📑 Table of Contents
- 2. गुप्तकाल में दैनिक आवश्यकता की वस्तुओं के क्रय-विक्रय का माध्यम था-
- 10. प्रसिद्ध बौद्ध विद्वान आर्चाय ‘वसुबन्धु’ किस गुप्त शासक के दरबार में रहते थे?
- 15. केवल प्रत्यक्ष प्रमाण को कौन स्वीकार करता है?
- 18.गुप्त युग में भूमि राजस्व की दर क्या थी?
- 22. गुप्तकाल में लिखित संस्कृत नाटकों में स्त्री और शूद्र बोलते थे-
- 37. दिल्ली की कुव्वत-उल-इस्लाम मस्जिद के प्रांगण में उन्नत प्रसिद्ध लौह-स्तंभ किसकी स्मृति में –
- 49. निम्नलिखित शासकों में से किस एक ने चार अश्वमेधों का संपादन किया था?
- 80.सतीप्रथा का प्रथम अभिलेखीय प्रमाण किस गुप्तकालीन अभिलेख से मिलता है?
गुप्त काल MCQ Quiz: जानिए स्वर्ण युग की सच्चाई प्रश्नों के माध्यम से
गुप्त काल (लगभग 319 ई. – 550 ई.) को भारतीय इतिहास का स्वर्ण युग कहा जाता है, लेकिन क्या यह सिर्फ प्रशंसा है या ऐतिहासिक सच्चाई? इस MCQ क्विज़ के माध्यम से आप जानेंगे गुप्त वंश के शासकों, उनके प्रशासन, कला, साहित्य, विज्ञान और समाज की सच्ची तस्वीर।
समुद्रगुप्त की विजयों से लेकर चंद्रगुप्त द्वितीय के न्यायपूर्ण शासन तक, और कालिदास, आर्यभट, वाराहमिहिर जैसे विद्वानों के योगदान तक—यह क्विज़ न सिर्फ परीक्षा की तैयारी के लिए उपयोगी है, बल्कि आपको इतिहास को एक नई दृष्टि से समझने में भी मदद करेगा।
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📚 इस क्विज़ में शामिल हैं:
- गुप्त शासकों से संबंधित प्रमुख तथ्य
- प्रशासनिक व्यवस्था और राजनीतिक विस्तार
- सांस्कृतिक एवं धार्मिक योगदान
- विज्ञान, गणित, और खगोलशास्त्र में प्रगति
- सामाजिक संरचना और आर्थिक स्थिति
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1. किस शासक वंश ने मंदिरों एवं ब्राह्मणों को सबसे अधिक ग्राम अनुदान में दिया था?
(a) गुप्त वंश
(b) पाल वंश
(c) राष्ट्रकूट
(d) प्रतिहार
उत्तर : (a) : व्याख्या : गुप्त वंश को भारतीय इतिहास का स्वर्णिम युग कहा जाता है। गुप्त सम्राटों ने मंदिरों और ब्राह्मणों को भूमि अनुदान दिया, ताकि वे धार्मिक कार्यों में लगे रहें। यह भूमि अनुदान धार्मिक संस्थाओं को समृद्ध और स्थिर बनाने के लिए था। सम्राट चंद्रगुप्त, समुद्रगुप्त, और विक्रमादित्य ने न केवल सैन्य दृष्टिकोण से सफलता प्राप्त की, बल्कि धार्मिक और सांस्कृतिक दृष्टिकोण से भी महत्वपूर्ण योगदान दिया।
2. गुप्तकाल में दैनिक आवश्यकता की वस्तुओं के क्रय-विक्रय का माध्यम था-
(a) स्वर्ण-मुद्रा
(b) रजत मुद्रा
(c) कौड़ी
(d) ताम्र-मुद्रा
उत्तर : (c) :
व्याख्या : गुप्तकाल में दैनिक वस्तुओं के क्रय-विक्रय के लिए कौड़ी एक प्रमुख माध्यम था। इसके अलावा:
• 💰 स्वर्ण-मुद्रा और ताम्र-मुद्रा का उपयोग भी व्यापार और लेन-देन में होता था।
• 🪙 कौड़ी मुख्य रूप से छोटे लेन-देन और सामान्य वस्त्रों के लिए इस्तेमाल की जाती थी।
3. गुप्त काल में जहाज दक्षिण-पूर्वी एशियाई देशों में जाने के लिए किस बंदरगाह से रवाना होते थे?
(a) खम्भात
(b) ताम्रलिप्ति
(c) भड़ौच
(d) कावेरीपट्टनम
उत्तर : (b) : व्याख्या : गुप्त काल में ताम्रलिप्ति (वर्तमान पश्चिम बंगाल का एक प्राचीन बंदरगाह) एक प्रमुख बंदरगाह था, जहाँ से जहाज दक्षिण-पूर्वी एशियाई देशों में जाने के लिए रवाना होते थे। यह व्यापार के लिए एक महत्वपूर्ण केंद्र था और भारतीय उपमहाद्वीप से विदेशी व्यापार के लिए प्रमुख मार्ग था।
4. गुप्त काल से संबंधित कितने अभिलेख उपलब्ध है?
(a) 42
(c) 35
(b) 40
(d) 30
उत्तर : (b) : व्याख्या : गुप्त काल से संबंधित 40 अभिलेख उपलब्ध हैं। ये अभिलेख गुप्त सम्राटों के शासनकाल, प्रशासन, धर्म, और सामाजिक जीवन के बारे में महत्वपूर्ण जानकारी प्रदान करते हैं।
5. निम्न में से कौन सा अभिलेख कुमार गुप्त प्रथम का वर्णन सिर्फ ‘महाराज’ के रूप में करता है?
(a) मानकुंवर का बौद्ध प्रतिमा अभिलेख
(b) विलसङ् का स्तम्भ लेख
(c) बिलग्राम का ताम्रलेख
(d) मथुरा का जैन प्रतिमा अभिलेख
उत्तर : (b) : व्याख्या : विलसङ् का स्तम्भ लेख कुमार गुप्त प्रथम का वर्णन केवल ‘महाराज’ के रूप में करता है। इस अभिलेख में कुमार गुप्त को सम्राट के स्थान पर ‘महाराज’ के रूप में ही संबोधित किया गया है।
6. प्रारंभिक गुप्त सम्राटों ने मुद्रा प्रणाली की दृष्टि से अपने पूर्ववती किस वंश के राजाओं द्वारा चलाये गये सोने के सिक्कों को अपना आदर्श बनाया?
(a) मौर्य शासकों को
(c) कुषाण शासकों को
(b) सातवाहन शासकों को
(d) हिन्द-यूनानी शासकों को
उत्तर : (c) :
व्याख्या : प्रारंभिक गुप्त सम्राटों ने मुद्रा प्रणाली की दृष्टि से कुषाण शासकों के सोने के सिक्कों को अपना आदर्श माना।
कुषाण शासकों के सिक्के, जो अक्सर स्वर्ण (सोने) में होते थे, गुप्त सम्राटों द्वारा अपनाए गए। गुप्त सम्राटों ने इन सिक्कों की शैली को विकसित किया और स्वर्ण-मुद्राओं का उपयोग बढ़ाया।प्रारंभिक गुप्त सम्राटों ने मुद्रा प्रणाली की दृष्टि से कुषाण शासकों के सोने के सिक्कों को अपना आदर्श माना।
कुषाण शासकों के सिक्के, जो अक्सर स्वर्ण (सोने) में होते थे, गुप्त सम्राटों द्वारा अपनाए गए। गुप्त सम्राटों ने इन सिक्कों की शैली को विकसित किया और स्वर्ण-मुद्राओं का उपयोग बढ़ाया।
कुषाण सिक्कों की विशेषताएँ:
• इनमें शासक की छवि होती थी।
• धार्मिक प्रतीक और शासक के नाम का उल्लेख होता था।
गुप्त सम्राटों ने इन सिक्कों का उपयोग व्यापार और राजकीय लेन-देन के लिए किया, जो उनके साम्राज्य की आर्थिक स्थिति को सुदृढ़ करने में सहायक हुआ।
कुषाण सिक्कों की विशेषताएँ:
• इनमें शासक की छवि होती थी।
• धार्मिक प्रतीक और शासक के नाम का उल्लेख होता था।
गुप्त सम्राटों ने इन सिक्कों का उपयोग व्यापार और राजकीय लेन-देन के लिए किया, जो उनके साम्राज्य की आर्थिक स्थिति को सुदृढ़ करने में सहायक हुआ।
7. किस गुप्त सम्राट को उसके सिक्कों पर वीणा बजाते दर्शाया गया है?
(a) चन्द्रगुप्त प्रथम
(b) चन्द्रगुप्त द्वितीय
(c) समुद्रगुप्त
(d) कुमार गुप्त
उत्तर : (b) : व्याख्या : समुद्रगुप्त को उसके सिक्कों पर वीणा बजाते हुए दर्शाया गया है। समुद्रगुप्त को “भारत काNapoleon” कहा जाता है और उनके सिक्कों पर कला, संगीत और उनके शाही गुणों का प्रतिबिंब मिलता है। उनके सिक्कों पर वीणा बजाते हुए चित्रण से यह संकेत मिलता है कि वे न केवल एक महान शासक थे, बल्कि कला और संगीत के प्रति उनका गहरा प्रेम था।
8. निम्न में से किस काल में स्त्रियों की पुरुषों से बराबरी थी?
(a) गुप्तकाल
(b) मौर्यकाल
(c) चोलों में
(d) इनमें से किसी में भी नहीं
उत्तर : (d) :
व्याख्या : प्राचीन भारतीय समाज में स्त्रियों की स्थिति विभिन्न कालों में अलग-अलग रही, लेकिन पुरुषों के साथ पूर्ण समानता किसी भी काल में नहीं थी।
– (a) गुप्तकाल (Gupta Period):
इस काल को “स्वर्ण युग” कहा जाता है, लेकिन स्त्रियों की स्थिति में गिरावट आई। सती प्रथा, बाल विवाह और पर्दा प्रथा जैसी प्रथाएँ बढ़ीं।
– (b) मौर्यकाल (Mauryan Period):
इस काल में स्त्रियों को कुछ अधिकार प्राप्त थे (जैसे संपत्ति का अधिकार), लेकिन वे पुरुषों के बराबर नहीं थीं। राजनीतिक और सामाजिक क्षेत्रों में पुरुषों का वर्चस्व था।
– (c) चोल काल (Chola Period):
चोल शासन में स्त्रियों को मंदिरों और सांस्कृतिक गतिविधियों में भाग लेने का अवसर मिलता था, परंतु सामाजिक और आर्थिक अधिकारों में पुरुषों के समान स्थिति नहीं थी।
निष्कर्ष: प्राचीन भारत के किसी भी प्रमुख काल में स्त्रियों को पुरुषों के बराबर अधिकार प्राप्त नहीं थे। अतः सही उत्तर (d) इनमें से किसी में भी नहीं है।
9. प्राचीन भारत में किस वंश का शासनकाल ‘स्वर्ण युग’ कहा जाता है?
(a) मौर्य
(b) शुंग
(c) गुप्त
(d) मगध
उत्तर : (c) :
व्याख्या : क्यों?
गुप्त काल (320–550 ई.) को “भारत का स्वर्ण युग” कहा जाता है क्योंकि इस दौरान कला, साहित्य, विज्ञान और गणित में अद्भुत प्रगति हुई।
### मुख्य कारण:
1. साहित्य: कालिदास जैसे महाकवि हुए।
2. विज्ञान: आर्यभट्ट ने शून्य (0) की खोज की।
3. कला: अजंता की गुफाओं में उत्कृष्ट चित्रकारी।
4. धर्म: हिंदू-बौद्ध संस्कृति का विकास।
बाकी विकल्प गलत क्यों?
– मौर्य, शुंग और मगध का काल गुप्त जितना समृद्ध नहीं था।
10. प्रसिद्ध बौद्ध विद्वान आर्चाय ‘वसुबन्धु’ किस गुप्त शासक के दरबार में रहते थे?
(3) चन्द्रगुप्त द्वितीय
(c) स्कन्द गुप्त
(b) कुमार गुप्त प्रथम
(d) समुद्रगुप्त
उत्तर : (d) :
व्याख्या : ### संक्षिप्त व्याख्या:
प्रसिद्ध बौद्ध विद्वान आचार्य वसुबन्धु (जिन्हें “दूसरा बुद्ध” भी कहा जाता है) गुप्त सम्राट चन्द्रगुप्त द्वितीय (विक्रमादित्य) (375–415 ई.) के दरबार से जुड़े थे।
### महत्वपूर्ण तथ्य:
– वसुबन्धु ने योगाचार बौद्ध दर्शन को विकसित किया और अभिधर्मकोश जैसे ग्रंथों की रचना की।
– चन्द्रगुप्त द्वितीय का दरबार विद्वानों, कवियों (जैसे कालिदास) और दार्शनिकों का केंद्र था।
– वसुबन्धु के भाई आचार्य असङ्ग भी महायान बौद्ध दर्शन के प्रमुख विद्वान थे।
अन्य विकल्पों का विश्लेषण:
– (b) कुमारगुप्त प्रथम (415–455 ई.) – नालंदा विश्वविद्यालय का संरक्षक था, लेकिन वसुबन्धु उसके समय में नहीं थे।
– (c) स्कन्दगुप्त (455–467 ई.) – हूणों के आक्रमण का सामना किया, वसुबन्धु का उससे कोई संबंध नहीं।
– (d) समुद्रगुप्त (335–375 ई.) – चन्द्रगुप्त द्वितीय के पिता थे, पर वसुबन्धु उनके काल में नहीं हुए थे।
निष्कर्ष: सही उत्तर चन्द्रगुप्त द्वितीय (विक्रमादित्य) है।
11. निम्नलिखित में कौन सा चीनी यात्री पहले गुप्त शासक श्री गुप्त के विषय में जानकारी देता है?
(a) इत्सिंग
(b) फायान
(c) ह्वेनसांग
(d) वांग हवेन त्से
उत्तर : (a) :
व्याख्या : ### संक्षिप्त व्याख्या:
चीनी यात्री इत्सिंग (I-tsing) ने गुप्त वंश के संस्थापक श्री गुप्त (श्रीगुप्त) के बारे में जानकारी दी है। इत्सिंग ने 7वीं शताब्दी में भारत की यात्रा की और अपने यात्रा वृत्तांत में गुप्त वंश के प्रारंभिक शासकों का उल्लेख किया।
### अन्य यात्री और उनका संबंध:
1. फाहियान (Faxian, 4थ-5वीं शताब्दी):
– चन्द्रगुप्त द्वितीय (विक्रमादित्य) के शासनकाल में भारत आया।
– गुप्त साम्राज्य की समृद्धि का वर्णन किया, लेकिन श्रीगुप्त का जिक्र नहीं किया।
2. ह्वेनसांग (Xuanzang, 7वीं शताब्दी):
– हर्षवर्धन के समय में भारत आया।
– गुप्त वंश के बारे में विस्तृत जानकारी दी, पर श्रीगुप्त के बारे में नहीं।
3. वांग हवेन त्से (Wang Hiuen Tse, 7वीं शताब्दी):
– हर्ष के काल में राजदूत बनकर आया।
– गुप्त वंश से संबंधित कोई स्पष्ट उल्लेख नहीं।
### निष्कर्ष:
इत्सिंग ही वह चीनी यात्री है जिसने गुप्त वंश के संस्थापक श्रीगुप्त के बारे में सबसे पहले जानकारी दी। अतः सही उत्तर (a) इत्सिंग है।
12. निम्न में से किस दर्शन का मत है कि वेद शाश्वत सत्य हैं?
(a) सांख्य
(b) वैशेषिक
(c) मीमांसा
(d) न्याय
उत्तर : (c) : व्याख्या : मीमांसा दर्शन का यह मानना है कि वेद शाश्वत सत्य हैं। इस दर्शन के अनुसार, वेदों का ज्ञान न तो उत्पन्न होता है और न ही नष्ट होता है; वे हमेशा से अस्तित्व में रहे हैं और शाश्वत हैं। मीमांसा दर्शन मुख्य रूप से वेदों के अनुष्ठानों और कर्मकांडों पर केंद्रित है।
13. मीमांसा के प्रणेता थे-
(a) कणाद
(b) वशिष्ठ
(c) विश्वामित्र
(d) जैमिनी
उत्तर : (d) : व्याख्या : मीमांसा दर्शन के प्रणेता जैमिनी थे। उन्होंने वेदों की व्याख्या और उनके कर्मकांडों पर जोर दिया और इस दर्शन का विकास किया। जैमिनी के अनुसार, वेदों के आदेशों का पालन करना आवश्यक है, और यही धर्म का सही रास्ता है।
14. न्याय दर्शन को प्रचारित किया था-
(a) चार्वाक ने
(b) गौतम ने
(c) कपिल ने
(d) जैमिनी ने
उत्तर : (b) : व्याख्या : न्याय दर्शन को गौतम ने प्रचारित किया था। गौतम ने न्यायसूत्र की रचना की, जो इस दर्शन का प्रमुख ग्रंथ है। इस दर्शन का मुख्य उद्देश्य प्रमाणों के माध्यम से सत्य को जानना है। न्याय दर्शन में युक्ति (तर्क) और प्रमाण के सिद्धांतों पर जोर दिया गया है, जो किसी भी ज्ञान को सत्य मानने के लिए आवश्यक होते हैं।
15. केवल प्रत्यक्ष प्रमाण को कौन स्वीकार करता है?
(a) जैन
(b) चार्वाक
(c) बौद्ध
(d) सांख्य
उत्तर : (b) : व्याख्या : चार्वाक दर्शन केवल प्रत्यक्ष प्रमाण (जो इन्द्रियों द्वारा अनुभव किया जा सकता है) को ही स्वीकार करता है। इसके अनुसार, जो कुछ भी हम अपनी इन्द्रियों से देख, सुन, या महसूस कर सकते हैं, वही सत्य है। चार्वाकों का यह दृष्टिकोण किसी भी प्रकार के अडृश्य या आध्यात्मिक प्रमाणों को नकारता है।
16. किस प्रकार की भूमि को ‘अप्रहत’ कहा जाता था?
(a) बिना जोती हुई जंगली भूमि
(b) सिंचित भूमि
(c) घने जंगल वाली भूमि
(d) जोती हुई भूमि
उत्तर : (a) : व्याख्या : ‘अप्रहत’ शब्द का अर्थ है ऐसी भूमि जो बिना जोतने या खेती के लिए तैयार किए बिना छोड़ी गई हो, अर्थात बिना जोती हुई जंगली भूमि। इसे कृषि कार्य के लिए तैयार नहीं किया गया था।
17. सुमेलित करें-
सूची-1 (रानी) सूची-II (शासक)
(A) कुमारदेवी 1. चन्द्रगुप्त द्वितीय
(B) दत्त देवी 2. रुद्रसेन द्वितीय
(C) ध्रुवदेवी 3. चन्द्रगुप्त प्रथम
(D) प्रभावती 4. समुद्रगुप्त
कूट :ABCD
(a) 1 3 4 2
(b) 3 4 1 2
(c) 1 2 3 4
(d) 4 3 2 1
उत्तर : (b) :
व्याख्या : सुमेलित सूची:
• (A) कुमारदेवी – 3. चन्द्रगुप्त प्रथम
• (B) दत्त देवी – 4. समुद्रगुप्त
• (C) ध्रुवदेवी – 1. चन्द्रगुप्त द्वितीय
• (D) प्रभावती – 2. रुद्रसेन द्वितीय
18.गुप्त युग में भूमि राजस्व की दर क्या थी?
(a) उपज का चौथा भाग
(b) उपज का छठां भाग
(c) उपज का आठवां भाग
(d) उपज का आधा भाग
उत्तर : (a) :
व्याख्या : गुप्त युग में भूमि राजस्व की दर उपज का चौथा भाग (25%) थी। यह दर उस समय के कृषि उत्पादन पर आधारित थी, और शासक को भूमि से होने वाली उपज का एक निश्चित हिस्सा राजस्व के रूप में प्राप्त होता था।
गुप्त सम्राटों ने इस राजस्व को स्थानीय प्रशासन के माध्यम से इकट्ठा किया। यह व्यवस्था कृषि आधारित अर्थव्यवस्था को बनाए रखने और साम्राज्य की आर्थिक स्थिरता के लिए महत्वपूर्ण थी। इस दर का एक लाभ यह था कि यह किसानों के लिए अत्यधिक बोझिल नहीं थी, जिससे कृषि उत्पादन में वृद्धि हो सकी।
19. किस गुप्तकालीन कृति को कौटिल्य के ग्रन्थ अर्थशास्त्र के समान माना जाता है?
(a) नारद् स्मृति
(b) वृहस्पति स्मृति
(c) कलियुगराज वृत्तांत
(d) कामंदक कृत नीतिसार
उत्तर : (d) : व्याख्या : कामंदक कृत नीतिसार को कौटिल्य के ग्रंथ ‘अर्थशास्त्र’ के समान माना जाता है। यह एक नीतिशास्त्र पर आधारित कृति है, जिसमें राजनीति, प्रशासन और समाज के विभिन्न पहलुओं पर चर्चा की गई है। कामंदक ने इसमें शासकों के लिए नीतिगत मार्गदर्शन प्रदान किया, जैसा कि कौटिल्य ने ‘अर्थशास्त्र’ में किया था।
20. मौर्य शासकों द्वारा सुदर्शन झील पर बनवाये गये बांध की मरम्मत पहली बार रुद्रदामन प्रथम ने करवाई थी, दूसरी बार इसकी मरम्मत करवाने वाला गुप्त शासक कौन था?
(a) चन्द्रगुप्त द्वितीय
(b) समुद्रगुप्त
(c) स्कन्दगुप्त
(d) कुमार गुप्त
उत्तर : (c) : व्याख्या : मौर्य शासकों द्वारा बनाई गई सुदर्शन झील पर बांध की पहली मरम्मत रुद्रदामन प्रथम ने करवाई थी। इसके बाद, दूसरी बार इस बांध की मरम्मत गुप्त शासक स्कन्दगुप्त ने करवाई थी। स्कन्दगुप्त के समय में यह मरम्मत प्रमुख जल प्रबंधन परियोजना के तहत की गई थी, जिससे झील का जलस्तर स्थिर बना रहा और क्षेत्र में जल की आपूर्ति बेहतर बनी।
21. गुप्त संवत की स्थापना किसने की?
(a) चंद्रगुप्त I
(b) श्रीगुप्त
(c) चंद्रगुप्त II
(d) घटोत्कच
उत्तर : (b) : व्याख्या : गुप्त संवत की स्थापना श्रीगुप्त ने की थी, जो गुप्त वंश के पहले शासक थे। यह संवत भारतीय कैलेंडर प्रणाली का एक महत्वपूर्ण हिस्सा था और इसे सौर संवत के रूप में स्थापित किया गया था। गुप्त संवत की शुरुआत 320 ईस्वी में मानी जाती है, और इसने भारतीय इतिहास में समय मापने के लिए एक मजबूत आधार प्रदान किया। गुप्त सम्राटों के काल में इस संवत का व्यापक रूप से उपयोग हुआ।
22. गुप्तकाल में लिखित संस्कृत नाटकों में स्त्री और शूद्र बोलते थे-
22. गुप्तकाल में लिखित संस्कृत नाटकों में स्त्री और शूद्र बोलते थे-
(a) संस्कृत
(b) प्राकृत
(c) पाली
(d) शौरसेनी
उत्तर : (b) : व्याख्या : गुप्तकाल में लिखित संस्कृत नाटकों में स्त्री और शूद्र प्राकृत भाषा में बोलते थे। प्राकृत भाषा का प्रयोग उस समय के नाटकों में आमतौर पर सामाजिक वर्गों के प्रतिनिधियों, जैसे स्त्रियाँ और शूद्र, के संवादों के लिए किया जाता था, जबकि प्रमुख पात्र संस्कृत में बोलते थे। यह सामाजिक भेदभाव को दर्शाता था और उस समय की भाषा संबंधी परंपराओं को भी उजागर करता था।
23. निम्नलिखित में से किस गुप्त शासक ने सर्वप्रथम सिक्के जारी किए ?
(a) चंद्रगुप्त प्रथम ने
(b) घटोत्कच ने
(c) समुद्रगुप्त ने
(d) श्रीगुप्त ने
उत्तर : (d) : व्याख्या : श्रीगुप्त गुप्त वंश के पहले शासक थे जिन्होंने सिक्के जारी किए। उन्होंने अपने शासनकाल के दौरान प्रारंभिक गुप्त सिक्कों का निर्माण किया, जो गोलाकार और स्वर्ण मुद्राएँ थीं। इन सिक्कों में शासक की छवि और उनके नाम के साथ-साथ धार्मिक प्रतीक भी होते थे, जो उस समय के आर्थिक और सांस्कृतिक प्रभावों को दर्शाते थे।
24. गुप्त स्वर्ण मुद्रा को कहा जाता था-
(a) कार्षापण
(b) दीनार
(c) निष्क
(d) सुवर्ण
उत्तर : (b) : व्याख्या : गुप्त काल की स्वर्ण मुद्रा को दीनार कहा जाता था। यह सोने की मुद्राएँ थीं, जो गुप्त सम्राटों द्वारा व्यापार, लेन-देन, और प्रशासनिक कार्यों के लिए जारी की जाती थीं। इन मुद्राओं पर शासक की छवि और धार्मिक प्रतीक अंकित होते थे, और यह गुप्त साम्राज्य की समृद्धि और आर्थिक ताकत को दर्शाती थीं।
25. इनमें से किसने पहली बार यह व्याख्या की थी कि पृथ्वी के अपनी धुरी पर घूमने के कारण प्रतिदिन सूर्योदय एवं सूर्यास्त होता है?
(a) आर्यभट्ट
(b) भास्कर
(c) ब्रह्मगुप्त
(d) वराहमिहिर
उत्तर : (a) : व्याख्या : आर्यभट्ट ने पहली बार यह व्याख्या की थी कि पृथ्वी के अपनी धुरी पर घूमने के कारण प्रतिदिन सूर्योदय और सूर्यास्त होता है। उन्होंने अपनी कृति “आर्यभटीयम” में यह सिद्धांत प्रस्तुत किया था, जो उस समय के खगोलशास्त्र में एक महत्वपूर्ण योगदान था। आर्यभट्ट के इस विचार ने दुनिया भर के वैज्ञानिकों और खगोलज्ञों के लिए नए दृष्टिकोण खोले और पृथ्वी की गति को समझने में मदद की।
26. कालिदास किसके शासनकाल में थे?
(a) समुद्रगुप्त
(b) अशोक महान
(c) चंद्रगुप्त I
(d) चंद्रगुप्त II
उत्तर : (d) : व्याख्या : कालिदास गुप्त सम्राट चंद्रगुप्त द्वितीय के शासनकाल में रहे थे। चंद्रगुप्त द्वितीय का शासनकाल गुप्त साम्राज्य का स्वर्ण युग माना जाता है, और इस दौरान कला, साहित्य, और विज्ञान में अद्वितीय प्रगति हुई। कालिदास, जो गुप्तकाल के महान कवि और नाटककार थे, ने अपनी रचनाओं से भारतीय साहित्य को अमूल्य योगदान दिया। उनके प्रमुख कार्यों में “अभिज्ञानशाकुंतलम”, “मेघदूत” और “कुमारसंभव” शामिल हैं।
27. चंद्रगुप्त के नौ रत्नों में से निम्न में से कौन फलित ज्योतिष से संबंधित था?
(a) वररुची
(b) शंकु
(c) क्षपणक
(d) अमर सिंह
उत्तर : (b) : व्याख्या : चंद्रगुप्त द्वितीय के नौ रत्नों में से शंकु फलित ज्योतिष (astrology) से संबंधित थे। शंकु एक प्रसिद्ध ज्योतिषी और गणितज्ञ थे, जिन्होंने खगोलशास्त्र और ज्योतिष के क्षेत्र में महत्वपूर्ण योगदान दिया। उनके कार्यों का प्रभाव भारतीय गणित और खगोलशास्त्र में लंबे समय तक देखा गया।
28. निम्नलिखित में से कौन गुप्तकाल में अपनी आयुर्विज्ञान विषयक रचना के लिए जाना जाता है?
(a) सौमिल्ल
(b) शूद्रक
(c) शौनक
(d) सुश्रुत
उत्तर : (d) : व्याख्या : सुश्रुत गुप्तकाल में प्रसिद्ध आयुर्वेदाचार्य थे, जो अपनी आयुर्विज्ञान विषयक रचनाओं के लिए प्रसिद्ध हैं। उन्होंने “सुश्रुत संहिता” नामक कृति लिखी, जो आयुर्वेद के महत्वपूर्ण ग्रंथों में से एक मानी जाती है। इस ग्रंथ में शल्य चिकित्सा (सर्जरी) और विभिन्न चिकित्सा विधियों का वर्णन किया गया है। सुश्रुत को शल्य चिकित्सा का अग्रणी माना जाता है और उनका योगदान चिकित्सा क्षेत्र में अमूल्य था।
29. गुप्तकाल में गुजरात, बंगाल, दक्कन एवं तमिल राष्ट्र में स्थित केंद्र किससे संबंधित थे?
(a) वस्त्र उत्पादन
(b) बहुमूल्य मणि एवं रत्न
(c) हस्तशिल्प
(d) अफीम खेती
उत्तर : (b) :
व्याख्या : गुप्तकाल में गुजरात, बंगाल, दक्कन, और तमिल राष्ट्र मुख्य रूप से बहुमूल्य मणि और रत्न के उत्पादन और व्यापार के लिए प्रसिद्ध थे। इन क्षेत्रों में विविध प्रकार के रत्न जैसे पन्ना, हीरा, माणिक, और मोती पाए जाते थे, जो न केवल भारत में बल्कि विदेशों में भी व्यापारित होते थे। इस समय में भारतीय रत्नों का व्यापार काफी बढ़ा और विदेशी व्यापारियों से इनका आदान-प्रदान हुआ।
अतिरिक्त तथ्य:
• गुप्तकाल के दौरान भारत में व्यापार के लिए समुद्री मार्ग और भूमिगत मार्ग दोनों का उपयोग किया जाता था।
• गुजरात का कंबे बंदरगाह और बंगाल का पाटलिपुत्र व्यापार केंद्र के रूप में बहुत महत्वपूर्ण थे।
• गुप्त काल में सिल्क, वस्त्र निर्माण, और हस्तशिल्प जैसे व्यापार भी प्रमुख थे, लेकिन मणि-रत्नों का व्यापार विशेष रूप से प्रसिद्घ था।
यह जानकारी न केवल गुप्तकाल के सामाजिक-आर्थिक जीवन को स्पष्ट करती है, बल्कि व्यापार और उद्योग के महत्व को भी रेखांकित करती है।
30. गुप्तकाल में उत्तर भारतीय व्यापार निम्नलिखित में से किस एक पत्तन से संचालित होता था?
(a) ताम्रलिप्ति
(b) भड़ौच
(c) कल्याण
(d) काम्बे
उत्तर : (a) :
व्याख्या : गुप्तकाल में उत्तर भारतीय व्यापार मुख्य रूप से ताम्रलिप्ति पत्तन से संचालित होता था। ताम्रलिप्ति (वर्तमान में तामलुक, पश्चिम बंगाल) बंगाल के तटीय क्षेत्र में स्थित एक प्रमुख बंदरगाह था, जो समुद्री मार्ग से व्यापार करने के लिए एक महत्वपूर्ण केंद्र था। यहां से भारत के उत्तरी भागों और विदेशी क्षेत्रों, विशेषकर सिल्क रूट और दक्षिण-पूर्व एशिया के देशों के साथ व्यापार होता था। ताम्रलिप्ति का व्यापारिक महत्व गुप्तकाल में अत्यधिक था, जहां बहुमूल्य वस्तुओं, रत्नों, वस्त्रों और मसालों का व्यापार प्रमुख था।
अतिरिक्त तथ्य:
• ताम्रलिप्ति का बंदरगाह गुप्त साम्राज्य के तहत समृद्ध व्यापार मार्गों का हिस्सा था।
• यह बंदरगाह चीन, मालदीव, और मलेशिया के साथ व्यापार संबंधों में प्रमुख था।
31. ईसा की तीसरी शताब्दी से, जबकि हूण आक्रमण से रोमन साम्राज्य समाप्त हो गया, भारतीय व्यापारी अधिकाधिक निर्भर हो गए-
(a) अफ्रीकी व्यापार पर
(b) पश्चिमी-यूरोपीय व्यापार पर
(c) दक्षिण-पूर्व एशियाई व्यापार पर
(d) मध्य-पूर्वी व्यापार पर
उत्तर : (c) :
व्याख्या : ईसा की तीसरी शताब्दी से, जब हूण आक्रमण के कारण रोमन साम्राज्य का पतन हुआ, भारतीय व्यापारी दक्षिण-पूर्व एशियाई व्यापार पर अधिकाधिक निर्भर हो गए। उस समय भारतीय व्यापारियों ने समुद्री मार्गों का इस्तेमाल करते हुए मालदीव, मलेशिया, इंडोनेशिया, और वियतनाम जैसे देशों के साथ व्यापार करना शुरू किया। इन क्षेत्रों में भारतीय वस्त्र, मसाले, रत्न, और अन्य उत्पादों का निर्यात किया जाता था, जबकि इन देशों से भारतीय व्यापारी चाय, लौह और तांबा जैसी वस्तुएं प्राप्त करते थे।
अतिरिक्त तथ्य:
• दक्षिण-पूर्व एशिया के व्यापार में भारतीय संस्कृति और व्यापार के संबंधों का महत्वपूर्ण प्रभाव पड़ा, जिससे भारतीय सभ्यता ने इन क्षेत्रों में व्यापक प्रभाव छोड़ा।
• भारतीय समुद्री मार्गों का विकास और व्यापारिक नेटवर्क का विस्तार गुप्तकाल और बाद के शताब्दियों में हुआ, जब भारत और दक्षिण-पूर्व एशिया के बीच मजबूत व्यापारिक रिश्ते स्थापित हुए।
32. रजत सिक्के जारी करने वाला प्रथम गुप्त शासक था-
(a) चंद्रगुप्त प्रथम
(b) समुद्रगुप्त
(c) चंद्रगुप्त द्वितीय
(d) कुमारगुप्त
उत्तर : (b) :
व्याख्या : समुद्रगुप्त गुप्त साम्राज्य का एक महान सम्राट था, जिसने रजत सिक्के जारी किए। समुद्रगुप्त को “भारतीय इतिहास का नैपोलियन” भी कहा जाता है, क्योंकि उसने अपने समय में कई महत्वपूर्ण युद्धों में विजय प्राप्त की और गुप्त साम्राज्य को संपूर्ण भारत में फैला दिया। वह सिक्कों के माध्यम से अपने साम्राज्य की शक्ति और समृद्धि को दर्शाने के लिए प्रसिद्ध थे। समुद्रगुप्त ने स्वर्ण और रजत सिक्के जारी किए, जो उनकी महानता और गुप्त साम्राज्य की समृद्धि का प्रतीक थे।
अतिरिक्त तथ्य:
• समुद्रगुप्त ने विभिन्न प्रकार के सिक्कों को जारी किया, जिनमें से कुछ पर उनके विजय का चित्रण था।
• रजत सिक्कों की खासियत यह थी कि इन पर समुद्रगुप्त की विजयी छवि और उनके शासनकाल के महत्वपूर्ण घटनाओं का उल्लेख किया गया था।
33. ‘शक-विजेता’ किसे जाना जाता है?
(a) चंद्रगुप्त प्रथम
(b) समुद्रगुप्त
(c) चंद्रगुप्त द्वितीय
(d) कुमारगुप्त
उत्तर : (c) :
व्याख्या : चंद्रगुप्त द्वितीय को ‘शक-विजेता’ के नाम से जाना जाता है। उन्होंने शकों (सकास) को पराजित किया और भारतीय उपमहाद्वीप में अपने साम्राज्य को स्थापित किया। चंद्रगुप्त द्वितीय के शासनकाल में गुप्त साम्राज्य ने अपनी उच्चतम समृद्धि को छुआ। उनके द्वारा शकों के खिलाफ किए गए युद्धों की विजय ने उन्हें यह उपाधि दी। इस प्रकार, चंद्रगुप्त द्वितीय की शकों पर विजय ने उन्हें भारतीय इतिहास में एक महान शासक के रूप में प्रतिष्ठित किया।
अतिरिक्त तथ्य:
• चंद्रगुप्त द्वितीय के साम्राज्य का विस्तार मध्य भारत, पश्चिमी भारत, और उत्तरी भारत तक था।
• उनके शासनकाल में कला, साहित्य और विज्ञान में भी महत्वपूर्ण विकास हुआ।
34. गुप्त साम्राज्य के पतन के विभिन्न कारण थे। निम्नलिखित कथनों में कौन-सा कारण नहीं था?
(a) हूण आक्रमण
(b) प्रशासन का सामंतीय ढांचा
(c) उत्तरवर्ती गुप्तों का बौद्ध धर्म स्वीकार करना
(d) अरब आक्रमण
उत्तर : (d) :
व्याख्या : गुप्त साम्राज्य के पतन के प्रमुख कारणों में हूण आक्रमण, प्रशासन का सामंतीय ढांचा, और उत्तरवर्ती गुप्तों का बौद्ध धर्म स्वीकार करना शामिल थे।
1. हूण आक्रमण: हूणों के आक्रमण ने गुप्त साम्राज्य को गंभीर रूप से कमजोर किया। हूणों ने उत्तरी भारत पर आक्रमण किया और गुप्त साम्राज्य को विभाजित कर दिया।
2. प्रशासन का सामंतीय ढांचा: गुप्त साम्राज्य में सामंतीय शासन प्रणाली थी, जिसमें स्थानीय शासकों की स्वतंत्रता अधिक थी। यह कमजोर प्रशासनिक संरचना साम्राज्य के पतन का कारण बनी।
3. उत्तरवर्ती गुप्तों का बौद्ध धर्म स्वीकार करना: बाद के गुप्त शासकों ने बौद्ध धर्म को अपनाया, जो हिंदू धर्म के परंपरागत समर्थकों के लिए विवादास्पद था, इससे साम्राज्य में अस्थिरता आई।
अरब आक्रमण गुप्त साम्राज्य के पतन से पहले हुआ था, लेकिन इसका असर गुप्त साम्राज्य पर नहीं था, क्योंकि गुप्त साम्राज्य का पतन हूणों द्वारा हुआ, जबकि अरब आक्रमण गुप्त साम्राज्य के पतन के बाद हुआ।
35. किस अभिलेख से ज्ञात होता है कि स्कंदगुप्त ने हूणों को पराजित किया था?
(a) भितरी स्तंभ-लेख
(b) इलाहाबाद स्तंभ-लेख
(c) मन्दसौर अभिलेख
(d) उदयगिरि अभिलेख
उत्तर : (a) : व्याख्या : भितरी स्तंभ-लेख से यह ज्ञात होता है कि स्कंदगुप्त ने हूणों को पराजित किया था। इस लेख में स्कंदगुप्त की सफलता का विवरण है, जिसमें बताया गया है कि उन्होंने हूणों के आक्रमण को विफल कर दिया और गुप्त साम्राज्य की सुरक्षा सुनिश्चित की। भितरी स्तंभ-लेख को गुप्त काल के सबसे महत्वपूर्ण अभिलेखों में से एक माना जाता है, क्योंकि इससे हमें उस समय की राजनीति और संघर्षों के बारे में महत्वपूर्ण जानकारी मिलती है।
36. कौन-सा राजवंश हूणों के आक्रमण से अत्यंत विचलित हुआ?
(a) मौर्य
(b) कुषाण
(c) गुप्त
(d) शुंग
उत्तर : (c) :
व्याख्या : गुप्त राजवंश हूणों के आक्रमण से अत्यंत विचलित हुआ। हूणों ने गुप्त साम्राज्य पर कई बार आक्रमण किए, जिससे साम्राज्य की शक्ति और समृद्धि को गंभीर क्षति पहुँची। विशेष रूप से स्कंदगुप्त के शासनकाल के बाद, हूणों ने उत्तरी भारत में आक्रमण करना शुरू किया, और यह गुप्त साम्राज्य के पतन का एक प्रमुख कारण बना। हूणों के आक्रमण ने गुप्त साम्राज्य को कमजोर किया और इसके बाद साम्राज्य विभाजित हो गया।
अतिरिक्त तथ्य:
• हूणों के आक्रमण के कारण गुप्त साम्राज्य में अस्थिरता आई, जिससे इसके शासक अपनी स्थिति मजबूत नहीं कर सके।
• हूणों द्वारा किए गए आक्रमणों ने गुप्त साम्राज्य को हमेशा के लिए समाप्त कर दिया।
37. दिल्ली की कुव्वत-उल-इस्लाम मस्जिद के प्रांगण में उन्नत प्रसिद्ध लौह-स्तंभ किसकी स्मृति में –
(a) अशोक
(b) चंद्र
(c) हर्ष
(d) अनंगपाल
उत्तर : (a) :
व्याख्या : दिल्ली की कुव्वत-उल-इस्लाम मस्जिद के प्रांगण में स्थित लौह-स्तंभ सम्राट अशोक की स्मृति में स्थापित किया गया था। यह स्तंभ भारतीय पुरातात्विक धरोहर का एक महत्वपूर्ण उदाहरण है और इसकी स्थापना अशोक के द्वारा बौद्ध धर्म के प्रचार-प्रसार के लिए की गई थी। लौह-स्तंभ की खासियत यह है कि यह लगभग 7 मीटर लंबा और करीब 6 टन वजन का है। इसे अपने अद्वितीय धातु मिश्रण के कारण बेजोड़ माना जाता है, जो इसे समय के साथ जंग से बचने में सक्षम बनाता है।
अतिरिक्त तथ्य:
• लौह-स्तंभ का निर्माण लगभग 4वीं शताब्दी में हुआ था, हालांकि इसे अशोक के शासनकाल के साथ जोड़ा जाता है, और यह भारतीय लौह कला और धातुकर्म में एक महान उपलब्धि मानी जाती है।
• स्तंभ पर उकेरे गए शिलालेखों में बौद्ध धर्म और अशोक के शासनकाल के दौरान किए गए कार्यों का वर्णन किया गया है।
38. सूची-I को सूची-II से सुमेलित कीजिए। नीचे दिए कूटों में सही उत्तर का चयन कीजिए।
सूची-I (दक्षिण भारत के समुद्रगुप्त के समकालीन नरेश) | सूची-II (उनके राज्य) |
A. धनंजय | 1. अवमुक्त |
B. नीलराज | 2. कंची |
C. उग्रसेन | 3. कुस्तलपुर |
D. विष्णुगोपा | 4. पालक्का |
कूट : ABCD
(a) 1 2 3 4
(b) 2 1 4 3
(c) 3 1 4 2
(d) 4 3 2 1
उत्तर : (b) : व्याख्या : अतिरिक्त जानकारी: यह सुमेलन गुप्त साम्राज्य के दक्षिण भारतीय समकालीन शासकों और उनके राज्यों से संबंधित है। इन शासकों का उल्लेख गुप्तकाल के अभिलेखों और अन्य ऐतिहासिक स्रोतों में मिलता है, जो गुप्त साम्राज्य के दक्षिणी क्षेत्रों के साथ रिश्तों और राजनीतिक परिप्रेक्ष्य को दर्शाते हैं।
40. निम्नलिखित कथन पढ़िए-
1. हरिसेन समुद्रगुप्त के दरबार का प्रसिद्ध कवि था।
2. उसे ‘देवीचंद्रगुप्तम’ महाकाव्य की रचना की।
3. वह ‘प्रयाग प्रशस्ति’ का भी रचयिता था।
सही उत्तर चुनिए-
(a) 1, 2 एवं 3 सही हैं
(b) 1 एवं 2 सही हैं
(c) 2 एवं 3 सही हैं
(d) 1 एवं 3 सही हैं
उत्तर : (a) :
व्याख्या : सभी तीन कथन सही हैं:
1. हरिसेन समुद्रगुप्त के दरबार का प्रसिद्ध कवि था।
o यह सही है, क्योंकि हरिसेन समुद्रगुप्त के दरबार में एक प्रमुख कवि और साहित्यकार था।
2. उसे ‘देवीचंद्रगुप्तम’ महाकाव्य की रचना की।
o यह भी सही है, क्योंकि हरिसेन ने ‘देवीचंद्रगुप्तम’ नामक महाकाव्य की रचना की, जो समुद्रगुप्त की गाथाओं पर आधारित था।
3. वह ‘प्रयाग प्रशस्ति’ का भी रचयिता था।
o यह भी सही है, क्योंकि ‘प्रयाग प्रशस्ति’ एक महत्वपूर्ण अभिलेख है जो हरिसेन द्वारा रचित था और समुद्रगुप्त की विजय और शक्ति का वर्णन करता है।
अतिरिक्त जानकारी:
प्रयाग प्रशस्ति को “इलाहाबाद स्तंभ लेख” भी कहा जाता है, और यह हरिसेन द्वारा लिखा गया एक महत्वपूर्ण ऐतिहासिक दस्तावेज है। यह समुद्रगुप्त के सम्राट होने और उसके द्वारा की गई विजय की प्रशंसा करता है।
41. ‘पृथिव्या प्रथम वीर’ उपाधि थी –
(a) समुद्रगुप्त की
(b) राजेंद्र प्रथम की
(c) अमोघवर्ष की
(d) गौतमीपुत्र शातकर्णी की
उत्तर : (d) :
व्याख्या : ”पृथिव्या प्रथम वीर’ उपाधि गौतमीपुत्र शातकर्णी की थी। गौतमीपुत्र शातकर्णी सातवाहन वंश के एक महान शासक थे। उन्होंने अपने शासनकाल में कई महत्वपूर्ण युद्धों में विजय प्राप्त की और दक्षिण भारत में सातवाहन साम्राज्य को मजबूत किया। इस उपाधि का उपयोग गौतमीपुत्र शातकर्णी ने अपने महानता और वीरता को दर्शाने के लिए किया था।
अतिरिक्त जानकारी:
गौतमीपुत्र शातकर्णी के शासनकाल में सातवाहन साम्राज्य ने महत्वपूर्ण आर्थिक और सांस्कृतिक उन्नति की। उन्होंने प्राचीन भारतीय इतिहास में एक महत्वपूर्ण स्थान बनाया और उनका शासन दक्षिण भारत के लिए बहुत प्रभावशाली था।
42. समुद्रगुप्त के प्रयाग प्रशस्ति वाले स्तंभ पर निम्नलिखित में से किसका लेख मिलता है?
(a) जहांगीर
(b) शाहजहां
(c) औरंगज़ेब
(d) दारा शिकोह
उत्तर : (d) :
व्याख्या : समुद्रगुप्त के प्रयाग प्रशस्ति (जिसे इलाहाबाद स्तंभ लेख भी कहा जाता है) पर दारा शिकोह का लेख मिलता है। दारा शिकोह, जो मुग़ल सम्राट शाहजहां का पुत्र था, ने इस स्तंभ के आधार पर कुछ शाही अभिलेख और कलात्मक जोड़तोड़ किए थे।
प्रयाग प्रशस्ति समुद्रगुप्त के समकालीन हरिसेन द्वारा लिखा गया एक महत्वपूर्ण अभिलेख है, जिसमें समुद्रगुप्त की विजय और उनके द्वारा किए गए राजनीतिक कार्यों का उल्लेख है। यह अभिलेख भारतीय इतिहास में अत्यधिक महत्वपूर्ण है, क्योंकि यह उस समय के राजनीतिक परिप्रेक्ष्य और समुद्रगुप्त के शासन की महानता को उजागर करता है।
अतिरिक्त जानकारी:
दारा शिकोह ने भारतीय संस्कृति और धर्म के विभिन्न पहलुओं के साथ गहरी रुचि रखी थी और उसने संस्कृत और फारसी साहित्य का गहरा अध्ययन किया था।
43. प्रयाग प्रशस्ति किसके सैन्य अभियान के बारे में जानकारी देती है?
(a) चंद्रगुप्त प्रथम
(b) समुद्रगुप्त
(c) चंद्रगुप्त द्वितीय
(d) कुमारगुप्त
उत्तर : (b) :
व्याख्या : प्रयाग प्रशस्ति (या इलाहाबाद स्तंभ लेख) समुद्रगुप्त के सैन्य अभियानों के बारे में जानकारी देती है। इस अभिलेख को हरिसेन ने लिखा था और यह समुद्रगुप्त की विजय और उनके महान सैन्य अभियानों का वर्णन करता है। इसमें समुद्रगुप्त की कई महत्वपूर्ण विजयों का उल्लेख किया गया है, जैसे कि उत्तर भारत के विभिन्न राजाओं पर उसकी विजय और दक्खिन भारत तक उसके प्रभाव का विस्तार।
अतिरिक्त जानकारी:
प्रयाग प्रशस्ति को भारतीय इतिहास का एक महत्वपूर्ण स्रोत माना जाता है क्योंकि यह समुद्रगुप्त की शक्ति और सैन्य क्षमता को दर्शाता है। यह अभिलेख भारतीय शाही इतिहास और गुप्त काल के सैन्य अभियानों की जानकारी प्रदान करता है।
44. इलाहाबाद स्तंभ अभिलेख निम्नलिखित में से किस एक से संबद्ध है?
(a) महापद्मनंद
(b) चंद्रगुप्त मौर्य
(c) अशोक
(d) समुद्रगुप्त
उत्तर : (d) :
व्याख्या : इलाहाबाद स्तंभ अभिलेख समुद्रगुप्त से संबद्ध है। यह अभिलेख समुद्रगुप्त के दरबार के प्रसिद्ध कवि हरिसेन द्वारा लिखा गया था। इस अभिलेख में समुद्रगुप्त की विजय, सैन्य अभियानों, और राजनीतिक सफलता का विस्तृत विवरण मिलता है। यह अभिलेख समुद्रगुप्त के समकालीन होने के कारण गुप्त साम्राज्य की शक्ति और गौरव को दर्शाता है।
अतिरिक्त जानकारी:
इलाहाबाद स्तंभ अभिलेख में समुद्रगुप्त की चार प्रमुख सैन्य विजय, उसकी वीरता और प्रशासनिक कार्यों का वर्णन किया गया है। इसे गुप्त काल के इतिहास का महत्वपूर्ण दस्तावेज माना जाता है।
45. प्रथम गुप्त शासक जिसने ‘परम भागवत’ की उपाधि धारण की वह था –
(a) चंद्रगुप्त प्रथम
(b) समुद्रगुप्त
(c) चंद्रगुप्त द्वितीय
(d) श्रीगुप्त
उत्तर : (a) :
व्याख्या : चंद्रगुप्त प्रथम ने ही ‘परम भागवत’ की उपाधि धारण की थी। यह उपाधि उनके महान धार्मिक और राजनीतिक कार्यों का प्रतीक थी, जो उन्होंने गुप्त साम्राज्य के गठन और विस्तार के दौरान किए थे। चंद्रगुप्त प्रथम ने गुप्त साम्राज्य की नींव रखी और इसे एक शक्तिशाली राज्य बनाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।
अतिरिक्त जानकारी:
‘परम भागवत’ का अर्थ है “भगवान के परम भक्त” और यह उपाधि चंद्रगुप्त प्रथम की धार्मिक प्रतिबद्धता और विशेष रूप से विष्णु पूजा के प्रति उनके समर्पण को दर्शाती है। इस उपाधि का प्रयोग शासक अपनी धार्मिक श्रेष्ठता और भक्ति को व्यक्त करने के लिए करते थे।
46. निम्नलिखित में से किस गुप्त राजा का एक अन्य नाम देवगुप्त था ?
(a) समुद्रगुप्त
(b) चंद्रगुप्त द्वितीय
(c) कुमारगुप्त
(d) उपर्युक्त में से कोई नहीं
उत्तर : (b) :
व्याख्या : चंद्रगुप्त द्वितीय का एक अन्य नाम “देवगुप्त” था। वह गुप्त साम्राज्य के एक महान शासक थे और उनके शासनकाल में गुप्त साम्राज्य ने समृद्धि और विस्तार देखा। चंद्रगुप्त द्वितीय को ‘विक्रमादित्य’ के नाम से भी जाना जाता है, और उनके शासन के दौरान कला, संस्कृति और विज्ञान में उल्लेखनीय प्रगति हुई।
अतिरिक्त जानकारी:
चंद्रगुप्त द्वितीय ने हूणों को पराजित किया और सातवाहन और कुषाण साम्राज्यों के साथ सामरिक और व्यापारिक संबंध बनाए। उनका शासन भारतीय इतिहास के स्वर्णिम युग के रूप में जाना जाता है।
47.’प्राचीन भारत का नेपोलियन’ किसे कहा जाता है?
(a) चंद्रगुप्त मौर्य
(b) पुष्यमित्र
(c) कनिष्क
(d) समुद्रगुप्त
उत्तर : (d) :
व्याख्या : समुद्रगुप्त को ‘प्राचीन भारत का नेपोलियन’ कहा जाता है। यह उपाधि उन्हें उनके सैन्य कौशल और वीरता के कारण दी गई थी। समुद्रगुप्त ने कई युद्धों में विजय प्राप्त की और गुप्त साम्राज्य को एक प्रमुख शक्ति बना दिया। उन्होंने न केवल उत्तर भारत के कई राज्यों पर विजय प्राप्त की, बल्कि दक्षिण भारत और पश्चिमी क्षेत्रों में भी अपने साम्राज्य का विस्तार किया। उनके सैन्य अभियान और रणनीतियाँ ने उन्हें प्राचीन भारतीय इतिहास का एक महान और प्रभावशाली शासक बना दिया।
अतिरिक्त जानकारी:
समुद्रगुप्त का शासन भारतीय इतिहास में महत्वपूर्ण माना जाता है, और उनका नेतृत्व भारतीय संस्कृति, कला और साहित्य के समृद्धि के साथ जुड़ा हुआ था। उनके शौर्य और विजयों को “प्रयाग प्रशस्ति” (इलाहाबाद स्तंभ लेख) में वर्णित किया गया है।
48. ‘भारत का नेपोलियन’ किसे कहा जाता है?
(a) चंद्रगुप्त मौर्य
(b) चंद्रगुप्त द्वितीय विक्रमादित्य
(c) अशोक महान
(d) समुद्रगुप्त
उत्तर : (d) :
व्याख्या : समुद्रगुप्त को ‘भारत का नेपोलियन’ कहा जाता है। उन्हें यह उपाधि उनके उत्कृष्ट सैन्य नेतृत्व, विजयों और रणनीतियों के कारण दी गई। समुद्रगुप्त ने विभिन्न राज्यों पर आक्रमण किए और गुप्त साम्राज्य की सीमाओं को विस्तारित किया। उनके सैन्य अभियान और युद्ध कौशल के कारण उन्हें यह उपाधि प्राप्त हुई, जो उन्हें “प्राचीन भारत का नेपोलियन” के रूप में प्रतिष्ठित करती है।
अतिरिक्त जानकारी:
समुद्रगुप्त के शासनकाल में गुप्त साम्राज्य को एक समृद्ध और शक्तिशाली राज्य के रूप में देखा गया। उनकी विजय और प्रशासन की दक्षता को ‘प्रयाग प्रशस्ति’ (इलाहाबाद स्तंभ लेख) में विस्तार से वर्णित किया गया है, जो उनके ऐतिहासिक योगदान का प्रमाण है।
49. निम्नलिखित शासकों में से किस एक ने चार अश्वमेधों का संपादन किया था?
(a) पुष्यमित्र शुंग
(b) प्रवरसेन प्रथम
(c) समुद्रगुप्त
(d) चंद्रगुप्त द्वितीय
उत्तर : (c) :
व्याख्या : समुद्रगुप्त (लगभग 335-375 ई.) ने चार अश्वमेध यज्ञ किए थे, जो उनके शाही प्रभाव और सैन्य विजय का प्रतीक थे। यह यज्ञ उनके साम्राज्य की शक्ति और सफलता का प्रदर्शन करते थे। समुद्रगुप्त को ‘भारत का नेपोलियन’ भी कहा जाता है और यह जानकारी प्रयाग प्रशस्ति (इलाहाबाद स्तंभ लेख) में मिलती है।
महत्वपूर्ण तथ्य:
• समुद्रगुप्त को अश्वमेध यज्ञ के माध्यम से अपनी शक्ति की घोषणा करने का प्रचलन था।
• प्रयाग प्रशस्ति में उनके चार अश्वमेध यज्ञों का उल्लेख है।
• उनका साम्राज्य उत्तर और मध्य भारत तक विस्तृत था।
50. सही जोड़े बनाइए तथा नीचे दिए गए कूट से सही उत्तर चुनिए
(A) भोज (1) उज्जैन
(B) दुर्गावती (2) विदिशा
(C) समुद्रगुप्त (3) धार
(D) अशोक (4) गोंडवाना
कूट : (A) (B)(C)(D)
(a) (4)(3)(2)(1)
(b) (3)(4)(1)(2)
(c) (4)(3)(1)(2)
(d) (3)(4)(2)(1)
उत्तर : (b) :
व्याख्या :
• A. भोज – (3) धार
भोज, जो प्रति राजा भोज के नाम से प्रसिद्ध थे, धार के शासक थे, जो मध्यकाल में एक महत्वपूर्ण स्थान था।
• B. दुर्गावती – (4) गोंडवाना
दुर्गावती, गोंडवाना की रानी थीं और उनका शासन गोंडवाना क्षेत्र में था।
• C. समुद्रगुप्त – (1) उज्जैन
समुद्रगुप्त, गुप्त साम्राज्य के शासक थे, जिनका संबंध उज्जैन से था, जो उनके साम्राज्य का एक प्रमुख केंद्र था।
• D. अशोक – (2) विदिशा
अशोक महान, मौर्य साम्राज्य के सम्राट थे, जिनकी राजधानी विदिशा थी, जहाँ उन्होंने बौद्ध धर्म को अपनाया और फैलाया।
इसलिए सही कूट है (b) (3)(4)(1)(2)।
51. सूची-I तथा सूची-II को सुमेलित कीजिए तथा सूचियों के नीचे दिए गए कूट से सही उत्तर चुनिए-
सूची-I सूची-II
(दरबारी कवि) (राजा)
A. अमीर खुसरो 1. चंद्रगुप्त II
B. कालिदास 2. समुद्रगुप्त
C. हरिषेण 3. हर्षवर्धन
D. बाणभट्ट 4. अलाउद्दीन खिलजी
उत्तर : (b) :
व्याख्या :
• A. अमीर खुसरो – (4)अलाउद्दीन खिलजी
अमीर खुसरो एक प्रसिद्ध कवि थे, जो अलाउद्दीन खिलजी के दरबार में रहते थे।
• B. कालिदास – (1) चंद्रगुप्त II
कालिदास महान संस्कृत कवि थे, जो चंद्रगुप्त द्वितीय (विक्रमादित्य) के दरबार में थे।
• C. हरिषेण – (2) समुद्रगुप्त
हरिषेण एक प्रसिद्ध कवि थे, जो समुद्रगुप्त के दरबार में थे।
• D. बाणभट्ट – (3) हर्षवर्धन
बाणभट्ट एक प्रसिद्ध संस्कृत कवि और लेखक थे, जो हर्षवर्धन के दरबार में रहते थे।
सही कूट: (b) (1)(2)(3)(4)
52. निम्नलिखित जोड़ों में कौन जोड़ा सुमेलित नहीं है?
(a) रविकीर्ति पुलकेशिन II
(b) भवभूति कन्नौज के यशोवर्मन
(c) हरिषेण हर्ष
(d) दंडी नरसिंह वर्मन
53. आदिशंकर जो बाद में शंकराचार्य बने, उनका जन्म हुआ था-
(a) कश्मीर में
(b) केरल में
(c) आंध्र प्रदेश में
(d) पश्चिमी बंगाल में
54. कथन (A) : सामंतवाद का विकास गुप्तोत्तर काल की कृषक-संरचना की प्रमुख विशेषता थी।
कारण (R) : इस काल में भू-स्वामी मध्यस्थ वर्ग एवं आश्रित कृषक वर्ग अस्तित्व में आया।
नीचे दिए गए कूट का प्रयोग कर सही उत्तर चुनिए-
(a) (A) तथा (R) दोनों सही हैं तथा (R), (A) की सही व्याख्या है।
(b) (A) तथा (R) दोनों सही हैं, परंतु (R), (A) की सही व्याख्या नहीं है।
(c) (A) सही है, परंतु (R) गलत है।
(d) (A) गलत है, परंतु (R) सही है।
55.किस गुप्त शासक के शासनकाल में सबसे अधिक संख्या में अभिलेख अस्तित्व में आये?
(*a) कुमारगुप्त प्रथम
(b) समुद्रगुप्त
(c) स्कन्दगुप्त
(d) चन्द्रगुप्त प्रथम
56. निम्नलिखित युग्मों में से कौन-सा एक भारतीय षड्दर्शन का भाग नहीं है?
(a) मीमांसा और वेदांत
(b) न्याय और वैशेषिक
(c) लोकायत और कापालिक
(d) सांख्य और योग
57. उत्तर प्रदेश में स्थित वह स्थल जहां हर्षवर्धन ने बौद्ध महासम्मेलन का आयोजन किया था-
(a) काशी
(b) प्रयाग
(c) अयोध्या
(d) सारनाथ
58. समुद्रगुप्त के इलाहाबाद प्रशस्ति का रचनाकार कौन था?
(a) कालीदास
(*b) हरिषेण
(c) रविकीर्ति
(d) शूद्रक
59. किस गुप्त सम्राट के बारे में कहा जाता हैं कि अपने जीवन के अंतिम समय में उसने बौद्ध धर्म स्वीकार कर लिया और नालंदा विश्वविद्यालय की स्थापाना की थी?
(*a) कुमारगुप्त प्रथम
(b) स्कन्दगुप्त
(c) समुद्रगुप्त
(d) पुरुगुप्त
60. कौन सा अभिलेख एक लौह स्तम्भ पर अंकित किया गया है?
(a) इलाहाबाद प्रशस्ति
(*b) मेहरौली प्रशस्ति
(c) एरण प्रशस्ति
(d) जूनागढ़ प्रशस्ति
61. निम्नलिखित में कालीदास की रचनाएं कौन सी हैं?
1. ऋतुसंहार
II. रघुवंश
III. मेघदूतम
IV. मुद्राराक्षस
V. विक्रमोर्वशीयम
VI. मृच्छकटिकम्
कूटः
(a) सभी
(*b) I, II, III एवं V
(c) I, II, V एवं IV
(d) III, IV, V एवं VI
62. सुमेलित करें-
सूची-1 (कृतियां) सूची-II (रचनाकार)
(A) मृच्छकटिकम् 1. विशाखदत्त
(B) मुद्राराक्षस 2. अमर सिंह
(C) अमरकोश 3. विष्णु शर्मा
(D) पंचतंत्र 4. शूद्रक
कूट :
ABCD
(a)1234
(*b)4123
(c)3412
(d)2341
63. सुमेलित करें-
सूची-1 (रचनाएं) सूची-II (प्रकार)
(A) मालविकाग्निमित्रम 1. महाकव्य
(B) रघुवंश 2. नाटक
(C) ऋतुसंहा 3. कहानियों का संग्रहर
(D) पंचतंत्र 4. खण्डकाव्य
कूट :
ABCD
(*a)2143
(b)3421
(c)4213
(d)1234
64.सुमेलित करें-
सूची-1 (रचना) सूची-II (रचयिता)
(A) अभिज्ञान शाकुन्तलम् 1. विशाखदत्त
(B) देवी चन्द्रगुप्तम 2. कालीदास
(C) नीतिसार 3. चन्द्रगोमिन
(D) चन्द्रव्याकरण 4. कामन्दक
कूट :
ABCD
(a)1234
(*b)2143
(c)3421
(d)4312
65. गुप्तोत्तर युग में प्रमुख व्यापारिक केंद्र था-
(a) कन्नौज
(b) उज्जैन
(c) धार
(d) देवगिरी
66. नालंदा विश्वविद्यालय के विनाश का कारण था-
(a) मुसलमान
(b) कुषाण
(c)सीथियन्स
(d) मुगल
67. चीनी लेखक भारत का उल्लेख किस नाम से करते हैं?
(a) फो-क्वो-की
(b) यिन-तु
(c) सि-यू-की
(d) सिकिया-पोनो
68.आज भी भारत में ह्वेनसांग को याद करने का मुख्य कारण है-
(a) हर्ष के प्रति सम्मान
(b) नालंदा में अध्ययन
(c) बौद्ध धर्म में आस्था
(d) सी-यू-की की रचना
69. चीनी यात्री ह्वेनसांग ने किस विश्वविद्यालय में अध्ययन किया था?
(a) तक्षशिला
(b) विक्रमशिला
(c) मगध
(d) नालंदा
70. ह्वेनसांग की भारत में यात्रा के समय सूती कपड़ों के उत्पादन के लिए सबसे प्रसिद्ध नगर था-
(a) वाराणसी
(b) मथुरा
(c) पाटलिपुत्र
(d) कांची
71. ह्वेनसांग किसके शासनकाल में भारत आया था?
(a) चंद्रगुप्त II
(b) सम्राट हर्ष
(c) चंद्रगुप्त मौर्य
(d) चंद्रगुप्त I
72. निम्नलिखित शासकों में से किसने हर्षवर्धन को पराजित किया था?
(a) कीर्तिवर्मन द्वितीय
(b) विक्रमादित्य द्वितीय
(c) पुलकेशिन प्रथम
(d) पुलकेशिन द्वितीय
73.सुमेलित करें-
सूची-1 (ग्रंथ) सूची-II (ग्रंथकार)
(A) आर्यभट्टीय 1. वराहमिहिर
(B) महाभास्कर्य 2. ब्रह्मगुप्त
(C) ब्रम्ह सिंद्धात 3. भास्कर प्रथम
(D) वृहतसंहिता 4. आर्यभट्ट
कूट :
ABCD
(*a)4321
(b)2143
(c)3421
(d)4312
74.सुमेलित करें-
सूची-1 सूची-II
(A) सांख्य दर्शन 1. पतंजलि
(B) योग दर्शन 2. कपिल मुनि
(C) न्याय दर्शन 3. काणाद
(D) वैशेषिक दर्शन 4. गौतम
कूट :
ABCD
(a)1234
(*b)2143
(c)3412
(d)4123
75 सुमेलित करें-
सूची-1 (गुप्तकालीन मंदिर) सूची-II (प्रदेश)
(A) तिगवां का विष्णु मंदिर 1. नागोद (मध्य प्रदेश)
(B) भूमरा का शिव मंदिर 2. जबलपुर (मध्य प्रदेश)
(C) नचना कुठार का पार्वती मंदिर 3. झांसी (उत्तर प्रदेश)
(D) देवगढ़ का दशावतार 4. मध्य प्रदेश
कूट :
ABCD
(a)1234
(b)4321
(c)2143
(d)3421
76.सुमेलित करें-
सूची-1 (शब्दावलियां) सूची-II (अर्थ)
(A) पूग 1. अलग-अलग कार्य करने वाले लागों का समूह
(B) कुल 2. एक परिवार के कार्य करने वाले लोंगों का समूह
(C) निगम 3. श्रेणियों से बड़ी संस्था
(D) सार्थवाह 4. व्यापारियों का प्रमुख नेता
कूट :
ABCD
(*a)1234
(b)3421
(c)243
(d)1324
77.सुमेलित करें-
सूची-1 (कर) सूची-II (अर्थ)
(A) विष्टि 1. हलों पर लगने वाला कर
(B) बलि 2. वायु और पानी के देवताओं की पूजा के लिए एकत्र किया गया कर
(C) हरिला 3. बेगार या निःशुल्क श्रमकर
(D) वात्-भू 4. धार्मिक करत
कूट :
ABCD
(a)1234
(b)4321
(c)2134
(*d)3412
78.सुमेलित करें-
सूची-1 (भूमि के प्रभाव) सूची-II (अर्थ)
(A) उर्वरा 1. उपजाऊ भूमि
(B) ऊसर 2. कंकरीली भूमि
(C) अप्रहृत् 3. बंजर भमि
(D) शर्करा 4. परती भूमि
कूट :
ABCD
(a)1234
(b)4432
(*c)1342
(d)2134
89. सुमेलित करें-
सूची-1 (भूमि के प्रकार) सूची-II (अर्थ)
(A) शतक भूमि 1. निजी स्वामित्व वाली भूमि
(B) कृष्ट-प्रकृवट भूमि 2. स्वयं खेती की जाने वाली भूमि
(C) अदैवमातृक 3. ब्राम्हणों को दी जाने वाली कर मुक्त भूमि
(D) अग्रहार 4. बिना वर्षा के उपज देने वाली भूमि
कूट :
ABCD
(a)1234
(*b)1243
(c)3412
(d)2143
80.सतीप्रथा का प्रथम अभिलेखीय प्रमाण किस गुप्तकालीन अभिलेख से मिलता है?
80.सतीप्रथा का प्रथम अभिलेखीय प्रमाण किस गुप्तकालीन अभिलेख से मिलता है?
(a) जूनागढ़ अभिलेख
(b) सांची अभिलेख
(c) भितरी अभिलेख
(*d) एरण अभिलेख
81.सुमेलित करें-
सूची-1 सूची-II
(A) कुमार देवी 1. गुप्त राज कुमारी
(B) कुबेर नागा 2. लिच्छिवि राजकुमारी
(C) प्रभावती 3. नागवंशीय राजकुमारी
कूट :
ABC
(a)123
(*b)231
(c)321
(d)132
82.सुमेलित करें-
सूची-1 (अभिलेख) सूची-II (स्थान)
(A) विलसड अभिलेख 1. ग्वालियर (मध्य प्रदेश)
(B) तुमैन अभिलेख 2. एटा (उत्तर प्रदेश)
(C) सांची अभिलेख 3. फैजाबाद (उत्तर प्रदेश)
(D) करमदण्डा अभिलेख 4. सांची (मध्य प्रदेश)
कूट :
ABCD
(a)1234
(b)3421
(°c)2143
(d)14321
83. सुमेलित करें-
सूची-1 (अभिलेख) सूची-II (शासक)
(A) विलसड अभिलेख 1. रूकन्दगुप्त
(B) जूनागढ़ अभिलेख 2. भानुगुप्त
(C) एरण अभिलेख 3. कुमार गुप्त
(D) प्रयाग स्तम्भ 4. समुद्रगुप्त
कूट :
ABCD
(a)1234
(*b)3124
(c)3241
(d)4321
84. सुमेलित करें-
सूची-1 (ताम्म्र पत्र) सूची-II (स्थान)
(A) इन्दौर ताम्रपत्र 1. बुलंदशहर (उत्तर प्रदेश)
(B) धनदेह ताम्रपत्र 2. राजशाही (बंगलादेश)
(C) दामोदरपुर ताम्रपत्र 3. दीनाजपुर (बंगलादेश)
(D) वैग्राम 4. बोगरा (बंगलादेश)
कूट :
ABCD
(*a)1234
(b)2314
(c)3241
(d)4321
85सुमेलित करें-
सूची-1 (मंत्री) सूची-II (पद)
(C) महासंविविग्रहक 1. युद्ध एवं न्याय मंत्री
(D) दण्डपाशिक 2. सेना का सर्वोच्च अधिकारी
(A) महाबलाधिकृत 3. पुलिस विभाग का प्रमुख अधिकारी
(B) महादण्डनायक 4. शांति एवं वैदेशिक
कूट :
ABCD
(a)1234
(*b)2143
(c)3421
(d)4312
86.भारतीय मंदिर निर्माण में शिखर का पहला उदाहरण प्रस्तुत करता
(a) तिगवां का विष्णु मंदिर
(b) भूमरा का शिव मंदिर
(*c) देवगढ़ का दशावतार मंदिर
(d) भीरत गांव का मंदिर
87. निम्न में गलत सुमेलित है-
(a) बुद्धचरित अश्वघोष
(b) मृच्छकटिकम् शूद्रक
(*c) मुद्राराक्षस अर्यभट्ट
(d) वृहतसंहिता वाराहमिहिर
88. सुमेलित करें-
सूची-1 सूची-II
(A) ब्रह्मगुप्त 1. चिकित्सा
(B) चरक 2. गणित
(C) वाराहमिहिर 3. नाटक
(D) विशाखदत्त 4. खगोल विज्ञान
कूट :
ABCD
(a)1234
(*b)2143
(c)3421
(d)4231
89. सुमेलित करें-
सूची-1 (संवत्सर) सूची-II (समय से गणना)
(A) विक्रम संवत्सर 1. 3102 ई. पू.
(B) शक संवत्सर 2. 320 ईस्वी
(C) गुप्त संवत्सर 3. 78 ई. पू.
(D) कलि संवत्सर 4.58 ई.पू.
कूट :
ABCD
(a)1234
(*b)4321
(c)342
(d)2134
90.महारानी कुमारदेवी ने सारनाथ में धर्मचक्र जिन विहार का निर्माण करवाया था, वह किसकी पत्नी थी?
(*a) चन्द्रगुप्त प्रथम
(b) समुद्रगुप्त
(c) चन्द्रगुप्त द्वितीय
(d) स्कन्दगुप्त
FAQs : Maurya Dynasty
गुप्त वंश का संस्थापक कौन था?
श्रीगुप्त
गुप्त साम्राज्य का सबसे प्रतापी शासक कौन था?
समुद्रगुप्त – जिसे “भारत का नेपोलियन” कहा गया है (V.A. Smith द्वारा)।
इलाहाबाद प्रशस्ति किसने लिखी थी और किसकी विजयगाथा का वर्णन करती है?
हरिषेण ने – समुद्रगुप्त की विजय गाथा।
चंद्रगुप्त-II को किस उपाधि से जाना जाता था?
विक्रमादित्य।
गुप्त काल में किस विदेशी यात्री ने भारत की यात्रा की थी?
फाह्यान (399–414 ई.) – चंद्रगुप्त II के समय।
गुप्त काल को ‘स्वर्ण युग’ क्यों कहा जाता है?
कला, विज्ञान, साहित्य और संस्कृति में महान उन्नति के कारण।
गुप्तकालीन समाज की प्रमुख विशेषता क्या थी?
वर्ण व्यवस्था अधिक कठोर हुई; स्त्रियों की स्थिति में गिरावट आई।
गुप्तकाल में कौन-से धार्मिक ग्रंथ या रचनाएँ प्रमुख थीं?
कालिदास की रचनाएँ – अभिज्ञान शाकुंतलम्, मेघदूत, रघुवंश।
गुप्त काल में कौन-सी मुद्राएँ प्रचलित थीं?
स्वर्ण मुद्राएँ (Gold Coins), विशेषतः समुद्रगुप्त और चंद्रगुप्त II के समय। ।
गुप्तकालीन विज्ञान का प्रमुख नाम कौन था और उसका योगदान क्या था?
आर्यभट्ट – आर्यभट्टीयम् ग्रंथ; पृथ्वी की गोलता, शून्य का प्रयोग, खगोलविज्ञान में योगदान।