सही उत्तर है: (b) कथन A तथा कारण R दोनों सही हैं R, A सही व्याख्या नहीं है।

18.निम्नलिखित युग्मों में से कौन एक सही सुमेलित नहीं है?

(a) हर्ष नागानंद

(b) महेन्द्रवर्मन मत्तविलास प्रहसन

(c) भोज मानसोल्लास

(d) बल्लालसेन दान सागर

उत्‍तर : (a) :    व्याख्या : यहाँ प्रत्येक युग्म का विवरण दिया गया है:
• (a) हर्ष नागानंद: यह युग्म सही सुमेलित नहीं है, क्योंकि नागानंद की रचना हर्ष ने की थी।
• (b) महेन्द्रवर्मन मत्तविलास प्रहसन: यह युग्म सही सुमेलित है। मत्तविलास प्रहसन महेंद्रवर्मन द्वारा लिखा गया एक संस्कृत नाटक है।
• (c) भोज मानसोल्लास: यह युग्म सही सुमेलित है। मानसोल्लास राजा भोज द्वारा रचित एक विश्वकोशीय ग्रंथ है।
• (d) बल्लालसेन दान सागर: यह युग्म सही सुमेलित है। दान सागर बल्लालसेन द्वारा रचित एक ग्रंथ है।

19. शूद्रक द्वारा लिखी हुई प्राचीन भारतीय पुस्तक ‘मृच्छकटिकम्’ का विषय था-

19. शूद्रक द्वारा लिखी हुई प्राचीन भारतीय पुस्तक ‘मृच्छकटिकम्’ का विषय था-

(a) एक धनी व्यापारी और एक गणिका की पुत्री की प्रेम-गाथा

(b) चंद्रगुप्त II की पश्चिम भारत के शक क्षत्रपों पर विजय

(c) समुद्रगुप्त के सैन्य अभियान तथा शौर्यपूर्ण कार्य

(d) गुप्त राजवंश के एक राजा तथा कामरूप की राजकुमारी की प्रेम-गाथा

उत्‍तर : (a) :    व्याख्या : शूद्रक द्वारा लिखी हुई प्राचीन भारतीय पुस्तक ‘मृच्छकटिकम्’ का विषय एक धनी व्यापारी और एक गणिका की पुत्री की प्रेम-गाथा है। यहाँ ‘मृच्छकटिकम्’ के बारे में कुछ अतिरिक्त जानकारी दी गई है:
• यह एक संस्कृत नाटक है, जो 5वीं शताब्दी ईस्वी में लिखा गया था।
• इस नाटक में एक गरीब ब्राह्मण व्यापारी चारुदत्त और एक धनी गणिका वसंतसेना की प्रेम कहानी का वर्णन है।
• यह नाटक तत्कालीन समाज के विभिन्न वर्गों के लोगों के जीवन को दर्शाता है।
• यह नाटक अपनी यथार्थवादी चित्रण और सामाजिक टिप्पणियों के लिए जाना जाता है।

20. कहा जाता है कि शतरंज का खेल उद्भूत (originate) हुआ था-

(a) चीन में

(b) ईरान में

(c)इंडोनेशिया में

(d)भारत में

उत्‍तर : (d) :    व्याख्या : कहा जाता है कि शतरंज का खेल भारत में उद्भूत हुआ था।
शतरंज के खेल की उत्पत्ति भारत में गुप्त काल के दौरान हुई थी। इस खेल को पहले चतुरंग के नाम से जाना जाता था, जिसका अर्थ है “चार अंग”। चतुरंग में चार प्रकार के मोहरे होते थे: हाथी, घोड़ा, रथ और पैदल सैनिक।
यहाँ शतरंज के खेल के इतिहास के बारे में कुछ अतिरिक्त जानकारी दी गई है:
• 6वीं शताब्दी में, चतुरंग को फारसियों द्वारा अपनाया गया था, जिन्होंने इसे शतरंग नाम दिया था।
• 9वीं शताब्दी में, शतरंग को यूरोप में लाया गया था, जहाँ इसे शतरंज के रूप में जाना जाने लगा।
• 15वीं शताब्दी में, शतरंज के नियमों को मानकीकृत किया गया था।
• 19वीं शताब्दी में, शतरंज एक लोकप्रिय खेल बन गया था।
• 20वीं शताब्दी में, शतरंज को एक पेशेवर खेल के रूप में मान्यता दी गई थी।
इसलिए, सही उत्तर है: (d) भारत में

21. याज्ञवलक्य स्मृति पर ‘मिताक्षरा’ नामक टीका निम्नलिखित में से किसके द्वारा लिखी गयी?

(a) भोज

(c) मेधातिथि

(b) पूनर्मू

( d) इनमें से कोई नहीं

उत्‍तर : (d) :    व्याख्या : याज्ञवलक्य स्मृति पर ‘मिताक्षरा’ नामक टीका विज्ञानेश्वर द्वारा लिखी गई थी। विकल्पों में विज्ञानेश्वर का उल्लेख नहीं है इसलिए सही उत्तर है: (d) इनमें से कोई नहीं।
यहाँ मिताक्षरा के बारे में कुछ अतिरिक्त जानकारी दी गई है:
• मिताक्षरा याज्ञवल्क्य स्मृति पर एक टीका है, जो 11वीं शताब्दी में विज्ञानेश्वर द्वारा लिखी गई थी।
• मिताक्षरा का शाब्दिक अर्थ है “अक्षरों की छोटी संख्या”।
• यह टीका हिंदू कानून का एक महत्वपूर्ण स्रोत है, और यह भारत में व्यापक रूप से उपयोग किया जाता है।
• मिताक्षरा हिंदू उत्तराधिकार के नियमों को निर्धारित करता है, और यह संयुक्त परिवार प्रणाली से संबंधित है।
यहाँ विज्ञानेश्वर के बारे में कुछ अतिरिक्त जानकारी दी गई है:
• विज्ञानेश्वर 11वीं शताब्दी के एक भारतीय न्यायविद थे।
• उन्होंने मिताक्षरा के अलावा, विष्णुस्मृति पर टिप्पणी भी लिखी।
• विज्ञानेश्वर को हिंदू कानून के सबसे महत्वपूर्ण विद्वानों में से एक माना जाता है।
इसलिए, सही उत्तर है: (d) इनमें से कोई नहीं।

22. धर्मपाल द्वारा स्थापित सोमविहार महाविहार कहां स्थित था?

(a) नालंदा

(b) भागलपुर

( c) पहाड़पुर

(d) इनमें से कोई नहीं

उत्‍तर : (c) :    व्याख्या : धर्मपाल द्वारा स्थापित सोमविहार महाविहार पहाड़पुर में स्थित था।
सोमविहार महाविहार के बारे में कुछ अतिरिक्त जानकारी दी गई है:
• यह महाविहार 8वीं शताब्दी ईस्वी में बनाया गया था।
• यह बौद्ध धर्म के महायान संप्रदाय का एक महत्वपूर्ण केंद्र था।
• इस महाविहार में एक बड़ा स्तूप, कई मठ और एक पुस्तकालय था।
• सोमविहार महाविहार 12वीं शताब्दी ईस्वी में नष्ट हो गया था।
• सोमविहार महाविहार के अवशेष वर्तमान में बांग्लादेश में स्थित हैं।

23. उत्तर-गुप्तकालीन अभिलेखों में प्रयुक्त निम्नलिखित शब्दों में से कौन राजस्व से संबंधित है?

1. भाग

2. भोग

3. उदंग

4. उपरिकर

कूटः

(a) केवल 2

(b) 1 एवं 2

(c) केवल 3

(d) 1, 2, 3 एवं 4

उत्‍तर : (b) :    व्याख्या : उत्तर-गुप्तकालीन अभिलेखों में प्रयुक्त सभी शब्द राजस्व से संबंधित हैं।
यहाँ प्रत्येक शब्द का विवरण दिया गया है:
• भाग: यह भूमि कर का एक प्रकार था, जो फसल के उत्पादन का एक हिस्सा होता था।
• भोग: यह राजा को फल, फूल, लकड़ी आदि के रूप में दिया जाने वाला कर था।
• उदंग: यह एक प्रकार का भूमि कर था, जो स्थायी किरायेदारों से वसूला जाता था।
• उपरिकर: यह अस्थायी किरायेदारों से वसूला जाने वाला कर था।
इसलिए, सही उत्तर है: (d) 1, 2, 3 एवं 4।

24. विशाखदत्त के प्राचीन भारतीय नाटक मुद्राराक्षस की विषय वस्तु है-

(a) प्राचीन हिंदू जनश्रुति के देवताओं और राक्षसों के बीच संघर्ष के बारे में

(b) एक आर्य राजकुमार और एक कबीली महिला की प्रेम कथा के बारे में

(c) दो आर्य कबीलों के बीच सत्ता के संघर्ष की कथा के बारे में

(d) चंद्रगुप्त मौर्य के समय में राजदरबार की दुरभिसंधियों के बारे में

उत्‍तर : (d) :    व्याख्या : विशाखदत्त के प्राचीन भारतीय नाटक मुद्राराक्षस की विषय वस्तु चंद्रगुप्त मौर्य के समय में राजदरबार की दुरभिसंधियों के बारे में है।
यहाँ ‘मुद्राराक्षस’ के बारे में कुछ अतिरिक्त जानकारी दी गई है:
• यह एक संस्कृत नाटक है, जो 4वीं शताब्दी ईस्वी में लिखा गया था।
• इस नाटक में चंद्रगुप्त मौर्य और उनके मंत्री चाणक्य की राजनीतिक चालों का वर्णन है।
• इस नाटक में नंद वंश के पतन और मौर्य वंश की स्थापना का भी वर्णन है।
• यह नाटक प्राचीन भारत के राजनीतिक और सामाजिक जीवन का एक महत्वपूर्ण स्रोत है।

25. चीनी यात्री ‘सुंगयुन’ ने भारत की यात्रा की थी-

(a) 515 ई. से 520 ई.

(b) 525 ई. से 529 ई.

(c) 545 ई. से 552 ई.

(d) 592 ई. से 597 ई.

उत्‍तर : (a) :    व्याख्या : चीनी यात्री ‘सुंगयुन’ ने भारत की यात्रा 515 ई. से 520 ई. के बीच की थी।

26 निम्नलिखित राजवंशों में किनकी उत्पत्ति आबू पर्वत पर वशिष्ठ के यज्ञ-कुण्ड से बताई गई है?

1. चाहमान

2. चालुक्य

3. परमार

4. प्रतिहार

कूटः

(a) केवल 2

(b) 1 व 2

(c) उपर्युक्त सभी

(d) इनमें से कोई नहीं

उत्‍तर : (c) :    व्याख्या : दिए गए सभी राजवंशों की उत्पत्ति आबू पर्वत पर वशिष्ठ के यज्ञ-कुण्ड से बताई गई है।
यहाँ प्रत्येक राजवंश के बारे में कुछ अतिरिक्त जानकारी दी गई है:
चाहमान (चौहान): चौहान वंश के शासकों ने 6वीं शताब्दी से 12वीं शताब्दी तक शासन किया। उनका साम्राज्य राजस्थान, दिल्ली और हरियाणा तक फैला हुआ था।
चालुक्य (सोलंकी): चालुक्य वंश के शासकों ने 10वीं शताब्दी से 13वीं शताब्दी तक शासन किया। उनका साम्राज्य गुजरात और राजस्थान तक फैला हुआ था।
परमार: परमार वंश के शासकों ने 9वीं शताब्दी से 13वीं शताब्दी तक शासन किया। उनका साम्राज्य मालवा और राजस्थान तक फैला हुआ था।
प्रतिहार: प्रतिहार वंश के शासकों ने 8वीं शताब्दी से 11वीं शताब्दी तक शासन किया। उनका साम्राज्य कन्नौज और राजस्थान तक फैला हुआ था।
यहाँ आबू पर्वत पर वशिष्ठ के यज्ञ-कुण्ड की कथा के बारे में कुछ अतिरिक्त जानकारी दी गई है:
• यह कथा पृथ्वीराज रासो नामक एक महाकाव्य में पाई जाती है।
• इस कथा के अनुसार, ऋषि वशिष्ठ ने आबू पर्वत पर एक यज्ञ किया था, जिसमें से इन चार राजवंशों के शासक उत्पन्न हुए थे।
• इस कथा को इन राजवंशों की उत्पत्ति का एक पौराणिक विवरण माना जाता है।

27. निम्नलिखित में से कौन-सा ग्रंथ बलात इस्लाम में परिवर्तित हिन्दूओं के प्रत्यार्वतन के नियम को बताता है?

(a) नारद स्मृति

(b) मनुस्मृति

(c) विष्णु स्मृति

(d) देवल स्मृति

उत्‍तर : (d) :    व्याख्या : देवल स्मृति एक महत्वपूर्ण ऐतिहासिक ग्रंथ है जो 8वीं शताब्दी ईस्वी में लिखा गया था। यह ग्रंथ उन हिंदुओं के लिए शुद्धिकरण के नियम बताता है जिन्हें जबरन इस्लाम में परिवर्तित कर दिया गया था।
यहाँ देवल स्मृति के बारे में कुछ अतिरिक्तजानकारी दी गई है:
• ऐतिहासिक संदर्भ:
o देवल स्मृति की रचना उस समय हुई जब भारत में इस्लामी आक्रमणों का खतरा बढ़ रहा था।
o इस समय, कई हिंदुओं को जबरन इस्लाम में परिवर्तित कर दिया गया था।
o देवल स्मृति का उद्देश्य इन लोगों को वापस हिंदू धर्म में लाना था।
• शुद्धिकरण के नियम:
o देवल स्मृति में उन लोगों के लिए विस्तृत नियम बताए गए हैं जिन्हें जबरन इस्लाम में परिवर्तित कर दिया गया था।
o इन नियमों में प्रायश्चित, शुद्धिकरण संस्कार और अन्य अनुष्ठान शामिल थे।
o इस स्मृति में उन लोगों के लिए भी नियम बताए गए हैं जो स्वेच्छा से इस्लाम में परिवर्तित हो गए थे, लेकिन बाद में हिंदू धर्म में वापस आना चाहते थे।
• महत्व:
o देवल स्मृति का हिंदू धर्म में वापसी के नियमों पर महत्वपूर्ण प्रभाव पड़ा।
o यह स्मृति हिंदू समाज में उन लोगों को वापस लाने में सहायक थी जिन्होंने इस्लामी आक्रमणों के दौरान अपना धर्म खो दिया था।
o देवल स्मृति धार्मिक सहिष्णुता के बारे में भी महत्वपूर्ण जानकारी प्रदान करती है।

28. कल्हण की राजतरंगिणी की रचना-

(a) 11वीं शताब्दी

(b) 10 वीं शताब्दी

(c) 14 वीं शताब्दी

(d) इनमें से कोई नहीं

उत्‍तर : (d) :    व्याख्या : कल्हण की राजतरंगिणी की रचना 12वीं शताब्दी में हुई थी, यह विकल्प में नहीं है। कल्हण एक कश्मीरी इतिहासकार थे जिन्होंने संस्कृत में ‘राजतरंगिणी’ नामक एक ऐतिहासिक ग्रंथ लिखा। इस ग्रंथ में कश्मीर का इतिहास वर्णित है। कल्हण ने अपनी राजतरंगिणी में कश्मीर के राजाओं का क्रमबद्ध इतिहास लिखा है। यह ग्रंथ 1148-1149 ई. में कल्हण ने पूरा किया था।

29. तोरमाण किस जातीय दल का था?

(a) सिथियन

(b) हूण

(c) यूची

(d) शक

उत्‍तर : (b) :    व्याख्या : तोरमाण हूण जातीय दल का था। यहाँ तोरमाण के बारे में कुछ अतिरिक्त जानकारी दी गई है:
• तोरमाण एक हूण शासक था, जिसने 5वीं और 6वीं शताब्दी ईस्वी में उत्तरी भारत में शासन किया था।
• वह हूणों के अलचोन वंश का राजा था।
• तोरमाण ने गुप्त साम्राज्य के पतन के बाद उत्तरी भारत में अपना साम्राज्य स्थापित किया।
• उसके साम्राज्य में पंजाब, कश्मीर, राजस्थान और मालवा के कुछ हिस्से शामिल थे।
• तोरमाण को एक शक्तिशाली और कुशल शासक माना जाता है।
• उसका पुत्र मिहिरकुल भी एक प्रसिद्ध हूण शासक था।

30. प्राचीन भारत में सिंचाई कर को कहते थे-

(a) बिदकभागम

(b) हिरण्य

(c) उदरंग

(d) उपरनिका

उत्‍तर : (a) :    व्याख्या : प्राचीन भारत में सिंचाई कर को ‘बिदकभागम’ कहा जाता था।

31. राजराजेश्वर मंदिर समर्पित है-

(a) शिव को

(b) गणेश को

(c) लक्ष्मी को

(d) विष्णु को

उत्‍तर : (a) :    व्याख्या : राजराजेश्वर मंदिर भगवान शिव को समर्पित है। यह मंदिर तमिलनाडु के तंजावुर में स्थित है और इसे बृहदेश्वर मंदिर के नाम से भी जाना जाता है। इस मंदिर का निर्माण चोल वंश के राजा राजराज प्रथम ने करवाया था। यह मंदिर अपनी भव्यता और वास्तुकला के लिए प्रसिद्ध है।
यहाँ राजराजेश्वर मंदिर के बारे में कुछ अतिरिक्त जानकारी दी गई है:
• निर्माण: इस मंदिर का निर्माण 1003 ईस्वी से 1010 ईस्वी के बीच हुआ था।
• वास्तुकला: यह मंदिर द्रविड़ वास्तुकला शैली का एक उत्कृष्ट उदाहरण है।
• विशेषताएं: इस मंदिर में एक विशाल शिवलिंग है, जो 3.7 मीटर ऊंचा है। इस मंदिर में नंदी की एक विशाल मूर्ति भी है, जो 6 मीटर ऊंची है।
• महत्व: यह मंदिर यूनेस्को की विश्व धरोहर स्थल है।
राजराजेश्वर मंदिर भगवान शिव के भक्तों के लिए एक महत्वपूर्ण तीर्थस्थल है। यह मंदिर अपनी भव्यता और वास्तुकला के लिए भी जाना जाता है।

32.चीनी तीर्थयात्री फाह्यान किस गुप्त शासक के शासन में भारत आया था?

(a) चन्द्रगुप्त प्रथम

(c) समुद्रगुप्त

(b) चन्द्रगुप्त द्वितीय

(d) स्कन्दगुप्त

उत्‍तर : (b) :    व्याख्या : चीनी तीर्थयात्री फाह्यान चन्द्रगुप्त द्वितीय के शासनकाल में भारत आया था।

33. चार्वाक अथवा लोकायत दर्शन का संस्थापक किसे माना जाता है?

(a) वादरायण को

(c) पतंजलि को

(b) नारद को

(d) बृहस्पति को

उत्‍तर : (d) :    व्याख्या : चार्वाक या लोकायत दर्शन का संस्थापक बृहस्पति को माना जाता है। चार्वाक दर्शन प्राचीन भारत का एक भौतिकवादी और नास्तिक दर्शन था। यह दर्शन वेदों और धार्मिक अनुष्ठानों का खंडन करता था और प्रत्यक्ष अनुभव को ज्ञान का एकमात्र स्रोत मानता था।

34. निम्नलिखित चीनी बौद्ध यात्रियों के आने का क्रम व्यवस्थित करें-

I. स्वेनसांग

II. वांग हवेन से

III. इत्सिंग

IV. फाह्यान

(a) I, II, III, IV

(c) II, III, IV, I

(b) IV, I, II, III

(d) III, IV, II, 1

उत्‍तर : (b) :    व्याख्या : चीनी बौद्ध यात्रियों के भारत आने का सही क्रम इस प्रकार है:
1. फाह्यान (Fa-Hien): यह गुप्त शासक चंद्रगुप्त द्वितीय के शासनकाल में भारत आया था।
2. स्वेनसांग (Hiuen Tsang): यह हर्षवर्धन के शासनकाल के दौरान भारत आया था।
3. वांग ह्वेन त्से (Wang Hiuen-tse): यह 7वीं शताब्दी में भारत आया था।
4. इत्सिंग (I-tsing): यह 7वीं शताब्दी के अंत में भारत आया था।
इसलिए, सही उत्तर है: (b) IV, I, II, III.

35. निम्नलिखित कथन (A) तथा कारण (R) के आधार पर उत्तर का चयन करें-

कथन (A): प्रचीन भारत में सामंती व्यवस्था का अभ्युदय सैनिक अभियानों में देखा जा सकता है।

कारण (R): गुप्तकाल में सामंती व्यवस्था का पर्याप्त विस्तार हुआ।

कूटः

(a) कथन A और कारण R दोनों सही हैं A का सही व्याख्या R है

(b) कथन A तथा कारण दोनों सही हैं A सही व्याख्या R नहीं है।

(c) A सही लेकिन R गलत है।

(d) A गलत है परन्तु R सही है।

उत्‍तर : (b) :    व्याख्या : दिए गए कथन और कारण दोनों सही हैं, लेकिन कारण, कथन की सही व्याख्या नहीं है।
यहाँ इसका विश्लेषण दिया गया है:
कथन (A):
प्राचीन भारत में सामंती व्यवस्था का अभ्युदय सैनिक अभियानों में देखा जा सकता है।
o यह कथन सही है। प्राचीन भारत में, विशेष रूप से गुप्त काल के बाद, सामंती व्यवस्था का उदय हुआ। यह व्यवस्था सैनिक अभियानों और भूमि अनुदानों के माध्यम से विकसित हुई।
• कारण (R):
गुप्तकाल में सामंती व्यवस्था का पर्याप्त विस्तार हुआ।
o यह कारण भी सही है। गुप्तकाल में सामंती व्यवस्था का विस्तार हुआ, लेकिन यह कथन, कथन (A) का पूर्ण स्पष्टीकरण नहीं है।
इसलिए, सही उत्तर है: (b) कथन A तथा कारण दोनों सही हैं A सही व्याख्या R नहीं है।

FAQs : Gupta Dynasty

गुप्तोत्तर काल में सबसे प्रमुख शक्ति कौन-सी थी?

वर्धन वंश – विशेषकर हर्षवर्धन।

हर्षवर्धन की राजधानी कहाँ थी?

थानेश्वर (प्रारंभिक) और बाद में कन्नौज।

गुप्तोत्तर काल में बाणभट्ट की क्या भूमिका थी?

हर्षवर्धन का दरबारी कवि; रचना – हर्षचरित और कादंबरी।

चीनी यात्री ह्वेनसांग किसके शासनकाल में भारत आया था?

चीनी यात्री ह्वेनसांग किसके शासनकाल में भारत आया था?

गुप्तोत्तर काल में ब्राह्मणवाद और बौद्ध धर्म में क्या अंतर देखा गया?

ब्राह्मणवाद पुनः प्रभावी हुआ, जबकि बौद्ध धर्म धीरे-धीरे कमजोर पड़ा।

गुप्तोत्तर काल में प्रमुख शिक्षा केंद्र कौन-से थे?

नालंदा, वल्लभी, तक्षशिला।

इस काल की प्रमुख कला शैली कौन-सी थी?

पाल शैली और नागर शैली का प्रारंभिक विकास।

हर्षवर्धन ने कौन-से धर्म को संरक्षण दिया?

बौद्ध धर्म (महायान शाखा), परंतु धार्मिक सहिष्णुता रखी।

गुप्तोत्तर काल के अंत में भारत पर कौन-सी बाहरी शक्ति ने आक्रमण किया?

अरबों ने सिंध पर (712 ई.) – मुहम्मद बिन कासिम के नेतृत्व में।

इस काल की प्रमुख कला शैली कौन-सी थी?

पाल शैली और नागर शैली का प्रारंभिक विकास।

इस काल की प्रमुख कला शैली कौन-सी थी?

पाल शैली और नागर शैली का प्रारंभिक विकास।

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